हरिभूमि INH का शिक्षा संवाद: सीएम साय बोले- सरकारी स्कूलों का स्टैंडर्ड प्राइवेट स्कूलों जैसा बनाएंगे, प्रदेश को जल्द मिलेगा नया शिक्षा मंत्री

हरिभूमि और आईएनएच की ओर से 'ज्ञान धारा शिक्षा संवाद' कार्यक्रम का आयोजन रविवार को रायपुर के होटल बेबीलोन कैपिटल में किया गया।

रायपुर। अवसर था हरिभूमि-आईएनएच के शिक्षा संवाद, ज्ञान धारा के आयोजन का। इस अवसर पर शिक्षक, प्राध्यापक, छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों के कुलपति और अनेक शिक्षविदों ने छत्तीसगढ़, और देश की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था, बदलाव और भविष्य की जरूरतों पर मेराथन मंथन किया। आर्टीफिशियल इंटेलीजेंसी, आनलाइन पढ़ाई, स्कूली शिक्षा की वर्तमान हालात पर चर्चा की गई।

इस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, तकनीकी शिक्षा एवं गृहमंत्री विजय शर्मा एवं राजस्व एवं खेल मंत्री टंकराम वर्मा ने अपने विचार साझा किए। विधायक पुरंदर मिश्रा, मोतीलाल साहू एवं गुरु खुशवंत साहेब ने गरिमामय उपस्थिति दी। समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने वाले दूर-दराज के शिक्षकों का सम्मान किया गया। खचाखर्च भरे हाल में जिज्ञासू छात्र, निजी विश्वविद्यालय, कालेज और स्कूलों के प्रतिनिधि-संचालक और प्रतिनिधि मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रविवार को कहा है कि राज्य के सरकारी स्कूलों का स्टैंडर्ड प्राइवेट स्कूलों की तरह किया जाएगा। श्री साय ने यह बात शिक्षा संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए आईएनएच-हरिभूमि के प्रधान संपादक डा. हिमांशु द्विवेदी के सवालों के जवाब में कही। इस मौके पर उन्होंने स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के उन्नयन- विकास की रूपरेखा पर अपनी बात रखी। इसके साथ ही उन्होंने अपने स्कूली जीवन से जुड़े प्रसंग पर विस्तार से अपनी बात रखी। हालत ये थी कि पांचवी की परीक्षा का सेंटर भी दूसरे गांव में होता था। स्कूल जाने के रास्ते में सड़कें खराब और कीचड़ से भरी होती थी। किसी दिन जब स्कूल जाने का मन नहीं होता तो कपड़ों में कीचड़ लगा लेते और स्कूल नहीं जाते थे।

स्कूल से ही सीखा अनुशासन
मुख्यमंत्री ने अपने स्कूल जीवन से मिले ज्ञान के बारे में बताया कि उन्हें स्कूली जीवन से अनुशासन सीखने का मौका मिला। उन्होंने यह बात इस सवाल के जवाब में कही, जब उनसे पूछा गया कि उन्हे स्कूल के समय के कोई गुरु याद आते हैं। इसके जवाब में उन्होंने बताया कि प्रायमरी में एक हेड मास्टर होते थे। वे डिसिप्लिन (अनुशासन) के पक्के थे। चाहे स्कूल समय पर आने की बात हो, होमवर्क करने की, वे अनुशासन का पूरा ख्याल रखते थे। उसी समय हेडमास्टर की एक बेटी भी वहां पढ़ती थी। अनुशासन नहीं मानने पर हेडमास्टर ने स्कूल में बेटी की सबसे सामने पिटाई कर दी थी। श्री साय ने कहा कि इसी समय से उन्होंने अनुशासन में रहना सीखा था।

स्कूल से मिली लीडरशिप
पंच से लेकर, सरपंच, विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री बनने वाले श्री साय का कहना है कि उन्हें स्कूल जीवन से ही लीडरशिप का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि जब वे छठवीं कक्षा में गए, तो उन्हें शाला नायक बनाया गया। इससे ही उन्हें लीडरशिप का अवसर स्कूल जीवन से मिला था।

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बस्तर में विकास पहुंचा रहे
श्री साय से पूछा गया कि बस्तर नक्सलवाद मुक्त हो रहा है, आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा की व्यवस्था कैसे कर रहे हैं। इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने बस्तर के संदर्भ में विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ समृद्ध राज्य है, यहां खनिज, आयरन, टिन, कोयला, गोल्ड, डायमंड से लेकर लिथियम, बॉक्साइट मिलता है।

