सरगुजा की 154 शालाओं की मरम्मत ठप: खपरैल के भवन और टीन शेड में स्कूल, बच्चों के सिर पर टपकेगी मुसीबत

सरगुजा की 154 शालाओं की मरम्मत ठप :  खपरैल के भवन और टीन शेड में स्कूल , बच्चों की सिर पर टपकेगी मुसीबत
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सरगुजा जिले में ऐसे दर्जनों स्कूल हैं जिनका संचालन वर्षों से जर्जर भवनों में हो रहा है। विभाग द्वारा ऐसे जर्जर भवनों के सुधार की पहल नहीं की गई है।

अम्बिकापुर। एक पखवाड़े बाद नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होगा। सरगुजा जिले में ऐसे दर्जनों स्कूल हैं जिनका संचालन वर्षों से जर्जर भवनों में हो रहा है। विभाग द्वारा ऐसे जर्जर भवनों के सुधार की पहल नहीं की गई है। नए सत्र में अपना भविष्य गढ़ने के लिए बच्चे पानी टपकते भवनों में पढ़ाई करने मजबूर होंगे। स्कूल जतन योजना के तहत कई स्कूलों की मरम्मत हो चुकी है, पर 154 विद्यालय ऐसे हैं, जिसका काम शुरू ही नहीं हो सका है। 34 पर अभी काम चल रहा है। जाहिर है, बारिश में मुसीबत जमकर टपकेगी। 15 जून से नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होगा। इसके साथ ही स्कूलों की रौनक बढ़ जाएगी तथा फिर से बच्चे जर्जर भवनों में पढ़ाई करेंगे।

सरगुजा के दूरस्थ क्षेत्रों में ऐसे दर्जनों स्कूल हैं जिनका गौरवशाली इतिहास रहा है। दशकों से संचालित इन स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने अपना भविष्य संवारा है तथा विभिन्न शासकीय पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। देखरेख के अभाव में इन स्कूलों के भवन अब जर्जर हो गए हैं। मरम्मत के अभाव में बरसात के दिनों में भवन के छप्पर से पानी टपकता है। नए शिक्षा सत्र में इन स्कूलों को नया भवन मिलने की उम्मीद थी लेकिन विभाग द्वारा इस संबंध में कोई पहल नहीं होने का इस बार भी स्थिति यथावत रहेगी। विकासखण्ड मैनपाट अंतर्गत शासकीय प्राथमिक आश्रम शाला के खपरैल भवन का निर्माण 60 साल पूर्व कराया गया था। भवन के जर्जर होने पर वर्ष 2008 में ग्राम पंचायत को नए भवन निर्माण की 2008 में ग्राम पंचायत को नए भवन निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

ग्राम पंचायत बरडांड पारा का खपरैल भवन हो गया जर्जर
पंचायत प्रतिनिधि ने भवन की दीवार तो बना दी लेकिन ढलाई नहीं होने के कारण निर्माण अनुपयोगी पड़ा है। बरसात के दिनों में छप्पर का पानी कक्षाओं में टपकता है। अधिक समस्या होने पर शाला की सभी पांच कक्षाओं का संचालन अतिरिक्त कक्ष में किया जाता है। कन्या शाला का शौचालय अत्यंत जर्जर होने के कारण अनुपयोगी हो गया है। विद्यालय में 116 छात्राएं अध्यनरत हैं। चार दशक पूर्व निर्मित प्राथमिक शाला वैगहवा की भी यही हाल है। खपरैल भवन के अत्यंत जर्जर होने पर विभाग द्वारा टीन का छप्पर तैयार किया गया था। टीन शेड में जंग लगने के कारण वर्षा का पानी कक्षाओं में टपकता है। बरसात के दिनों में सभी कक्षाएं एक साथ अतिरिक्त भवन में संचालित होती हैं। शाला में 39 बच्चे अध्ययनरत हैं। ग्राम पंचायत बरडांड पारा का दशकों पुराना खपरैल भवन जर्जर हो गया है। बरसात के दिनों में स्कूल में अध्ययनरत 92 बच्चे एक साथ अतिरिक्त कक्ष में पढ़ाई करते हैं।

स्कूलों का जतन नहीं कर पाए
दो साल पूर्व शासन ने स्कूल जतन योजना के तहत सरगुजा के 1404 स्कूल भवनों की मरम्मत एवं 252 स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष निर्माण की स्वीकृति प्रदान की थी। तीन साल का लंबा समय गुजरने के बावजूद न तो स्कूलों की मरम्मत का कार्य पूरा हो सका है न ही अतिरिक्त कक्ष निर्माण ही। शासन द्वारा योजनान्तर्गत 1404 स्कूल भवनों की मरम्मत की स्वीकृति प्रदान की गई थी जिसमें 1154 भवन में मरम्मत परी हो गई है तथा 34 भवनों की मरम्मत अभी चल रही है जबकि 154 भवनों की मरम्मत का कार्य अभी शुरू तक नहीं हो सका है। इसी तरह योजनान्तर्गत स्वीकृत 252 अतिरिक्त कक्षों में से 78 का निर्माण पूरा हो गया है तथा 20 का निर्माण चल रहा है जबकि 78 भवनों का निर्माण कार्य प्रारंभ तक नहीं हो सका है। बरसात में भवनों की मरम्मत एवं निर्माण संभव नहीं होने के कारण छात्र-छात्राओं को भवन की हालत में सुधार करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

की जाएगी वैकल्पिक व्यवस्था
सरगुजा जिला शिक्षा अधिकारी एके सिन्हा ने बताया कि, सत्र में किसी भी जर्जर स्कूल भवन में कक्षाओं का संचालन नहीं किया जाएगा। स्कूल भवनों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। अधिकांश जर्जर भवनों की वैकल्पिक व्यवस्था पिछले साल कर दी गई थी। आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त भवनों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। स्कूल जतन योजना के अधिकांश कार्य पूरे हो गए हैं।



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