स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: आजादी से पहले के दस्तावेज आज भी महफूज, बना रहे बिगड़े काम

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : आजादी से पहले के दस्तावेज आज भी महफूज, बना रहे बिगड़े काम
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स्वतंत्रता दिवस  

देश को आजाद हुए 78 बरस हो गए। आज भी राजधानी के कलेक्टोरेट में आजादी से भी दस-बारह से पहले के दस्तावेज महफूज हैं।

लक्ष्मण लेखवानी- रायपुर। देश को आजाद हुए 78 बरस हो गए। सालाना जलसे में आजाद भारत की तस्वीरों के साथ हमारी उन पुरानी धरोहर को भी याद किया जाता है, जो भविष्य की राह आसान बनाती हैं। आज भी राजधानी के कलेक्टोरेट में आजादी से भी दस-बारह से पहले के दस्तावेज महफूज हैं।

खास बात यह है कि, ये दस्तावेज जमीन संबंधी उलझनों को सुलझाने में मदद कर रहे हैं। इन दस्तावेजों में 1928, 1929-30 के दस्तावेज भी हैं, जो अभी पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इन दस्तावेजों का एक पन्ना भी फटा या गला नहीं है। आजादी से पहले के इन कागजों को धरोहर के रूप में संजोए रखना भी एक प्रकार से प्रशासन की सजगता का प्रमाण है। अब इन दस्तावेजों को ऑनलाइन किया जा रहा है।

नकल निकालने हर दिन लगते हैं ढेरों आवेदन

रिकॉर्ड रूम में धरोहर की तरह रखे गए आजादी से पहले के ये पुराने दस्तावेज लोगों के बहुत काम आ रहे हैं। इन दस्तावेजों की नकल के आधार पर ही कई लोगों को जमीन का विवरण मिल पा रहा है, जिससे उनके अटके काम भी हो रहे हैं। आजादी के पहले और बाद में कई बड़े समाजसेवी किसानों ने अपनी जमीनें लोगों के हित के लिए शासन, प्रशासन से लेकर निजी समाजसेवी संस्था को दान में दी थी। इस जमीन के दस्तावेज अभी भी रिकॉर्ड रूम में हैं।

अंग्रेज शासनकाल के दौरान जिन जमीनों की खरीदी-बिक्री हुई उनके रिकॉर्ड भी सुरक्षित

अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान रायपुर जिले में वर्ष 1928 से लेकर वर्ष 1947 के पहले तक बड़ी संख्या में विभिन्न खसरा नंबर की भूमि की खरीदी-बिक्री हुई थी। इन सभी भूमि के दस्तावेज भी पंजीयन विभाग के रिकॉर्ड रूम में सुरक्षित हैं। इन रिकार्ड के आधार पर ही वर्तमान में भी जमीनों की खरीदी-बिक्री हो रही है

1856-57 में एक पेज, 1890 में दो पेज की होती थी रजिस्ट्री

पंजीयन विभाग के रिकॉर्ड रूम में वर्ष 1856 तक सदी में हुई रजिष्ट्री के भी रिकॉर्ड संजोकर रखे गए हैं। हालांकि इन रिकॉडों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है, लेकिन इसके बाद भी ये दस्तावेजों को धरोहर की तरह संभालकर रखे हुए हैं। इन पुराने रिकॉर्ड में 1894 में हुई रजिस्ट्री के रिकार्ड मिले हैं। यह रजिस्ट्री मात्र दो पेपर में हुई थी। यहां के एक पुराने कर्मचारी ने बताया कि 1880 से लेकर 1895 के बीच संभवतः दो पेपर में रजिस्ट्री होती होगी, इसलिए इस अवधि के दौरान ज्यादातर रजिस्ट्री के रिकॉर्ड में दो पेपर है। उससे और पहले के वर्षों में एक पेपर की रजिस्ट्री होती थी, जिसके दस्तावेज रिकार्ड रूम में हैं। समय के साथ रजिस्ट्री के पेपर बढ़ते गए।

1928 से लेकर आजादी तक के रिकॉर्ड सुरक्षित

स्वतंत्रता दिवस समारोह के ठीक दो दिन पहले हरिभूमि ने प्रदेश की राजधानी रायपुर स्थित कलेक्टोरेट के रिकॉर्ड रूम से लेकर पंजीयन विभाग के रिकॉर्ड रूम में प्रशासन द्वारा संजोकर रखे गए जिलेभर के भूमि और रजिस्ट्री संबंधी दस्तावेजों के रिकॉर्ड की पूछ-परख की। इस दौरान कलेक्टोरेट के रिकॉर्ड रूम में आजादी के 10 से 12 साल पहले के भी दस्तावेज हाथ लगे, जिनमें वर्ष 1929-30 वर्ष 1934-35 से लेकर वर्ष 1950, 55 यहां तक 1947 के रिकार्ड भी मिले इस रिकार्ड रूम में वर्ष 1928 तक की अवधि के पुराने रिकार्ड हैं।

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