राज्य में 44 प्रतिशत वन हैं। वनोपज है, लेकिन राज्य के विकास में बाधक रहा, तो वह नक्सलवाद है। 2023 में सरकार में हम आए तो गृह मंत्री (केंद्रीय) की समीक्षा में यह बात सामने आई कि देश का 70 प्रतिशत नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में है। अन्य राज्य में 30 प्रतिशत । हमें लगता है कि पिछले समय में इस संबंध में ठीक से काम नहीं हुआ है। फिर हमने नक्सलियों से आह्वान किया कि हिंसा छोड़ें हम पुनर्वास करेंगे। इस संबंध में उन्होंने राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा के प्रयासों का उल्लेख किया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक डेढ़ हजार से अधिक नक्सली आत्म समर्पण कर चुके हैं। जिन्होंने गोलीबारी जारी रखी, उनके खिलाफ ऑपरेशन किए गए। अब लगातार सुरक्षा कैंप खुल रहे हैं। एक कैंप खुलने से वहां के 10 किलोमीटर क्षेत्र में विकास के कार्य कराए जाते हैं। यह काम नियद नेल नार (आपका सुंदर गांव) योजना के माध्यम से कराए गए हैं। अब तक 50 कैंप खुले हैं और 300 गांव आबाद हुए हैं, जहां सड़क, पानी, बिजली, स्कूल, अस्पताल के साथ विकास भी पहुंचा रहे हैं। इसके साथ ही पर्यटन की संभावना भी बढ़ी है।

उच्च शिक्षा को प्रायवेट सेक्टर के समकक्ष लाएंगे - साय
मुख्यमंत्री से पूछा गया कि स्कूल शिक्षा के संदर्भ में आपने कहा कि इसे प्रायवेट स्कूल के स्टैंडर्ड में लाएंगे। लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रायवेट विश्वविद्यालय और सरकारी की बराबरी कैसे होगी। इसके जवाह में श्री साय ने कहा कि यह सही है कि प्रायवेट सेक्टर के स्टैंडर्ड के मामले में सरकारी कुछ पीछे रहते हैं, लेकिन हमारा प्रयास होगा कि इसे भी प्रायवेट के समकक्ष लाया जाए।

राज्य में उच्च शिक्षा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले यहां एक मेडिकल कालेज था, अब 15 हो गए हैं। पहले 150 डाक्टर होते थे, अब 15 हजार डाक्टर हैं। प्रदेश में 21 निजी विश्वविद्यालय चल रहे हैं, इनमें विदेश के बच्चे भी पढ़ने आ रहे हैं। पिछले 25 साल में राज्य में शिक्षण की सभी संस्थाएं बनी है। इनमें आईआईटी, आईआईएम, विधि विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान हैं। हमने शिक्षा के क्षेत्र में भी विजन 2047 रखा है।

सरपंच बनने की भी नहीं सोचा था
शिक्षा संवाद में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने जीवन से जुड़े कुछ खास पहलुओं पर भी अपनी बात रखी। उन्होनें बताया कि उनका परिवार शिक्षित था। परिवार के कई सदस्य विधायक, सासंद और मंत्री भी रहे। लेकिन मैने कभी नहीं सोचा थि कि विधायक, मंत्री या सांसद बनेंगे। हमने तो सरपंच बनने की भी नहीं सोची थी। लेकिन जब पढ़ाई चल रही थी, कभी घर वालों के कहने पर पंच का चुनाव लड़ा, पांच साल पंच रहे। पंचों में मैं ही सबसे अधिक पढ़ा लिखा था। फिर गांव के लोगों ने निर्विरोध सरपंच बनाया।

सरपंच बने 6 माह ही हुए थे कि विधानसभा चुनाव आ गया। उस समय नंद कुमार साय रायगढ़ के सांसद बने थे। इसी समय चाचा कहा करते थे, विधायक बनना है, 1990 में जब विधानसभा चुनाव आया तो एक सज्जन का टिकट पक्का हो गया था। उस समय दिलीप सिंह जुदेव सांसद और पार्टी के उपाध्यक्ष थे। विधानसभा चुनाव के समय दावेदारों की जो सूची बनी थी उसमें चार नाम थे, आखिरी नाम मेरा था। लेकिन आखिरकार मेरा नाम तय हुआ। एमपी के समय की ये बात है, उस समय 320 सीटे हुआ करती थी। संयोग से कांग्रेस के प्रत्याशी को उसका सिम्बाल नहीं मिला। वो 4000 वोट पाए और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। मैं 15 हजार वोटों से जीता था।

इसके बाद 1993 में चुनाव हुआ तो दूसरी बार विधायक बन गए। इसके बाद रायगढ़ लोकसभा का टिकट मिला, यह चुनाव भी जीते। इसके बाद 1999 से 2019 तक चार बार रायगढ़ के सांसद रहे। इसी बीच 2006 में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने का मौका मिला। 2014 में रायगढ़ लोकसभा सीट से 2 लाख 17 हजार वोटों से जीते थे।

