डिफॉल्टर को रेडी-टू-ईट का ठेका: महिला स्व सहायता समूह ने भेदभावपूर्ण मूल्यांकन का लगाया आरोप

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रायगढ़। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सक्षम योजना आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 के तहत रेडी-टू-ईट पूरक पोषण आहार वितरण के लिए महिला स्व-सहायता समूहों का चयन विवादों में आ गया है। ग्राम लोढ़ाझर की जय बगलामुखी महिला स्व-सहायता समूह ने विभाग पर भेदभावपूर्ण मूल्यांकन का आरोप लगाते हुए कहा है कि अंकों की हेराफेरी कर उन्हें जानबूझकर चयन सूची से बाहर किया गया। जबकि एक डिफॉल्टर समूह को काम दे दिया गया।
जय बगलामुखी समूह ने विभाग को विस्तृत दावा पत्र सौंपते हुए अपनी पात्रता के पक्ष में कई ठोस दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। समूह ने चयन प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा है कि मूल्यांकन में जानबूझकर अनदेखी की गई। पत्र में समूह ने तर्क भी दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि समूह ने वर्ष 2024-25 के लिए 10,000 की सदस्यता राशि समय पर जमा की थी, लेकिन विभाग ने तीन वर्षों की 36,000 की अपेक्षा कर 4 अंक काट दिए।
चयन सूची को स्थगित करने की मांग
महिला स्व सहायता समूह ने स्पष्ट मांग की है कि चयन सूची को तत्काल स्थगित किया जाए। इसी तरह सभी दस्तावेजों की निष्पक्ष पुनः जांच की जाए। गलत अंक निर्धारण को सुधारा जाए। वहीं उन्होंने दोषी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने की मांग भी की है।
भेदभाव नहीं
महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ एलआर कच्छप ने बताया कि, अंकों के अनुसार महिला स्व सहायता समूहों को काम दिया गया है। इसमें किसी प्रकार से भेदभाव नहीं किया गया है।
शासन ने नियम को पारदर्शी बनाया
शासन ने चयन प्रक्रिया को पूर्णतः दस्तावेज आधारित, निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए हैं। यानी इसमें जरा भी लापरवाही नहीं चल पाएगी। ऐसे में यदि समूह के आरोप और दावे सही पाए जाते हैंए तो यह न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न है, बल्कि अन्य पात्र समूहों के साथ भी अन्याय होगा। समूह का ये भी कहना है कि यदि उनकी आपत्तियों पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया गया तो वे मामले को कलेक्टर कार्यालय और उच्च स्तर पर शासन के पास लेकर जाएंगे।
