युक्तियुक्तकरण: छत्तीसगढ़ में शिक्षा सुधार की अभिनव पहल, विशेषज्ञों ने माना इसे समय की मांग

सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने का निर्णय
रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को बेहतर स्वरूप और गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए कुछ स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में लिए गए इस निर्णय के पीछे शिक्षा विभाग की वह समीक्षा रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि, राज्यभर के सरकारी स्कूलों में संसाधनों का वितरण असमान है। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से सरकार अब इसी असमानता को दूर करने जा रही है। प्रदेश सरकार की ओर से जारी युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया का उद्देश्य किसी की पढ़ाई रोकना नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है।

प्रदेश के 211 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं
शिक्षा विभाग की समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि, छत्तीसगढ़ में 211 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी छात्र दर्ज नहीं है, फिर भी वहां नियमित शिक्षक पदस्थ हैं। उदाहरण के लिए, सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड की प्राथमिक शाला साजाभवना में कोई छात्र नहीं है, जबकि एक सहायक शिक्षक वहां कार्यरत है। इसी तरह हर्राटिकरा स्कूल में भी छात्र संख्या शून्य है, लेकिन वहां एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक पदस्थ हैं। दूसरी ओर राज्य के अनेक दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में वर्षों से शिक्षक संकट की स्थिति बनी हुई है। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंवारपुर में विषयवार शिक्षक न होने के कारण वर्ष 2024-25 में कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम महज 40.68 प्रतिशत रहा, जो राज्य औसत से बहुत कम है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जब कुंवारपुर प्रवास पर थे, तब ग्रामीणों ने उनके समक्ष शिक्षक नियुक्ति की मांग पुरज़ोर ढंग से रखी।

विशेषज्ञों की राय- युक्तियुक्तकरण समय की माँग
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि, युक्तियुक्तकरण का निर्णय समय की माँग है। यदि इसे निष्पक्षता और डेटा-आधारित पद्धति से लागू किया जाए, तो छत्तीसगढ़ की शिक्षा प्रणाली देश में एक आदर्श मॉडल बन सकती है। मुख्यमंत्री श्री साय के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने तुरंत युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को सक्रिय किया है, जिसमें पारदर्शिता, मानवीय दृष्टिकोण और स्कूलों की जरूरत को प्राथमिक आधार बनाया गया है। इस कदम से एक ओर शिक्षकविहीन स्कूलों को शिक्षक मिल सकेंगे, वहीं दूसरी ओर छात्रविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना को रोका जा सकेगा। यह पुनर्संरचना शिक्षा प्रणाली को संतुलित, कुशल और परिणामोन्मुखी बनाएगी।
कुल 10,463 स्कूलों में से सिर्फ 166 का समायोजन
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार शालाओं के युक्तियुक्तकरण के तहत राज्य के कुल 10,463 स्कूलों में से सिर्फ 166 स्कूलों का समायोजन होगा। इन 166 स्कूलों में से ग्रामीण इलाके के 133 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के अंदर में दूसरा स्कूल संचालित है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में 33 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें दर्ज संख्या 30 से कम हैं और 500 मीटर के दायरे में दूसरा स्कूल संचालित है। इस कारण 166 स्कूलों को बेहतर शिक्षा के उद्देश्य से समायोजित किया जा रहा है, इससे किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। शेष 10,297 स्कूल पूरी तरह से चालू रहेंगे।

दुर्ग जिले के गांवों और शहरों में शिक्षकों की पोस्टिंग में भारी असमानता
जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग ने शिक्षा विभाग को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि जिले के ग्रामीण अंचलों के शासकीय हाई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी तथा शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की अधिकता के कारण शैक्षिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने रिपोर्ट में उल्लेखित किया है कि विकासखंड धमधा अंतर्गत शासकीय हाई स्कूल मुरमुदा में स्वीकृत 6 पदों के विरुद्ध मात्र 3 व्याख्याता कार्यरत हैं, जबकि कक्षा दसवीं की छात्र संख्या 63 है। शिक्षक अभाव के कारण यहाँ का वार्षिक परीक्षा परिणाम मात्र 47.62 प्रतिशत रहा। इसी प्रकार शासकीय हाई स्कूल सिलितरा और शासकीय हाई स्कूल बिरेझर में भी स्थिति अत्यंत दयनीय है। दोनों विद्यालयों में स्वीकृत 6-6 पदों के विरुद्ध एक भी व्याख्याता पदस्थ नहीं है। क्रमशः 81 एवं 63 छात्रों की दर्ज संख्या वाले इन विद्यालयों में परीक्षा परिणाम क्रमशः 36.59 प्रतिशत एवं 35.00 प्रतिशत ही रहा है।

