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बर्न और प्लास्टिक सर्जरी सेंटर में डॉ. कालड़ा ने शैलजा को नई जिंदगी दी है। इस दौरान उन्होंने क्या कहा...पढ़िए

रायपुर- पचपेढ़ी नाका के कलर्स माल स्थित बर्न और प्लास्टिक सर्जरी सेंटर में डॉ. कालड़ा ने शैलजा को नई जिंदगी दी है। इस दौरान उन्होंने कहा कि, 18 अटूबर 2023 को 38 साल की शैलजा के कपड़ों में घरेलू कार्य करते हुए आग लग गई थी। जैसे ही शरीर में आग लगी तो उसे पास के अस्पताल ले जाया गया था। उसके बाद उसका बिलासपुर में प्राइमरी इलाज चला था। लेकिन उसमें कोई सुधार नही दिखा, बल्कि मरीज की हालत पहले से ज्यादा खराब होते चली गई, मरीज की तबीयत खराब होता देख परिजन मरीज को कालड़ा प्लास्टिक कॉस्मेटिक सर्जरी और बर्न सेंटर लेकर आए और यहां पर आकर शैलजा का करीब 2-3 महीने तक ईलाज चला, उसके बाद स्वस्थ होकर वो आज अपने घर जा रही है। 

55 से 60 प्रतिशत तक जल गई थी...

बता दें, शैलजा लगभग 55 से 60 प्रतिशत तक जल गई थी। बचने की उम्मीद कम हो गई थी। सुपर बर्न आईसीयू में रखकर रोज ड्रेसिंग की गई, उनका लड और प्लेटलेट नही बन रही था, लगभग 30-40 बॉटल लड/प्लेटलेट लगाई गई थी। 2 बार स्कीन बैंक से स्कीन लगाई गई। इसके बाद वो ठीक होती चली गई। इस दौरान शैलजा का इलाज करने के लिए डॉ. सुनील कालड़ा, डॉ. सुंदरानी,  डॉ. दास,  डॉ. गोयल,  डॉ. कुलकर्णी, गुलाब, बलराम और बाकी नर्सिंग स्टॉफ की देखरेख में हुआ है। 

इन समस्याओं से मिलती है राहत...

जानकारी के मुताबकि, कालड़ा प्लास्टिक कॉस्मेटिक सर्जरी और बर्न सेंटर में मरीजों की बहुत ही अच्छी तरह से केयर की जाती है। जिससे 90 प्रतिशत जले मरीजों को भी ठीक किया गया है। डॉ. कालड़ा ने बताया कि, जलने के बाद यदि मरीजों का सही तरह से इलाज नहीं होता तोजान को खतरा बन जाता है और बाद में स्कीन मोटी हो जाती है। जिससे शरीर में खुजली होने लगती है और शरीर के हिस्से जैसे हाथ, पैर या गर्दन की स्कीन चिपक जाती है। जिससे मरीज सामान्य जीवन नही जी पाता। इन सभी दिकक्तों को हमारा हॉस्पिटल ठीक कर देता है। 

स्कीन बैंक के इस्तेमाल से क्या फायदा होता है...

डॉ. कालड़ा ने बताया कि, हमारे यहां एसलूजिव स्कीन बैंक भी है। जिसकी स्कीन इस मरीज को लगाई गई है। जो पूरे भारत में बहुत ही कम जगहों पर मिलती है। स्कीन बैंक के जरिए मरीज को 6 घंटे के अंदर सुरक्षित निकाला जाता है और उसे 5 साल तक स्टोर कर सुरक्षित स्कीन बैंक में रखा जाता है। गंभीर तरीके से जले हुए मरीजों को स्कीन की जरूरत पड़ने पर मरीज के शरीर में लगाया जा सकता है। स्कीन बैंक में कोई भी जीवित या मृत अपनी इच्छानुसार अपनी स्कीन दान कर सकता है। उन्होंने आगे बताया कि, हमारे यहां बर्न सेंटर में निम्न सुविधाएं उपलध है। 10 इंटेंसिव आइसोलेशन केयर ग्लास केबिन, हेपा फिल्टर/लेमिनर फ्लो 100 प्रतिशत जीवाणु रहित ग्लास केबिन, मल्टीपैरा मॉनीटर्स, वेंटिलेटर, सेंट्रल ऑसीजन सप्लाई, सेंट्रल सशन, जले हुए मरीजों हेतु विशेष बिस्तर, प्रति बिस्तर के लिए समर्पित स्टॉफ शॉवर ट्राली समेत अत्याधुनिक बर्न युनिट भी है।

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