जल संवर्धन: राजनांदगांव बना देशभर में मॉडल, परकोलेशन टैंक से होगा रिचार्ज

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राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में भूजल संरक्षण और संवर्धन की दिशा में मिशन जल रक्षा के अंतर्गत एक अनूठी और तकनीकी दृष्टि से समृद्ध पहल की जा रही है, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन रही है। मानसून के सक्रिय होने के पहले जिले में तैयार किए गए 1693 परकोलेशन टैंक और इंजेक्शन वेल युक्त से न केवल भूजल रिचार्ज मॉडल होगा बल्कि जलसंकट से जूझते ग्रामीण भारत के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से गर्मी में भी अब कुएं, हैंडपंप, और ट्यूबवेल में जल स्तर कम नहीं होगा।
भीषण गर्मी के दौर में राजनांदगांव जिले के अधिकांश इलाको में भूजल स्तर के काफी नीचे जाने से गंभीर पेयजल संकट के हालात निर्मित हो गए थे। यहीं कारण है कि प्रशासन ने जल संरक्षण और संवर्धन की दिशा में आधुनिक पहल की है। जिसके तहत जिले में अब तक कुल 1693 परकोलेशन टैंक का निर्माण किया जा चुका है, जो भूजल रिचार्ज की प्राकृतिक संरचनाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन टैंकों के निर्माण के लिए जीआईएस, फ्रैक्चर जोन आइडेंटिफिकेशन जैसी वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। जिससे जल के प्रवाह और भूजल पुनर्भरण के उपयुक्त स्थलों का चयन किया गया। इन टैंकों में आसपास के क्षेत्रों से वर्षा जल एकत्रित होकर सीधे जमीन में रिसता है और भूजल स्तर को पुनः भरने में सहायक होता है।
परकोलेशन टैंक-इंजेक्शन वेल का समायोजन
जल संरक्षण की इस मुहिम को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु राजनांदगांव जिले ने परकोलेशन टैंकों में इंजेक्शन वेल जोड़ने की अभिनव कार्ययोजना तैयार की है। अब तक 200 से अधिक परकोलेशन टैंकों में इंजेक्शन वेल का निर्माण सफलतापूर्वक किया जा चुका है और आगामी वर्षा ऋतु से पूर्व इस संख्या को और अधिक बढ़ाने हेतु तेजी से कार्य किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि युक्त संरचना की लागत मात्र 37 हजार रुपए है जो की एक हैंडपंप खोदने की लागत से भी कम है, और इसका कार्य सीधे सरफेस में इकट्ठा होने वाले जल को फिल्टर मीडिया से गुजारते हुए सीधे ग्राउंडवाटर लेवल में पहुंचने का है।
राष्ट्रीय स्तर पर सराहना
यह समायोजन मॉडल देश में अपने आप में पहला प्रयास माना जा रहा है, जिसमें भूजल रिचार्ज के लिए अत्याधुनिक तकनीक को समग्र ग्रामीण विकास मॉडल में समाहित किया गया है। यह जल शक्ति मंत्रालय सहित विभिन्न संस्थाओं के लिए भी समय-समय पर केंद्रीय मंत्री एवं अन्य प्रतिनिधियों के माध्यम से अध्ययन और अनुकरणीय मॉडल के रूप में प्रस्तुत की जा रही है।
ग्रामीणों की रही सहभागिता
जिला पंचायत सीईओ सुरुचि सिंह ने बताया कि, इस पहल के पीछे जिला प्रशासन की दूरदर्शिता, तकनीकी टीमों का समर्पण और जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायतों की सहभागिता प्रमुख भूमिका निभा रही है। कार्य की नियमित निगरानी, सर्वेक्षण, और सामुदायिक भागीदारी ने इसे सफल बनाने में निर्णायक योगदान दिया है।