विद्यासागर महाराज ब्रम्हलीन : बड़े बाबा के दरबार में जुटेंगे छोटे बाबा के शिष्य, समय सागर का होगा पदारोहण

Disciple Director Munishree Samay Sagar
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25 फरवरी को आचार्यश्री के लिए विनयांजलि सभा आयोजित की गई है। यह आयोजन पूरे देश में एक साथ होगा।

राजनांदगांव। जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज के ब्रम्हलीन होने के बाद मुनिश्री समय सागर का नया आचार्य बनना तय है। हालांकि अब तक इसकी कोई अधिकृत घोषणा नहीं हुई। कहा जा रहा था कि मुनिश्री के चंद्रगिरि पहुंचने के बाद आगे का कार्यक्रम तय होगा, किन्तु अब यह साफ हो गया है कि आचार्य पदारोहण संस्कार चंद्रगिरि के बजाय दमोह जिले में स्थित कुंडलपुर जैन तीर्थ में होगा। सभी मुनि संघों को कुंडलपुर पहुंचने कह दिया गया है। उल्लेखनीय है कि, तप शिरोमणी जैनाचार्य विद्यासागर जी महाराज बीते शनिवार की मध्य रात्रि को समाधिस्थ हो गए थे।

आचार्यश्री की समाधि होने के बाद यह कहा गया कि उन्होंने निर्यापक मुनि योग सागर के समक्ष आचार्य पद त्याग करने और इस पद के लिए अपने पहले शिष्य निर्यापक मुनिश्री समय सागर को योग पाते पद सौंपने की मंशा जाहिर किया था। इस खुलासे के बाद यह संभावना व्यक्त की जा रही थी कि मुनिश्री समय सागर जी महाराज, जो विहार करते हुए कल या शुक्रवार को चंद्रगिरि पहुंचने वाले हैं, के पहुंचते ही अगले कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।

साधुओं की बदली दिशा

जानकारी के अनुसार, कुंडलपुर में आचार्य पदारोहण संस्कार होगा। मुनिश्री समय सागर जी के आदेश आने के उपरांत समी संघ का विहार कुंडलपुर की तरफ हो गया है। 25 फरवरी को आचार्यश्री के लिए विनयांजलि सभा आयोजित की गई है। यह आयोजन पूरे देश में एक साथ होगा। इस कार्यक्रम के बाद आचार्य विद्यासागर जी महाराज के सभी शिष्य कुंडलपुर की ओर विहार कर जाएंगे।

इसलिए बदला कार्यक्रम

विदित हो कि अगले आचार्य के लिए मुनिश्री समय सागर जी का नाम प्रस्तावित है, लेकिन संघ के प्रतिष्ठाचार्य द्वारा अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, क्योंकि उनका मानना है कि मुनिश्री समय सागर शायद इस जिम्मेदारी को लेने से मना कर दें, इसलिए सर्वप्रथम उनका क्षेत्र पर आने का इंतजार है। प्रतिष्ठाचार्य का कहना है कि किसी कारण से अगर समय सागर मुनि महाराज ने मना किया तो हम उनसे विनती कर उन्हें मनाएंगे, क्योंकि सर्वप्रथम आचार्य पद की जिम्मेदारी देना जरूरी है। मुनिश्री समय सागर जी द्वारा आचार्य पद ग्रहण करने की स्वीकृति देने पर आचार्य पद संस्कार कुंडलपुर जी तीर्थ पर होगा।

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