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आज हम आपको बता रहे हैं धमतरी के पास स्थित गंगरेल डैम के बारे में। महानदी पर बने गंगरेल डैम को रविशंकर जलाशय के नाम से भी जाना जाता है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध है। पर्यटन के लिहाज से गंगरेल डैम पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। महानदी पर बने इस बेहद खूबसूरत बांध में अथाह जल राशि किसी समुद्री द्वीप जैसा अहसास कराती है। इसी के चलते गंगरेल डैम की पहचान ‘छत्तीसगढ़ के मिनी गोवा’ के रूप में होती है।

छत्तीसगढ़ के सबसे लम्बे बांध के रूप में पहचाने जाने वाले रविशंकर जलाशय, को गंगरेल बांध के रूप में जाना जाता है। इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। इसके बेहतरीन नजारों के कारण ही दूर-दूर से लोग यहां घूमने आते हैं। करीब 1830 मीटर लंबे और सौ फीट ऊंचे इस बांध के पानी से लगभग 57000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। ये भिलाई स्टील प्लांट और नई राजधानी नवा रायपुर को भी पानी उपलब्ध कराता है। बांध में 10 मेगावॉट की हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट भी काम कर रहा है। विशालकाय डैम, अंगरमोती माता दर्शन, मानव वन, पिकनिक स्पॉट, एडवेंचर स्पोर्ट्स, वाटर स्पोर्ट्स, जंगल ट्रेकिंग, नाईट कैम्प, बोटिंग के अलावा यहां पर्यटकों के लिए बहुत कुछ है।

निर्माण में लगे 6 साल

गंगरेल बांध निर्माण के लिए 1965 में सर्वे का काम शुरु हुआ था। वर्तमान जगह पर गंगरेल गांव के पास दो पहाड़ों के बीच इसका निर्माण करने का निर्णय लिया गया। इसका शिलान्यास 5 मई 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। बांध 1978 में बनकर तैयार हुआ। 32.150 टीएमसी क्षमता वाले इस बांध का जलग्रहण क्षेत्र मीलों तक फैला है। 15 हजार क्यूसेक पानी की क्षमता वाले इस बांध में कुल 14 गेट बने हुए हैं। बरसात के दिनों में बांध के गेट खोलने पड़ते हैं और तब यहां का नजारा बेहद शानदार हो जाता है।

आर्टिफिशियल बीच और वॉटर स्पोर्ट्स 

ये बांध छत्तीसगढ़ के एक बड़े हिस्से के लिए पानी, सिंचाई और बिजली उत्पादन के साथ ही पर्यटन के लिहाज से महत्वपूण स्थल बन चुका है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर और शानदार बनाया गया है। पर्यटकों को ध्यान में रखकर यहां करीब 1 किलोमीटर की दूरी में आर्टिफिशियल बीच का निर्माण किया गया है। इसमें पर्यटकों के लिए कई तरह के वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज की सुविधा है। इसमें शेयरिंग बोट, स्पीड बोट, हाई स्पीड बोट, पैरासीलिंग, ऑकटेन, बनाना राइड, पीडब्ल्यूसी बाइक, वॉटर सायकल, जार्बिन बॉल, कयाक, पायडल सहित कई तरह की वॉटर एक्टिविटी शामिल हैं। 
 
बरदिहा लेक व्यू टूरिस्ट रिसॉर्ट

प्रशासन द्वारा बांध के पास ही बरदिहा लेक व्यू टूरिस्ट कॉटेज का निर्माण किया गया है। यहां ठहरने से खाने-पीने तक की सारी व्यवस्था है। कॉटेज से बांध के गेट और दूर तक फैले पानी का शानदार नजारा दिखता है। इन सभी कॉटेज की बॉलकनी से बैठे-बैठे ही सामने डैम का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। यहां दो तरह के कॉटेज उपलब्ध हैं जिसे आप अपने बजट के हिसाब से बुक कर सकते हैं। एक वुडन कॉटेज है, जबकि दूसरे टेंट के डिजाइन में बने हैं।

ये नहीं देखा तो गंगरेल नहीं देखा 

गंगरेल बांध घूमने के लिए आते हैं तो बांध के पास ही स्थित छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े पार्क ग्रीन एडवेंचर रिसॉर्ट को घूमना ना भूलें। ग्रीन एडवेंचर रिसॉर्ट का स्लोगन है कि ये नहीं देखा तो गंगरेल नहीं देखा। यहां कई तरह की सुविधाएं हैं। इसमें झूला, स्लाइडर, वॉटर फॉल, गजीबो, सेल्फी प्वाइंट, गेम जोन, लक्ष्मण झूला, ओपन एयर थिएटर, रेस्टोरेंट आदि शामिल है। फोटोग्राफी, पिकनिक और किसी तरह की पार्टी सेलिब्रेट करने के लिए यह जगह बेस्ट है। यहां रेस्टोरेंट भी है जो 100% वेज है। पार्क में एंट्री फीस प्रति व्यक्ति 20 रुपए है। 

मां अंगारमोती मंदिर

गंगरेल बांध के पास मां अंगारमोती का मंदिर है। मां अंगारमोती माता के प्रति यहां के लोगों में अगाध श्रद्धा है। बताया जाता है कि चंवरगांव में मां अंगारमोती का 600 साल पुराना मंदिर था। गंगरेल बांध के बनने के बाद मंदिर डूब गया था। लोग कहते हैं कि इसके बाद डूबान क्षेत्र चंवरगांव के बीहड़ में माता स्वयं प्रकट हुईं। भक्तों ने 1972 में गंगरेल बांध के पास मां अंगारमोती को स्थापित किया। मान्यता है कि श्रद्धा के साथ जो भक्त यहां नारियल बांधता है, मां उसकी मुराद जरूर पूरा करती हैं। 

कैसे पहुंचे

राजधानी रायपुर से गंगरेल डैम की दूरी करीब 90 किमी है। धमतरी शहर से बांध करीब 11 किमी की दूरी पर स्थित है। रायपुर से धमतरी के लिए प्रतिदिन बस सेवा संचालित है। धमतरी शहर से बांध तक टैक्सी और ऑटो से जाया जा सकता है। यहां से नजदीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन रायपुर है।

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