छत्तीसगढ़ में निकली नागों की अनूठी शोभयात्रा: मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन के बीच बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग

गरियाबंद में जहरीले सांपों की शोभायात्रा : ऋषि पंचमी पर देवरी गांव में अनोखी परंपरा
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सांकरा समाज ने सांपों की निकाली शोभायात्रा 

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक गांव है देवरी। यहां ऋषि पंचमी के दिन नगों की अनूठी शोभा यात्रा निकाली जाती है।

अश्वनी सिन्हा- गरियाबंद। परंपराओं और आस्थाओं की धरती छत्तीसगढ़ में आज भी कई ऐसी प्राचीन परंपराएं जीवंत हैं जो लोगों को चकित कर देती हैं। गरियाबंद जिले का एक गांव ऐसा है जहां ऋषि पंचमी के अवसर पर नागों की पूजा का अनूठा आयोजन किया जाता है। इस दिन गांव के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होकर नाग देवता को पूजते हैं और उनकी शोभायात्रा निकालते हैं। यह परंपरा वर्षों से लगातार चली आ रही है और अब यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि गांव की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान बन गई है।

मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन से गूंज उठा पूरा क्षेत्र
गांव के जय सांवरा गुरु पाठशाला परिसर में गुरुवार की सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। दूर-दराज से आए लोग इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बने। यहां पर बड़ी संख्या में नागदेवों की पूजा-अर्चना की गई। स्थानीय पुजारियों और बुजुर्गों ने विधि-विधान के साथ नागों को दूध, हल्दी, कुंकुम और फूल अर्पित किए। पूरे वातावरण में मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन की गूंज सुनाई देती रही।

नागों को सजाकर निकाली गई शोभा यात्रा
पूजा के बाद सभी नागदेवों को सजाकर गांव की गलियों से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग पारंपरिक वेशभूषा में जस गीत गाते और नृत्य करते हुए शामिल हुए। यात्रा का समापन शीतला तालाब, देवरी में हुआ, जहां नागदेवों की विशेष पूजा-अर्चना की गई और फिर परंपरानुसार उनका विसर्जन किया गया।

इस आयोजन के पीछे आस्था
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि, इस अनोखी परंपरा के पीछे आस्था है कि नागदेव वर्षा, उर्वरता और समृद्धि के देवता हैं। गांव में हर वर्ष ऋषि पंचमी पर सामूहिक पूजा और शोभायात्रा निकालकर लोग नागदेवों से गांव की खुशहाली, फसलों की सुरक्षा और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

गांव की सांस्कृतिक धरोहर बनी यह आयोजन
इस मौके पर दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि, ऐसी परंपराएं भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलक दिखाती हैं और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़े रखने का कार्य करती हैं। गांव में नाग पूजा का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भाईचारे, एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूत करता है।

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