अंगेश हिरवानी - नगरी। वन विभाग के जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। टाइगर रिजर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्र में हाथी-मानव संघर्ष रोकने के लिए तैनात गजराज वाहन का इस्तेमाल अब पुराने ईंटों और कवेलू के परिवहन में किया जा रहा है। यह वाहन वन्यप्राणियों की सुरक्षा और आपात स्थितियों में उपयोग के लिए होता है। लेकिन अब इसका प्रयोग अवैध निर्माण सामग्री ढोने में किया जा रहा है।
नगरी। वन विभाग के जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार, टाइगर रिजर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्र में हाथी-मानव संघर्ष रोकने के लिए तैनात गजराज वाहन का इस्तेमाल अब पुराने ईंटों और कवेलू के परिवहन में किया जा रहा है. @DhamtariDist #ChhattisgarhNews @ForestCgGov #CGNews pic.twitter.com/zD1SPj5VfY
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) April 16, 2025
मामला धमतरी जिले के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के अरसीकन्हार वन परिक्षेत्र का है। यहां 2018-19 में राज्य कैम्पा मद से वनपाल एवं वनरक्षकों के लिए आवास, सीसी रोड, बाउंड्री वॉल और वाहन शेड निर्माण हेतु 1.15 करोड़ रुपये की लागत से कार्य स्वीकृत किए गए थे। निर्माण कार्य पिछले 4-5 वर्षों से अधूरे हैं और गुणवत्ता की स्थिति भी सवालों के घेरे में है।
धमतरी जिले में गजराज वाहन से हो रहा पुराने ईंटों का अवैध परिवह। @DhamtariDist #Chhattisgarh pic.twitter.com/Z6v6RHmQGZ
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पुराने ईंटों से हो रहा नया निर्माण
निर्माण स्थलों को देखकर पता चला कि, फरसगांव में डिस्मेंटल हुए पुराने भवनों से ईंटें लाकर नए आवासों के शौचालय टैंक और सीढ़ियों में इस्तेमाल की जा रही हैं। ये ईंटें गजराज वाहन से ढोई जा रही है। जिससे अब यह वाहन खुद बुरी तरह जर्जर हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि, क्या वन विभाग के पास इतना भी बजट नहीं कि नए निर्माण में नई ईंटें इस्तेमाल कर सके। निर्माण कार्य की धीमी गति और घटिया गुणवत्ता से ग्रामीणों में विभाग के प्रति भारी नाराजगी है। अधूरे आवासों में अब आवारा मवेशियों ने डेरा डाल लिया है, और दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं। इस गंभीर मामले पर जब विभागीय पक्ष जानने के लिए वन विभाग कार्यालय का दौरा किया गया। तो पाया गया कि क्षेत्रीय अधिकारी किसी कार्य से गरियाबंद गए हैं। उनसे फोन पर संपर्क का प्रयास भी विफल रहा।