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छत्तीसगढ़ में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारियां ग्राउंड लेबल पर शुरू हो गई हैं। इसके लिए प्रशिक्षणों का आयोजन भी किया जाने लगा है।

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के जिला परियोजना कार्यालय में एक दिवसीय जिला स्तरीय बहुभाषी शिक्षा प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किया गया है। मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता वर्ष 2026-27 तक कक्षा 3 के बच्चों के लिये सार्वभौमिक साक्षरता और संख्यात्मकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से निपुण-भारत कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह प्रशिक्षण मास्टर ट्रेनर्स सावित्री साहू बेरला और शीतल बैस के द्वारा दिया गया है। एपीसी कमल नारायण शर्मा और पीएमयू प्रवीण सोनकर के निर्देश में एक दिवसीय प्रशिक्षण में बहुभाषी शिक्षण की आवश्यकता और चुनौती पर बिंदुवार विस्तार से चर्चा की गई। 

स्कूली शिक्षा में सीखने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है भाषा सभी कुछ सीखने का आधार है। किसी की बात को ध्यानपूर्वक सुनते हैं, कहानी/कविता पढ़ते हैं और समझने के लिए तर्क और निष्कर्ष निकालने, तो ये सभी काम भाषा के माध्यम से होते हैं। यदि बच्चों को विद्यालय की भाषा न आती हो तो उनके लिए शिक्षा से जुड़ना असंभव हो जाता है। बच्चों की समझ की भाषा का शिक्षण में इस्तेमाल अनिवार्य है। इसी सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा रायपुर के मार्गदर्शन में मुलभूत साक्षरता एवं गणितीय कौशल के अंतर्गत बहुभाषा शिक्षण के जमीनी क्रियान्वयन के लिए अनुकूल वातावरण निर्मित करने की शुरुआत की गई है।

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इस जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा बेमेतरा के नेतृत्व में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के घर की भाषा को स्कूली भाषा में सतत अवसर देने के लिए जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ए. पी. सी. कमल नारायण शर्मा, बेमेतरा बी. आर. सी. सतीश शर्मा, पी. एम. यू. प्रवीण सोनकर के द्वारा कार्यशाला को शुरू किया गया। इस कार्य के लिए जिले के चार विकासखड़ बेमेतरा, बेरला, साजा, नवागढ़ के 40 शिक्षकों का चयन किया गया है। ये सभी अपने विकासखंड में संकुलों को समूह में जोड़कर प्रत्येक प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।  

घर और स्कूल की भाषा में सेतु बनाने का प्रयास

सीखने में भाषा की भूमिका और प्रथम भाषा के माध्यम से सीखने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने आतिथ्य उद्बोधन में ए. पी. सी. कमल नारायण शर्मा ने कहा कि, निपुण भारत मिशन के तहत हमें यह सुनिश्चित करना है कि, वर्ष 2026-27 तक कक्षा पहली, दूसरी और तीसरी में पढ़ने वाले सभी बच्चे बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान के कौशलों को हासिल कर लें। उन्होंने उपस्थित 40 स्त्रोत व्यक्तियों को इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए मजबूती के साथ कर्तव्य निर्वहन के अलावा विद्यालयों में अधिकारियों के अवलोकन के समय समुचित कार्य व्यवहार पूर्ण करने के लिए भी प्रेरित किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, वर्तमान में प्रारम्भिक कक्षाओं में बच्चों के घर की भाषा और स्कूल की भाषा में जो भी अंतर हैं, उनके बीच एक सेतु बनाने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। 

दूर की गईं भ्रांतियां

राज्य स्त्रोत समूह ने इस एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में सर्वप्रथम शीतल बैस ने प्रथम सत्रीय योजनाओं में प्रतिभागियों को गूगल फॉर्म में प्रशिक्षण पूर्व आकलन के माध्यम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और बहुभाषिता जैसे 10 वैकल्पिक प्रश्नों के द्वारा परिचर्चा की शुरुआत की। इसके बाद राज्य स्त्रोत व्यक्ति सावित्री साहू ने बहुभाषी शिक्षा क्या है? बहुभाषी शिक्षा के लाभ, भाषा विकास से संबंधित भ्रांतियाँ, दूसरी भाषा क्या है? प्रथम भाषा और दूसरी भाषा में क्या अंतर है ? विषय पर चर्चा करते हुए भारतेंदु हरिशचंद की पंक्ति के बारे में बताया गया है। 

 निज भाषा उन्नति है, सब उन्नति का मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल से बताया कि, भाषाएं हमें अपनी जड़ों से जोड़ती हैं। स्कूलों में बहुभाषी शिक्षा के लागू करने के तरीके, संतुलित भाषा पद्धति चार खंडीय रुपरेखा, सामुदायिक सहभागिता कहानी कथन उत्सव की बात बताई। अंत में चार भाषायी परिस्थितियों, बहुभाषीशिक्षण के अंतर्गत बच्चों को दूसरी भाषा सिखाने की रणनीतियां, स्कूलों में अपनाये जाने वाले तरीकों शिक्षण अधिगम सामग्री और शाला संग्रहालय के बारे में जानकारी दी। 

ये लोग थे शामिल 

शिक्षण के अंतर्गत बच्चों को दूसरी भाषा सिखाने की रणनीतियां, स्कूलों में अपनाये जाने वाले तरीकों शिक्षण छत्तीसगढ़ी शैली में ही पूरे विश्व तक पहुँचाने के योगदान को मातृभाषा (बहुभाषा) के ज्वलंत और सशक्त उदाहरण के रूप में पेश किया। धाराप्रवाह औरं लयबद्ध पठन के लिए करा ओके गीत की प्रस्तुति अभ्यास और डिजिटल साक्षरता कौशल के तहत गूगल फॉर्म में प्रश्नोत्तरी बनाने का अभ्यास कराया गया। कार्यशाला की गुणवत्ता के बारे में प्रतिभागियों ने प्रत्यक्ष और लिखित रूप से सार्थक, उपयोगी और सकारात्मक प्रतिक्रिया प्रदान की। इस प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर्स के रूप में गोपेश्वरी साहू, चंदा सिन्हा, ममता गायकवाड़ सहित सभी 40 मास्टर ट्रेनर्स उपस्थित थे।

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