पलारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे: 100 से ज्यादा गांवों के हर दिन आने वाले 200 मरीज बेहाल, डॉक्टर गायब

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पलारी
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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पलारी

बलौदाबाजार जिले के पलारी का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अव्यवस्थाओं का शिकार हो गया है। मरीज बेहाल हैं और डॉक्टर गायब रहते हैं।

कुश अग्रवाल-बलौदा बाजार। कभी पूरे प्रदेश में उत्कृष्टता का प्रतीक रहा बलौदा बाजार जिले का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पलारी अब अव्यवस्थाओं और लापरवाही का केंद्र बन गया है। ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिस केंद्र पर भरोसा था, वहीं अब मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

डॉक्टर की अनुपस्थिति, मरीजों की परेशानी
यह केंद्र 100 से अधिक गांवों के करीब 200 मरीजों को प्रतिदिन सेवा देने का दावा करता है, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। शुक्रवार शाम की घटना में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर आदित्य वर्मा ओपीडी में अनुपस्थित पाया गया। स्टाफ ने पहले बताया कि वह पोस्टमॉर्टम के लिए गया है, लेकिन जांच में पता चला कि डॉक्टर अपने कक्ष में दरवाजा बंद कर सो रहा था।

नशे में था डॉक्टर, मिडिया को देखकर खुद को कमरे में बंद किया
ओपीडी में मौजूद मरीजों और परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर नशे की हालत में था और ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। जब मीडिया मौके पर पहुंची, तो उसने खुद को अंदर से कमरे में बंद कर लिया। फार्मासिस्ट मरीजों को dr के ऑफिस में मरीजों को देखते मिला, वही औषधि केंद्र में कोई अन्य कर्मचारी मौजूद था।

आपातकालीन सेवा बाधित
स्थिति रात के समय और भी भयावह हो जाती है, जब इमरजेंसी केस आते हैं और डॉक्टर मौजूद नहीं होता। ऐसे में मरीजों को नर्सिंग स्टाफ और जीवनदीप समिति के भरोसे छोड़ दिया जाता है।


स्टाफ तो है, पर डॉक्टर नहीं
केंद्र में नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारी पर्याप्त हैं, लेकिन केवल एक डॉक्टर के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है। जब वही डॉक्टर ड्यूटी से नदारद हो या नशे में हो, तो इलाज की गुणवत्ता और मरीजों की सुरक्षा पर सवाल उठना लाज़मी है।

जनता में आक्रोश, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों में इस स्थिति को लेकर गहरा आक्रोश है। सभी ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की है। इस बारे में संबंधित कई अधिकारियों के पास फोन लगाया गया लेकिन कोई अधिकारी ने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा। अब समय आ गया है कि इस तरह की लापरवाहियों पर सख्त कदम उठाया जाए, ताकि ग्रामीण जनता को बेहतर और समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।

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