वनांचल में दम तोड़ती व्यवस्था : बिना डाक्टर के अस्पताल, बिना मेडिकल स्टाफ का एंबुलेंस! यहां जान की कोई कीमत नहीं

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बारसूर
बस्तर के अंदरुनी गांव में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान समय पर उपचार नहीं मिलने से उसकी जान चली गई। गांव के सरपंच, मितानिन डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। 

पंकज भदौरिया-दंतेवाड़ा। सरकारें चाहे कितने भी दावे कर लें लेकिन बस्तर के अंदरूनी इलाकों की तस्वीर जस की तस है। यहां पर स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। बारसूर इलाके में इंद्रावती नदी पार स्थित हर्राकोड़र गांव के कपेमारी से दिल झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। दरअसल यहां पर प्रसव पीड़ा से परेशान महिला के लिए कॉल कर एंबुलेंस बुलाया गया। उस एंबुलेंस में सिर्फ चालक था उसके साथ न तो कोई एएनएम थी और न ही कोई ईएमटी था।

जब तक गांव में एंबुलेंस पहुंची तब तक महिला बच्चे को जन्म दे चुकी थी। इसके बाद प्रसव पीड़ा से ग्रसित बत्ती बाई बेहोश हो गई। एरपुंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई स्टाफ नहीं था इस वजह से एंबुलेंस से प्रसूता को दंतेवाड़ा जिले के बारसूर उपस्वास्थ्य केंद्र के लिए लाया जा रहा था। एंबुलेंस में स्वास्थ्य उपकरण नहीं थे, जिसके कारण प्रसूता को न तो ऑक्सीजन मिल सकी न ही कोई प्राथमिक उपचार। इस वजह से प्रसूता ने बारसूर उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।

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प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र हितेमेटा

मृतका मृतिका के पति ने एरपुंड के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर लगाया लापरवाही का आरोप

वहीं मृतका के पति पांडे ने बताया कि, सुबह मेरी पत्नी को पेट दर्द शुरू हुआ उसके बाद मैंने पड़ोसी के घर जाकर एरपुंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के एंबुलेंस को बुलाया। एंबुलेंस के पहुंचने से पहले ही मेरी पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया। जो एंबुलेंस आई थी वह भी नॉर्मल एंबुलेंस थी उसमें कोई सुविधा नहीं थी। एरपुंड पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कोई स्टाफ नहीं होने के कारण हम बारसूर लेकर जा रहे थे। ऐरपुंड में स्थित हितामेटा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समय पर नहीं खुलता है यहां के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी सुबह 11 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं और 3 बजे अस्पताल बंद कर वापस बारसूर चले जाते हैं। रात में भी कोई स्टाफ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं ठहरते हैं सभी स्टाफ बारसूर जाकर रुकते हैं। इस कारण हम बारसूर स्वास्थ्य केंद्र जा रहे थे। जब वहां पहुंचे तो बारसूर स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने मेरी पत्नी को मृत घोषित कर दिया।

सरपंच और मितानिन ने भी स्वास्थ्य कर्मियों पर गैरजिम्मेदारी का लगाया आरोप

हर्राकोड़र गांव के सरपंच पति और मितानिन का आरोप है कि, एरपुंड पंचायत में तीन पंचायतों हर्राकोड़र, एरपुंड, बोदली और नारायणपुर के अबूझमाड़ से लगे गांवों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला गया है। यहां स्टाफ तो है मगर वह सुबह 11 बजे आते हैं और दोपहर 3 बजे तक अस्पताल बंद कर चले जाते हैं। रात को भी कोई कर्मचारी अस्पताल में नहीं रहते। अगर रात में कोई घटना घटित होती है तो हम निजी वाहनों से बारसूर स्वास्थ्य केन्द्र जाते हैं।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधा न होने से दिक्कतों का करना पड़ता है सामना

एरपुंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर और स्टाफ के लापरवाही की वजह से गर्भवती बत्ती बाई की जान गई है। पहले भी इस लापरवाही के कारण कई लोगों की जान गई है। समय पर यहां कोई डॉक्टर और स्टाफ नर्स उपलब्ध नहीं रहते हैं। खासकर रात को हमें बहुत दिक्कतों का समाना करना पड़ता है। जब गांव में कोई हादसा होता है तो समय पर एंबुलेंस भी मुहैया नहीं हो पाता है। मरीजों को निजी वाहनों से बारसूर स्वास्थ्य केन्द्र या दंतेवाड़ा जिला अस्पताल ले जाना पड़ता है। गांव में सड़क मोबाइल नेटवर्क की सुविधा होने के बावजूद भी यहां के स्वास्थ्य कर्मी बारसूर में डेरा जमाकर रहते हैं।

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