राजनांदगांव जिले के गांवों में शिक्षकों की कमी, रिजल्ट आया खराब
राजनांदगांव जिले के ग्रामीण अंचल के शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण शैक्षणिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं, जिससे परीक्षा परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, घोटिया (विकासखंड डोंगरगढ़) में कक्षा 10वीं एवं 12वीं के लिए कुल 103 विद्यार्थियों की दर्ज संख्या है, परंतु स्वीकृत 11 पदों के विरुद्ध मात्र 03 व्याख्याता कार्यरत हैं एवं 08 पद रिक्त हैं। शिक्षकों की इस गंभीर कमी के कारण वर्ष 2024-25 में कक्षा 10वीं का परीक्षा परिणाम 27.27 प्रतिशत तथा कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम 66.66 प्रतिशत रहा, जो कि चिंताजनक है।

शहरों के स्कूलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक
दूसरी ओर, शहरी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक संख्या में शिक्षक पदस्थ हैं। ठाकुर प्यारेलाल शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय, राजनांदगांव में 84 विद्यार्थियों की तुलना में 10 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि दर्ज संख्या के अनुसार केवल 04 शिक्षकों की आवश्यकता है। यह स्थिति शिक्षकों के असंतुलित पदस्थापना के कारण है। जिले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने तथा सीमित संसाधनों के समुचित उपयोग की दिशा में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जाना नितांत आवश्यक है। इससे सभी विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या के अनुरूप विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी तथा शैक्षणिक गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार आएगा।

धरसीवां ब्लाक में सामने आई भारी विसंगति
रायपुर जिले के धरसीवां विकासखण्ड में की गई हालिया समीक्षा में कई ऐसी शालाएं सामने आईं हैं, जहां छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन वहां शिक्षक आवश्यकता से कहीं अधिक संख्या में पदस्थ हैं। जैसे शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कन्या सरस्वती नयापारा में केवल 33 छात्राएं हैं, जबकि 7 शिक्षक तैनात हैं। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कन्या रविग्राम में 82 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और 8 शिक्षक कार्यरत हैं। शासकीय प्राथमिक शाला मानाकैम्प में 104 विद्यार्थी हैं और वहां 11 शिक्षक पदस्थ हैं। शासकीय प्राथमिक शाला तेलीबांधा रायपुर में 109 विद्यार्थी हैं, जबकि 9 शिक्षक हैं। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पी.एल.वाई., बैरनबाजार में 98 विद्यार्थी हैं और 10 शिक्षक कार्यरत हैं।

बस्तर संभाग के सात जिलों के स्कूलों का युक्तियुक्तकरण
संयुक्त संचालक शिक्षा ने बताया कि बस्तर संभाग के बस्तर जिले में 274, बीजापुर जिले की 65, कोण्डागांव जिले की 394, नारायणपुर की 80, दंतेवाड़ा जिले की 76, कांकेर जिले की 584 तथा सुकमा जिले की 138 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे शिक्षक विहीन एकल शिक्षकीय एवं आवश्यकता वाली अन्य शालाओं में अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना हो सकेगी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही बच्चों को बेहतर शैक्षणिक संसाधन जैसे पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब और खेल सामग्री भी उपलब्ध हो सकेंगी।

हजारों की संख्या में स्कूल बंद होने की बातें भ्रामक और तथ्यहीन
शिक्षा विभाग ने कतिपय संगठनों एवं व्यक्तियों द्वारा युक्तियुक्तकरण से हजारों की संख्या में स्कूलों के बंद होने की बात को पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन बताया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा है कि असलियत इससे बिलकुल अलग है। राज्य के कुल 10,463 स्कूलों में से सिर्फ 166 स्कूलों का समायोजन होगा। इन 166 स्कूलों में से ग्रामीण इलाके के 133 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के अंदर में दूसरा स्कूल संचालित है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में 33 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें दर्ज संख्या 30 से कम हैं और 500 मीटर के दायरे में दूसरा स्कूल संचालित है। इस कारण 166 स्कूलों को बेहतर शिक्षा के उद्देश्य से समायोजित किया जा रहा है, इससे किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। शेष 10,297 स्कूल पूरी तरह से चालू रहेंगे।

छत्तीसगढ़ में होगी 5,000 शिक्षकों की भर्ती
प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ एवं प्रभावशील बनाने के लिए शिक्षकों के रिक्त पदों पर चरणबद्ध भर्ती की जाएगी। प्रथम चरण में 5,000 शिक्षकों की भर्ती होगी। इस निर्णय से प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन अध्यापन व्यवस्था को गति मिलेगी और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी। शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर विभागीय स्तर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के पूरा होने के बाद शिक्षकों के रिक्त पदों का आकलन कर नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
