राजिम में बस स्टैंड का अता- पता नहीं: बरसात है सामने, फिर यात्रियों को भीगते हुए करनी होगी बसों की प्रतीक्षा

Rajim Bus Stand
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पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक 

राजिम शहर छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन और धार्मिक नगरी के रूप में जानी और पहचानी जाती है। लेकिन यहां कोई बस स्टैंड नहीं है। सियासी खींचातानी भी इसके लिए जिम्मेदार है।

श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। देश की आजादी के 78 साल बाद भी धर्म नगरी राजिम में एक अदना सा बस स्टैंड का न होना शासन और प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। यह गरियाबंद जिले का सबसे बड़ा और प्राचीन शहर है। यहां देश और दुनिया से सैकड़ो नहीं हजारों की संख्या में धर्म प्रेमी, श्रद्धालु और पर्यटक रोज आते है। बाहर से आने वाले पूछते हैं कि, यहां का बस स्टैंड कहां पर है? जवाब मिलता है बस स्टैंड यहां है ही नहीं।

उल्लेखनीय है कि, पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक के चारो तरफ बीच सड़क में बसें खड़ी होती हैं इसे ही बस स्टैंड समझ लो। यह सुनकर पर्यटक दंग रह जाते हैं। आखिर यहां बस स्टेण्ड क्यो नहीं बन पा रहा है ? इसे खुद यहां की जनता नहीं समझ पा रही है। हालांकि विधायक रोहित साहू, राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष चंदूलाल साहू भरसक प्रयासरत हैं, मगर इसमें रोड़ा अटकाने वाले लोग भी कम नहीं हैं। ये जनप्रतिनिधि प्रयास करते हैं, तो दूसरी ओर रोड़ा अटकाने वाले सफल हो जाते हैं। बात यदि शासन की करे तो कांग्रेस ने इस देश में और इस प्रदेश में काफी लंबे समय तक राज किया। यहां की जनता ने सर्वाधिक बार कांग्रेस का विधायक चुनकर भेजे। अब भाजपा की बारी है, तो स्वाभाविक है लोगों की उम्मीदें कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं।

नए कलेक्टर को समझने में लग सकता है वक्त
बता दें कि, इससे छोटे-छोटे कस्बाईनुमा शहर ग्राम पंचायत स्तर के जगहों पर आलीशान बस स्टैंड बना हुआ है। गरियाबंद जब जिला बना तो लोगों को लगने लगा कि, राजिम के विकास में चार चांद लग जाएंगे। परंतु एक भी चांद नहीं लग सका। कई कलेक्टर बदल गए परंतु यहां की दशा और दिशा नहीं बदली। विधायक रोहित साहू साफ कहते हैं कि, बहुत जल्द राजिम के गरिमा के अनुरूप भव्य बस स्टैंड बनेगा, जहां यात्रियो को सब प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध मिलेंगी। नगर पंचायत के नवनिर्वाचित अध्यक्ष महेश यादव भी विधायक रोहित साहू के साथ कदम ताल मिलाकर चल रहे हैं। वे भी चाहते हैं कि, जितनी जल्दी हो सके बस स्टैंड बनाया जाएगा। सब प्रकार की रुकावटें दूर हो जाएंगी। चूंकि गरियाबंद में अभी कलेक्टर नए आए हैं इसलिए राजिम को समझने में उन्हें थोड़ा सा वक्त जरूर लग सकता है।

संकरा है रास्ता, साइड लेने के लिए दो किमी. का इंतजार
मालूम हो कि, बस स्टैंड के अभाव में यात्री गाड़ियो की मजबूरी ही कहा जाए कि, उन्हें न चाहते हुए भी बीच सड़क में अपनी गाड़ियो को खड़ी कर सवारी बिठाना और उतारना भी पड़ता है। सड़के भी काफी सकरी हैं। सिर्फ एक गाड़ी के जाने लायक रास्ता बनता है और दूसरी ओर से आने लायक। शहर के बाहर होते तक हर मार्ग पर साइड लेने और देने के लिए एक से डेड़ किलोमीटर तक आपको पीछे ही चलना पड़ेगा तब कहीं साइड मिल पाएगी। इसे जिले के कलेक्टर और एसपी भी राजिम से गुजरते वक्त महसूस करते हैं। ऊपर से लावारिश मवेशियों के झुंड सड़कों पर चौबीसों घंटे खड़े रहकर न केवल बाधा पहुंचाती हैं बल्कि दुर्घटना के लिए जिम्मेदार भी बनती हैं। पता नही यहां इतनी बड़ी संख्या में हर मार्ग पर मवेशियो का झुंड आखिर आता कहां से है? कुल मिलाकर अव्यवस्थित राजिम शहर को व्यवस्थित होने के लिए बेसब्री से प्रतीक्षा है और यहां की जनता विधायक रोहित साहू के प्रति आशा भरी निगाह से देखते हुए पूरी तरह से विश्वास कर अपेक्षा रखे हुए है।

हजारों की संख्या में गुजरते हैं वाहन
राजिम एक जंक्शन है। यहां से महासमुंद, छुरा, गरियाबंद और रायपुर मार्ग के लिए यात्री गाड़ी सहित तमाम मालवाहक और दीगर वाहन हजारों की संख्या में गुजरती है। सभी रूटों के लिए जहां गाड़ियां खड़ी होती है, उसे पं. सुंदरलाल शर्मा चौक कहते हैं। इस चौक से होकर गाड़ियां आती-जाती है। चौक के सभी ओर सड़क तक लोग अपने व्यापार-व्यवसाय को फैलाकर रखते हैं। दोपहिया वाहन, सायकलों की ढेर नजर आती है। ट्रेक्टर चालक, मिनी बस बीच रोड में अपनी गाड़ी खड़ी कर देते हैं। ऊपर से तुर्रा यह कि फलवाले, चाट वाले भी सड़क पर ही ठेला लगाकर व्यवसाय करते हैं। इस तरह से सड़क और भी संकरी हो जाती है।

अब अफसरों से उम्मीद
राजिम क्षेत्र में रेत खदान होने की वजह से पूरे दिनभर भांय-भांय करते ओव्हरलोड हाईवा वाहन जानलेवा रफ्तार में दौड़ती है। बस स्टैण्ड से लेकर रायपुर रोड पर फॉरेस्ट नाका, महासमुंद रोड में तहसील आफिस और गरियाबंद मार्ग पर सांई मंदिर तक ट्रेफिक का दबाव इतना बढ़ा हुआ होता है कि यहां से सही-सलामत निकल गए, तो जिन्दगी बच गई, वर्ना दुर्घटना होना तय समझो। यह कोई एक दिन की बात नहीं है। गरियाबंद जब जिला बना, तो लोगों को यह उम्मीद थी कि जिला स्तर के आला अफसर एसपी, कलेक्टर से लेकर सारे विभागों के अधिकारी यहां रहेंगे। इससे राजिम शहर की स्थिति अवश्य सुधरेगी, मगर जिला बने कई बरस हो गए, स्थिति ज्यों की त्यों है। नागरिकों को उम्मीद है कि जब तक एसपी-कलेक्टर इस व्यवस्था के लिए अपने अधीनस्थों को निर्देशित नहीं करेंगे, तब तक शायद ही यह स्थिति सुधरेगी?

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