इसके बाद जब मोदी जी का प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण होने वाला था तो इस कार्यक्रम को देखने के लिए दिल्ली जाना हुआ। 26 मई 2014 को दिल्ली में अपने फ्लैट में थे, तभी मोदी जी के यहां से फोन पर गुजरात भवन में आने का बुलावा आया। यहां गुजरात भवन में आने का बुलावा आया। यहां आने के बाद मोदी जी ने चाय पीते पीते बताया कि शाम को 6 बजे मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करनी है। इस तरह केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बन गए। लेकिन ये भी सही है कि मैंने कभी सरपंच बनने की भी नहीं सोची थी।

विरोध हुआ, तो स्थगित करना पड़ा
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उन्होंने युक्तियुक्तकरण करना चाहा तो इसका काफी विरोध हुआ था। प्रारंभिक विरोध देखने के बाद युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाना स्थगित करना पड़ा था, लेकिन फिर लगा कि यह करना ही चाहिए। तब यह किया गया। आज प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षक हैं। अब हम शिक्षकों की भर्ती भी करेंगे।

युक्तियुक्तकरण के बाद प्रदेश के सारे स्कूलों में शिक्षक
श्री साय ने शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कामकाज के बारे में जानकारी दी। दरअसल उनसे पूछा गया था कि जब आपके पास स्कूल शिक्षा विभाग आया तो आपने क्या महसूस किया। इसके जवाब में उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग काफी महत्वपूर्ण है। यह विभाग मिलने के बाद सबसे पहले स्कूल शिक्षा की पूरी समीक्षा चार घंटों तक की।

इस दौरान पता लगा कि देश में 29 छात्रों पर एक शिक्षक का राष्ट्रीय औसत है, जबकि छत्तीसगढ़ में यह औसत 19 छात्रों पर एक शिक्षक का है, जो राष्ट्रीय स्तर से अच्छा है। लेकिन इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में 300 प्राथामिक शालाओं में एक भी शिक्षक नहीं है। 5 हजार स्कूलों में एक शिक्षक ही है। कही स्टूडेंट से ज्यादा शिक्षक स्कूलों में है। कही एक भी स्टूडेंट नहीं है, पर शाला में शिक्षक हैं। यह देखने के बाद हमने युक्तियुक्तकरण करने का विचार किया।

सीएम ने याद किया अपना बचपन
शिक्षा संवाद कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने गांव बगिया जशपुर में बिताए बचपन के दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि हमारा गांव बगिया एक छोटा सा गांव छत्तीसगढ़ के पूर्वी क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है। यह एक सुंदर सा गांव नदी किनारे बसा और गांव की आबादी ढाई हजार थी। गांव के किसान परिवार में जन्म हुआ था। यहां परिवार का 12 गांव का समूह था। बंटवारा हुआ तो पिता को बगिया गांव मिला। 10 साल की उम्र में जब चौथी कक्षा में पढ़ रहे थे, तभी पिता का निधन हो गया। परिवार में दादी मां और चार भाइयों में सबसे बड़ा मैं था। हालांकि बड़े पिताजी का परिवार भी था। मेरे उपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। पढाई, घर, खेती, सब देखना था। बचपन का खेलकूद नसीब से छिन गया था।

हमने राज्य में लागू की नई शिक्षा नीति
मुख्यमंत्री श्री साय से पूछा गया कि आप स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती तो करेंगे, लेकिन छत्तीसगढ़ की जरूरतें क्या है। नई शिक्षा नीति भी लागू है। इसके जवाब में श्री साय ने कहा कि नई शिक्षा नीति वर्ष 2020 में नई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई है। हम राज्य सरकार में डेढ़ साल पहले आए हैं। हमने भी राज्य में शिक्षा नीति लागू की है। हम निचले स्तर पर भी 18 बोलियों में किताबें छपवा कर पढ़ाई करवा रहे हैं। राज्य में 350 पीएम श्री स्कूलें संचालित हैं। एक स्कूल के लिए केंद्र से 2 करोड़ रुपए मिलते हैं।

उन्होंने कहा कि हम राज्य की सरकारी स्कूलों का स्टैंडर्ड भी प्राइवेट स्कूलों की तरह करेंगे। उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि पिछली सरकार ने स्कूल जतन योजना प्रारंभ की थी। लेकिन जतन नहीं हुआ, कुछ और ही लोगों का जतन हो गया। इस मामले के लिए जांच बैठाई गई है, जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है।

बताया अपने स्कूली जीवन का अनुभव
शिक्षा संवाद कार्यक्रम में संभवतः पहली बार मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने स्कूली जीवन का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया- उन्होंने कहा उस समय गांव में ही प्राइमरी शिक्षा का हाल ये था कि गांव में पहले सभी लोग मिलकर स्कूल की मरम्मत करते थे। स्कूल की छत को सुधारते थे। लेकिन जब बारिश होती तो पानी टपकता रहता था। पानी टपकने की वजह से जगह बदलकर बैठना पड़ता था।

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