पढ़ाई क्यों छोड़ रहे गरीब बच्चे : आरटीआई के ड्रॉप आउट से पूछेंगे सवाल, सरकार पता लगाएगी...कौन है जिम्मेदार

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आरटीई के ड्रॉप आउट बच्चे
राज्य सरकार ने जिलों के सभी कलेक्टरों को निर्देश दे दिया है कि, आरटीई के जरिए बच्चों के ड्राप आउट करने वालों की रिपोर्ट दी जाए। 

रायपुर- छत्तीसगढ़ में अक्सर गरीब परिवार के लोग पढ़ाई छोड़ने का मन बना लेते हैं। क्योंकि गरीबी के कारण माता-पिता उन्हें अच्छे स्कूलों में शिक्षा नहीं दे सकते हैं। वहीं कुछ बच्चों को तो अपने घर का भार बहुत छोटी उम्र में उठाना पढ़ता है। अधिकतर बच्चे 1 या 2 साल में पढ़ाई छोड़ देते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि राज्य सरकार ने जिलों के सभी कलेक्टरों को निर्देश दे दिया है कि, आरटीई के जरिए बच्चों के ड्राप आउट करने वालों की रिपोर्ट दी जाए।

पालकों का मोबाइल नंबर दिया जाएगा

बता दें, अगर गरीब का बच्चा प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहता है तो स्कूल प्रबंधन के कारण अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ेगा। आरटीई के माध्यम से बच्चों के ड्राप आउट करने को लेकर सर्वे किया जाएगा। ताकि पता चल सके कि पारिवारिक कारण है या फिर स्कूल प्रबंधन की वजह से स्कूल छोड़ रहे हैं।

कितने जिलों में 16 हजार बच्चों को दाखिल दिया गया

जानकारी के मुताबिक, 7 जिलों में- इनमें रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, कवर्धा, जशपुर और जगदलपुर में आरटीई के जरिए लॉटरी पर दाखिला हुआ है। इन जिलों में 16 हजार बच्चों का दाखिला किया गया है। जिसमें से रायपुर में 5 हजार 126, दुर्ग में 4 हजार 293 सीटें हैं। बिलासपुर में 4 हजार 558, राजनांदगांव 1 हजार 703 सीटें हैं। कवर्धा में 1 हजार 351 सीटों पर स्टूडेंट्स का चयन हुआ है।

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