गंगरेल बांध में केज लगाने से मर रही मछलियां: वाइल्ड लाइफ NGO ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका, मत्स्य विभाग से मांगा जवाब

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गंगरेल बांध में मछलियों के मरने पर हाईकोर्ट ने मत्स्य विभाग से मांगा जवाब

बिलासपुर हाई कोर्ट ने मछली और पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए लगाई गई याचिका में सुनवाई की है। कोर्ट ने मामले में मत्स्य विभाग से जवाब मांगा है।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में मछली, पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए जनहित याचिका लगाई गई है। जिसके बाद कोर्ट ने मत्स्य विभाग के सचिव से शपथपत्र में जवाब मांगा है। धमतरी के गंगरेल बांध में केज लगाने के कारण लगातार मछलियां मर रही है। जिसके चलते इनकी संख्या में कमी आई है। वहीं मामले में संज्ञान लेते हुए धमतरी वाइल्ड लाइफ NGO ने याचिका लगाई है।

याचिका में कहा गया है कि, मत्स्य विभाग ने फॉरेस्ट से बिना अनुमति लिए बांध में केज लगा दिया गया है। जिसके चलते मछलियों की संख्या में कमी आई है वहीं अब इन मछलियों के मरने के कारण बाहर से आने वाले पक्षियां कम हो रही है। अगली सुनवाई 24 अगस्त को मामले में होगी।

जबरिया सफर से स्ट्रेस में आया था हिमालयन भालू
वहीं छह माह पूर्व एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत नागालैंड जूलॉजिकल पार्क से लाए जा रहे नर हिमालयन भालू की मौत की पोस्टमार्टन रिपोर्ट हरिभूमि को मिली है। भालू की मौत की वजह तनाव में आना था। भालू को जब जंगल सफारी रायपुर लाने गाड़ी में चढ़ाया गया, उसी समय वह तनाव में आ गया और जोर-जोर से चिल्लाने के साथ रोने लगा। इसके बाद भालू को एक दिन रेस्ट दिया गया। दूसरे दिन पुनः गाड़ी में चढ़ाया गया, तो वह पुनः रोने के साथ चिल्लाने लगा। इसके बावजूद भालू को जबरन रायपुर लाने की कोशिश की गई। तनाव के कारण भालू ने रास्ते में दम तोड़ दिया।

तनाव में आने पर क्यों किया परिवहन
भालू एक ऐसा वन्यजीव है, जो अपनी जगह जल्दी से छोड़ना नहीं चाहता। भालू को जब गाड़ी में लादा गया, तो वह तनाव में आ गया। सामान्य करने एक दिन रेस्ट दिया गया। दूसरे दिन तनाव में आने के बाद भालू को जबरन क्यों लाया गया। इसे लेकर वन्यजीव के जानकार सवाल उठा रहे हैं। भालू की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने भालू की किसी तरह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक मिलने की बात से इनकार किया।

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