AIIMS का दीक्षांत समारोह : राष्ट्रपति मुर्मु ने छात्रों को प्रदान की उपाधि, कहा- डॉक्टर हमेशा मानवीय मूल्यों के साथ काम करें

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AIIMS के स्नातक स्टूडेंट्स के साथ राष्ट्रपति मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु AIIMS रायपुर के दूसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुई। इस अवसर पर उन्होंने10 विद्यार्थियों को 514 को उपाधि प्रदान किया।

रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एम्स रायपुर के द्वितीय दीक्षांत समारोह में संस्थान के 10 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, पदोपाधि और 514 को उपाधि प्रदान किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उपाधि और पदोपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस दौरान राज्यपाल रमेन डेका, सीएम विष्णुदेव साय, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल समेत AIIMS के एम्स के चिकित्सक और विद्यार्थी उपस्थित थे।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि, मेडिकल प्रोफेशनल का काम अत्यंत जिम्मेदारी भरा होता है। यहां से उत्तीर्ण चिकित्सक, पैरा मेडिकल छात्र अपनी जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए पूरी तन्मयता और क्षमता के साथ करेंगे। आगे राष्ट्रपति ने कहा कि,
जब आप लोगों ने मेडिकल को अपना कार्यक्षेत्र चुना होगा, तो आपके मन में दया और संवेदना का भाव रहा होगा। आपको यह हमेशा याद रखना होगा कि दया, करूणा, संवेदना मानवीय मूल्य को मजबूत बनाते हैं। इसलिए हमेशा अपने कार्य क्षेत्र में इन जीवन मूल्यों के साथ कार्य करें।

देश के हर नागरिकों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने का प्रयास- राष्ट्रपति

भारत सरकार देश के सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए प्रयास कर रही है। पिछले एक दशक में देशवासियों को यूनिवर्सल हेल्थ कार्ड प्रदान करने के लिए अनेक कदम उठाए गए। आयुष्मान भारत योजना से नागरिक लाभान्वित हो रहे हैं। पीएम जन औषधि योजना से सस्ती दवाई मिल रही है। आगे राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि, पिछले 10 सालों में मेडिकल कॉलेज, एमबीबीएस और पीजी की सीटों में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

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छात्रा को उपाधि प्रदान करती हुई राष्ट्रपति मुर्मु

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जनकल्याण के लिए हो टेक्नोलॉजी का उपयोग

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि, एम्स रायपुर उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के साथ-साथ कुपोषण को दूर करने और सिकलसेल क्लिनिक का संचालन कर रहा है। राष्ट्रपति मुर्मु ने आगे कहा कि, आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का उपयोग जनकल्याण के लिए किया जाना चाहिए। एम्स रायपुर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चलित क्लीनिकल डिसीज और सपोर्ट सिस्टम पर भी काम कर रहा है। इससे दूर दराज के क्षेत्र के डॉक्टरों को आपातकालीन स्थितियों में रियल टाइम मदद और सामुदायिक स्वास्थ्य में सुधार होगा। आगे उन्होंने कहा कि, हमने साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।

कोविड- 19 के समय मरीजों को मिला बेहतर इलाज- राज्यपाल

इस अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका ने सभी स्नातक छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। राज्यपाल डेका ने कहा कि, आज से आप, लोगों के लिए आशा की किरण होंगे। राज्यपाल ने एम्स की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि, इस संस्थान ने छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की है। एम्स रायपुर का 2024 में राष्ट्रीय रैंकिंग में 38वां स्थान प्राप्त करना इसकी एक मिसाल है। इस संस्थान ने छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्य प्रदेश के लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने का काम किया है। राज्यपाल डेका ने आगे कहा कि,कोविड-19 महामारी के दौरान यहां के मरीजों को मिले उच्च-स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की प्रशंसा की।

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AIIMS रायपुर प्रदेश के साथ अन्य राज्यों के लिए भी वरदान

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राज्य की 3 करोड़ जनता की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि, यह गौरव की बात है कि इस आदिवासी प्रदेश में स्थित मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थाओं की प्रतिभाएं आपकी उपस्थिति में दीक्षा पूरी कर रही है। सीएम साय ने आगे कहा कि, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में देश की लगभग सभी ख्यातनाम संस्थाएं स्थित है। इनमें से ज्यादातर संस्थाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की रूचि और पहल पर मिली है। एम्स छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के लोगों के लिए भी वरदान है।

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दीक्षांत समारोह में मौजूद AIIMS के स्टूडेंट्स

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना पहली प्राथमिकता- साय

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना हमारी प्राथमिकता है। राज्य में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भर्तियां बड़े पैमाने पर की जा रही है। आधुनिक उपकरणों की व्यवस्था भी की जा रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर और सिम्स बिलासपुर में भवन विस्तार और सुविधाओं का विकास शुरू कर दिया गया है। प्रदेश के 4 नए मेडिकल कॉलेजों के भवनों के निर्माण के लिए 1020 करोड़ 60 लाख रुपए का प्रावधान कर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

आदिवासी क्षेत्रों में मेडिकल शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे

सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी में भी कराने का निर्णय लिया है। इससे विशेष रूप ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के लिए मेडिकल शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे। राज्य को मध्य भारत का मेडिकल हब बनाने में अपना योगदान देने के लिए हमारे शासकीय अस्पताल भी पूरी तरह तैयार है। आगे सीएम साय ने कहा कि, स्वास्थ्य सुविधाओं को दुर्गम क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।


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