मानवता हुई शर्मसार: बूढ़ातालाब में तैरता मिला नवजात का शव

cruelty to newborn baby
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नवजात शिशु पर क्रूरता 

राजधानी रायपुर के बूढ़ातालाब में नवजात शिशु का शव मिला है। स्थानीय लोगों की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुंची गई।

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक बेहद दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। रविवार सुबह शहर के बूढ़ातालाब में एक नवजात शिशु का शव तैरता हुआ देखा गया। तालाब के किनारे टहल रहे स्थानीय लोगों की नज़र जब उस पर पड़ी तो उनके होश उड़ गए। तुरंत ही लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी।

इस मामले की जानकारी मिलते ही पुरानी बस्ती थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को तालाब से बाहर निकाला। फिलहाल पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी गई है। नवजात के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। इस हृदयविदारक घटना ने समाज में संवेदनाओं की गिरती स्थिति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, ताकि जल्द ही अज्ञात आरोपी पकड़ में आ जाए।

किसान ने बच्चे को पेड़ पर बांधकर पीटा
वहीं, 13 जून शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई थी। पत्थलगांव थाना क्षेत्र के लाखझर गांव में एक किसान ने नाबालिग बालक को पेड़ से बांधकर बुरी तरह पीटा था।

जानकारी के अनुसार, किसान करमु राम ने बिना किसी ठोस प्रमाण के बच्चे पर खेत में नुकसान पहुंचाने और पुआल जलाने का आरोप लगाया था। इसके बाद उसने दिनदहाड़े उस मासूम को पेड़ से बांधा और डंडों से बेरहमी से पीटा।

तस्वीरें पंचायत विकास समिति नामक व्हाट्सऐप ग्रुप में साझा की
घटना यहीं नहीं रुकी - करमु राम ने इस अमानवीय कृत्य की तस्वीरें पंचायत विकास समिति नामक व्हाट्सऐप ग्रुप में साझा किया, जो कानून और समाज की संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

परिजनों ने मौके पर पहुंचकर बच्चे को मुक्त कराया
बच्चे के परिजनों को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर उसे मुक्त कराया और आरोपी से मुआवजे की बात कर उसे रोका। घायल बालक को तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था।

बाल अधिकारों का खुला उल्लंघन
इस घटना ने ग्रामीण क्षेत्रों में बाल अधिकारों और कानूनी जागरूकता की चिंताजनक स्थिति को उजागर कर दिया। स्थानीय बाल संरक्षण अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता इसे एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन मानते हैं। उन्होंने कहा था कि, ऐसे मामलों में बच्चों को अक्सर चुप करा दिया जाता है, और आरोपी बिना किसी डर के खुलेआम घूमते हैं।

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