जेल से निकलेंगे कर्मकांडी पंडित: हत्या तक की सजा काट रहे कैदियों को दी जा रही आयुर्वेद, कर्मकांड और पुरोहिती की शिक्षा

आयुर्वेद के साथ कर्मकांडी पुरोहित की शिक्षा ले रहे
रायपुर। सेंट्रल जेल रायपुर में सामान्य से लेकर गंभीर धाराओं में सजा काट रहे बंदी जेल से छूटने के बाद लोगों के घरों में धार्मिक के साथ वैवाहिक अनुष्ठान कराते मिल जाएं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। रायपुर सेंट्रल जेल में 44 बंदी जिनमें ज्यादातर हत्या के अपराध में सजा काट रहे हैं, वे सभी ज्योतिष, आयुर्वेद के साथ पुरोहित की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके लिए जेल प्रशासन बंदियों को संस्कृत विद्यामंडलम से ज्योतिष, आयुर्वेद तथा पुरोहित का पाठ पढ़ाने मदद ले रहा है।
जेल अधीक्षक योगेश सिंह क्षत्री के मुताबिक जेल में कैदियों को शिक्षित करने के लिए अनेक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। वर्तमान में विभिन्न पाठ्यक्रमों में 291 बंदी अध्ययनरत हैं। संस्कृत विद्यामण्डलम रायपुर के अंतर्गत कक्षा प्रथमा भाग एक से कक्षा उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष बारहवीं तक ज्योतिष आयुर्वेद, पुराणेतिहासम, पौरोहित्यम कर्मकाण्ड विषयों की पढ़ाई कराई जाती है।
जेल में पहली बार तीन सौ के करीब परीक्षार्थी पास हुए
बंदियों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए जेल प्रशासन उनके कौशल विकास के साथ उन्हें शिक्षा देने का प्रयास करता है। जेल में इस वर्ष ओपन स्कूल की पढ़ाई से लेकर स्नातक स्तर की परीक्षा में 291 बंदी शामिल हुए, जिनमें मिडिल से हाई स्कूल की परीक्षा में 128 बंदी पास हुए। इसके अलावा स्नातक तथा स्नाकोत्तर की परीक्षा में 31 बंदी पास हुए। कई परीक्षा के परिणाम अभी आना बाकी हैं।
44 बंदी प्रारंभिक से लेकर उत्तर मध्यमा में सफल
ज्योतिष वेद के साथ कर्मकांड पुरोहित बनने 44 बंदी वेद पाठ के साथ ज्योतिषी पद्धति से आयुर्वेद उपचार की पढ़ाई में सफल हुए हैं। इनमें कक्षा छठवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई में 44 बंदी वेद पाठ के माध्यम से पुरोहित ज्ञान तथा ज्योतिष आयुर्वेद की परीक्षा पास करने में सफल रहे।
जेल में बनाया गया था सेंटर
जेल में अध्ययनरत कैदियों को परीक्षा देने बाहर न जाना पड़े, इसलिए चार शैक्षणिक संस्थानों ने सेंट्रल जेल को स्थायी परीक्षा सेंटर बनाकर परीक्षा आयोजित की। परीक्षा सेंटर को छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल, एनआईओएस, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डलम तथा पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय, इग्नू ने मान्यता दी।
