हाईकोर्ट में नई पहल : सात याचिकाएं हिंदी में, हिंदी में ही बहस, हिंदी में ही दिया गया आदेश 

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बिलासपुर हाईकोर्ट
हाईकोर्ट में 7 याचिकाएं हिंदी में दायर की गईं। इसमें बहस भी दोनों पक्षों में हिंदी में हुई। जस्टिस ए. के. प्रसाद ने इन सात याचिकाओं पर आदेश भी हिंदी में ही जारी किया है।

बिलासपुर। हाईकोर्ट में 7 याचिकाएं हिंदी में दायर की गईं। इसमें बहस भी दोनों पक्षों में हिंदी में हुई और जस्टिस ए. के. प्रसाद ने इन सात याचिकाओं पर आदेश भी हिंदी में ही जारी किया है। कोर्ट ने दैनिक भोगी कर्मियों को एकाएक काम से निकालने और उनका बकाया भुगतान नहीं देने के मामले में 45 दिन में निराकरण करने का निर्देश दिया है।

जांजगीर चांपा जिले के दूरस्थ ग्रामों में रहने वाले सावित्री साहू, भगवती देवांगन, सुनील कुमार बंजारा धनेश्वरी, गायत्री मनहर शशि कला यादव, कार्तिक राम, भानु प्रताप, करण सिंह सूर्यवंशी, पूनम खरे,सुनीता कश्यप, देवकुमारी मरावी, अनिरुद्ध सिंह छत्री, गनेशिया देवी, प्रेमा भाई खरे, गायत्री चांदने आदि ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी।

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याचिका में कहा गया कि वे सभी जांजगीर चांपा जिले के विभिन्न विकासखंडो के अंतर्गत आदिवासी विकास विभाग के आश्रमों में सफाई कर्मी, रसोईया के तौर पर दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे हैं। सभी को जनवरी 2025 से विभिन्न कारण बताते हुए एकाएक काम से हटा दिया गया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं को जून 2022 से मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया है।

कोर्ट ने दिया यह निर्देश

सुनवाई के बाद कोर्ट ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जांजगीर चांपा एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शक्ति एवं अन्य को निर्देशित किया है की मामले का निराकरण 45 दिन में करें।

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