शंकिनी-डंकिनी विकास का नया तट: करोड़ों की लागत से निर्माण, सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन को मिला नया जीवन

Maa Danteshwari Temple
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मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर, दंतेवाड़ा

दंतेवाड़ा के शंकिनी-डंकिनी नदी संगम पर एनएमडीसी ने घाट का निर्माण किया है। यह प्रयास क्षेत्र में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दे रहा है।

दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा के शंकिनी-डंकिनी नदी संगम पर एनएमडीसी ने अपने CSR कार्यक्रम के तहत ₹2.98 करोड़ की लागत से घाट का निर्माण किया है। यह प्रयास न केवल क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को सहेज रहा है, बल्कि आदिवासी समुदायों को ईको-टूरिज्म और स्थानीय शिल्प के जरिए आत्मनिर्भर भी बना रहा है। यह घाट विकास, संस्कृति और समुदाय को एक साथ लाने का बेहतरीन उदाहरण है।

दरअसल, दंतेवाड़ा को सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, एनएमडीसी लिमिटेड ने शंकिनी और डंकिनी नदियों के पवित्र संगम स्थल पर आकर्षक घाट और पिचिंग क्षेत्र का निर्माण किया है। यह परियोजना कंपनी की कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल के तहत ₹298 लाख की लागत से पूरी की गई है। इसका असर कई स्तरों पर देखा जा रहा है- पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, आजीविका के टिकाऊ साधन विकसित हो रहे हैं और यह 'देखो अपना देश' और 'स्वदेश दर्शन' जैसे राष्ट्रीय अभियानों के अनुरूप भी है।


श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है मां दंतेश्वरी का दरबार

दंतेवाड़ा में देश के 52 शक्तिपीठों में से एक देवी दंतेश्वरी के प्राचीन मंदिर स्थित है जो चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, फागुन मेला और भव्य दशहरा उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहता है। बावजूद इसके, यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से काफी हद तक अनदेखा रहा है। अब, नए घाट के निर्माण से न केवल नदी की प्राकृतिक सुंदरता उजागर हुई है, बल्कि यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त हो रहा है।

आकर्षक घाट और पिचिंग क्षेत्र से बढ़ रहे पयर्टक
इस विकास की सबसे विशेष बात यह है कि यह स्थानीय आदिवासी समुदायों की जिंदगी में वास्तविक बदलाव ला रहा है। वर्षों से जंगलों पर निर्भर यह समुदाय अब यह देख पा रहा है कि उनके आसपास की जल-संपदाएं पर्यटन और समृद्धि का केंद्र बन सकती हैं। अब जब सैलानियों की संख्या बढ़ रही है, तो इन परिवारों की आजीविका के नए रास्ते खुल रहे हैं। ये समुदाय अब ईको टूरिज्म से जुड़कर स्थानीय हस्तशिल्प का प्रदर्शन कर पा रहे हैं और पर्यटकों को सेवाएं देकर नियमित आय अर्जित कर रहे हैं। इसके साथ ही जंगल पर निर्भरता कम होने से उनके जीवनयापन के तरीके अधिक टिकाऊ और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार बन रहे हैं।


धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बना मंदिर परिसर

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग, दंतेवाड़ा के अधिशासी अभियंता श्री राजविजय टंडन ने कहा, "एनएमडीसी की सीएसआर पहल के तहत दंतेवाड़ा में बनाए गए रिटेनिंग वॉल और घाटों ने इस क्षेत्र को धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया है। साथ ही, रिटेनिंग वॉल यह भी सुनिश्चित करता है कि भविष्य में नदी पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।"

स्थानीय जनसमुदाय की भी कर रहे मदद

एनएमडीसी की एक अन्य सीएसआर पहल के तहत, दंतेवाड़ा के माइकम कुटमा समाज को टेंट हाउस सामग्री वितरित की गई है, जिससे सामुदायिक ढांचे को मजबूती मिली है और स्थानीय सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षण मिला है। ये सभी प्रयास एनएमडीसी के 'केवल समुदाय के आसपास नहीं, बल्कि समुदाय के साथ मिलकर विकास' के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

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