राज्य स्तरीय कार्यशाला: खनिजों के दोहन और उपयोग पर हुई चर्चा, ओजीपी क्षेत्रों की संभावनाओं पर दिया गया जोर

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राज्य स्तरीय कार्यशाला का हुआ आयोजन 

रायपुर में एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में खनिजों के दोहन पर तकनीकी सहित विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई।

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान छत्तीसगढ़ में सामरिक और रणनीतिक खनिजों के दोहन पर तकनीकी सहित विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई। कार्यशाला को नेशनल प्रोग्राम ऑन एक्सप्लोरेशन स्ट्रैटेजी और नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (NMET) के अंतर्गत संचालित प्रयासों को और गति प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए खनिज संसाधन विभाग के सचिव पी. दयानंद ने कहा - छत्तीसगढ़ खनिज संपदा से परिपूर्ण एक समृद्ध राज्य है। जहाँ 28 प्रकार के प्रमुख खनिज जैसे- कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, लौह अयस्क, बाक्साइट, टिन अयस्क के साथ-साथ लीथियम, कोबाल्ट तथा रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे सामरिक एवं परमाणु महत्व के खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। कार्यशाला का आयोजन खनिज संसाधन विभाग और छत्तीसगढ़ भूविज्ञान एवं खनन संचालनालय द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इसका उद्देश्य भारत की क्रिटिकल मिनरल्स क्षमता के समुचित दोहन के लिए वैज्ञानिक अन्वेषण तकनीकों को प्रोत्साहित करना है।


ओजीपी क्षेत्रों की संभावनाओं पर हुई चर्चा
कार्यशाला में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के रविकांत गुप्ता ने छत्तीसगढ़ की भूवैज्ञानिक विशेषताओं एवं ओजीपी क्षेत्रों की संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड के भुवनेश्वर कुमार ने लीथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट, निकल, टंगस्टन, फॉस्फेट जैसे खनिजों की खोज हेतु आधुनिक भू-भौतिकीय एवं भू-रासायनिक तकनीकों पर आधारित प्रस्तुति दी। एनएमईटी से अक्षय वर्मा ने प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया, वित्तीय सहायता और अनुदान नीतियों की जानकारी साझा करते हुए एनएमईटी के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों को रेखांकित किया और राज्य की अधिक सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया।

वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला में छत्तीसगढ़ की भूमिका पर बल
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि, छत्तीसगढ़ की खनिज विविधता और गुणवत्ता इसे वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी बना सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि खनिज उत्पादन, बाज़ार मांग और भविष्य की संभावनाओं के बीच संतुलन स्थापित कर राज्य खनिज आधारित औद्योगिक विकास का नेतृत्व कर सकता है।

प्रस्तावित की हुई समीक्षा
समापन सत्र में राज्य में अब तक किए गए खनिज सर्वेक्षणों, उनके निष्कर्षों एवं प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा की गई। अधिकारियों ने तकनीकी दक्षता तथा अंतर-विभागीय समन्वय को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। भूविज्ञान एवं खनन संचालनालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि खनिज संसाधन किसी भी राज्य की आर्थिक प्रगति का मूल आधार होते हैं। कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि पारदर्शी, तकनीकी रूप से सक्षम एवं समयबद्ध प्रक्रियाएं अपनाकर छत्तीसगढ़ न केवल निजी एवं सार्वजनिक निवेश को आकर्षित कर सकता है।

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