अरपा भैंसाझार परियोजना में गड़बड़ी पर एक्शन: तत्कालीन SDM आनंदरूप तिवारी सस्पेंड, मुआवजे की रकम में बंदरबाट का आरोप

Arpa Bhainsajar Project
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अरपा भैंसाझार परियोजना

अरपा भैंसाझार परियोजना में 4 करोड़ रुपए की गड़बड़ी के मामले में एक्शन लेते हुए सरकार ने कोटा के तत्कालीन SDM आनंदरूप तिवारी को निलंबित कर दिया है।

रायपुर। अरपा भैंसाझार परियोजना में 4 करोड़ रुपए की गड़बड़ी के मामले में एक्शन लेते हुए सरकार ने कोटा के तत्कालीन SDM आनंदरूप तिवारी को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई भू - अर्जन में अनियमितता और अरपा-भैंसाझार नहर निर्माण में गड़बड़ी को लेकर की गई है। आनंदरूप तिवारी भू अर्जन के समय एसडीएम थे।


एक ही खसरे का अलग-अलग रकबा दिखाकर बांटा मुआवजा
अरपा भैंसाझार परियोजना में एक ही खसरे का अलग-अलग रकबा दिखाकर मुआवजा बांटने में करीब 4 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की गई। मामला उजागर हुआ और जांच की गई, तब 10 से अधिकारियों को मामले में दोषी माना गया था लेकिन सिर्फ एक राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को बर्खास्त करने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। अब जांच का जिम्मा एसीबी व ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है। जल संसाधन विभाग के अवर सचिव ने सीई जल संसाधन विभाग को इस बारे में पत्र भी लिखा है। खास बात है कि अरपा भैंसाझार परियोजना के लिए शुरुआत में 606 करोड़ का बजट रखा गया था। विलंब और अन्य कारणों के चलते निर्माण लागत बढ़ती गई।

कागजों में नहर का एलाइमेंट बदल दिया
वर्त्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में बढ़ोतरी करते हुए इसके लिए 1141.90 करोड़ कर दिया है। परियोजना के तहत 370.55 किलोमीटर नहर निर्माण होना है लेकिन वर्तमान में 229.46 किलोमीटर ही नहर बन पाया है। इस मामले में पूरी गड़बड़ी राजस्व और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने मिलकर की। कुछ खास लोगों को करोड़ों रुपए मुआवजा के नाम पर रेवड़ी बांटने के लिए कागजों में नहर का एलाइमेंट बदल दिया है। तय जगह से तकरीबन 200 मीटर नेहर को आगे खिसका दिया गया जबकि उन लोगों की जमीन दूर-दूर तक नहर निर्माण के दायरे में नहीं आ रही थी। लेकिन फर्जी भूअर्जन का प्रकरण पटवारी ने बनाया और भूअर्जन अधिकारी ने करोड़ों का मुआवजा भी दे दिया।

एक खसरे का चार अलग-अलग रकबा दर्शाया
पिछली सरकार में जब विधानसभा में मामला उठा तो बताया गया कि इस प्रोजेक्ट में मुआवजा बांटने के बहाने 3.42 करोड़ का घोटाला कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। लेकिन, दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई। जिसके बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने दोबारा जांच टीम गठित की। जांच में पुष्टि हुई कि तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और भूअर्जन अधिकारी कोटा को भूअर्जन प्रकरण में एक खसरे का चार अलग-अलग रकबा दर्शाते हुए विरोधाभासी प्रतिवेदन दिया था। बटांकित खसरा नंबरों को बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के बगैर ही मर्ज कर दिया था।

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