धंधा है पर गंदा है यह : कंपनियों ने कहा, स्ट्रिप पर 8 गुना तक एमआरपी प्रिंट कर देंगे

रायपुर। आम आदमी बीमार होने के बाद डॉक्टर के पास इलाज कराने पहुंचता है। डॉक्टर उसे दवाएं लिखकर देता है। मरीज दवा दुकान से दवा खरीदता है। बीमार, हैरान और परेशान आम आदमी इस सफर में लुट जाता है। फार्मा कंपनियों, डॉक्टरों और दवा विक्रेताओं की मिलीभगत की पड़ताल की हरिभूमि ने। राजधानी के एक निजी होटल में दो दिन से चल रहे इंडियन फार्मा फेयर में एमआरपी के नाम पर होने इंडियन फार्मा फेयर में एमआरपी के नाम पर होने वाले खेल के बारे में जानने के लिए हम केमिस्ट बने। फार्मा फेयर में हमने सात कंपनियों के प्रतिनिधियों से बात की। पांच कंपनी डाक्टरों के कमीशन, मुनाफा के तर्क पर एनपीपीए की सूचीबद्ध दवाओं को छोड़कर बाकी सभी की एमआरपी में आठ गुना तक बढ़ाने और प्रिंट करने के लिए तैयार हो गए। यानी दस रुपए की दवा की स्ट्रप पर अस्सी रुपए और सौ रुपए की स्ट्रप पर आठ सौ रुपए तक लिखने को तैयार थे।
केस - 05 एमआरपी से 80 फीसदी तक बढ़ाकर दे सकते हैं ।
रिपोर्टर- रुटीन की दवा डॉक्टर कमीशन पर लिखते हैं। क्या दवा की एमआरपी बदली जा सकती है?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- जी बिलकुल हो जाएगा। हमारे पास मल्टीविटामिन और रुटीन की दवा मिलेगी।
रिपोर्टर- कितना परसेंट अधिक एमआरपी में दवा दे पाएंगे हमें?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- मल्टीविटामिन की दवाई 120 की है। अब आप डॉक्टर की क्या कमीशन फिक्स करते हैं। 40 से 60 प्रतिशत ऑफ करते हैं तब भी आप फायदे में रहेंगे।
रिपोर्टर- दवा लेने के लिए क्या करना होगा हमें?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- आपको वेबसाइट बनानी होगी। अगर हमसे दवा लेंगे तो एमआरपी हमारी होगी ब्रांड भी हमारा होगा। हम 25 डिब्बे से कम नहीं देते हैं। एमआरपी के हिसाब से 80 परसेंट बढ़ा कर दे सकते हैं।
केस- 06 एक ईमानदार भी मिला, कहा एमआरपी नहीं बढ़ा सकते।
रिपोर्टर- अधिक एमआरपी में दवा आप हमें दे सकते हैं क्या?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- यह तो संभव नहीं है। प्रोडक्ट में जो एमआरपी आप देख रहे हैं उसी में मिलेगी आपको।
रिपोर्टर- डॉक्टर कमीशन में दवा लिखते हैं इसलिए चाहते है अधिक एमआरपी में दवा मिल जाती तो अच्छा होता।
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- हम यह नहीं कर सकते..।
केस 01 - हमने कहा- हम दुकानों में सप्लाई करते हैं, सब कमीशन मांगते हैं
रिपोर्टर- डॉक्टर दवा लिखने के पीछे कमीशन लेते हैं। अधिक मुनाफे के लिए क्या एमआरपी बढ़ाकर प्रिंट की जा सकती है?
फार्मा कंपनी के प्रतिनिधि- बिलकुल हो सकता है। मिनिमम क्वांटिटी होती है और 300 पैकेट का बैच बनता है। हमारा कोई प्रोडक्ट में आप एमआरपी में बदलाव चाहते हैं, तो ऑर्डर के दौरान 100 से 150 पैकेट अलग निकाल दिए जाएंगे।
रिपोर्टर- हम जो एमआरपी चाहते है वह प्रिंट हो सकता है?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- हां प्रिंट हो जाएगा। हमारे कंपनी के बैच से 100 से 150 पैकेट में एमआरपी में बदलाव हो जाएगा। यह एक साल तक मिलेगा आपको।
रिपोर्टर- क्या सरकार द्वारा तय रेट को बदल सकते हैं?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- नहीं, उसे हम नहीं बदल सकते हैं। हमारी कंपनी के -प्रोडक्ट में एमआरपी आपके अनुसार मिल जाएगी। सरकार ने जिस दवा के दाम तय किए हैं, उसकी एमआरपी बदलने में खतरा है।
केस 02- हमने कहा-बिरगांव में हमारी दुकान हैं, उसके लिए दवाएं चाहिए
रिपोर्टर- आपके यहां किस तरह की दवाएं मिलती है?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- कैल्शियम और विटामिन से जुड़ी सभी तरह की दवाएं मिल सकती हैं, आपको क्या चाहिए?
रिपोर्टर- बिरगांव में हमारी छोटी दुकान है। डॉक्टर कमीशन लेते हैं इसलिए हम चाहते हैं कि सस्ती दवा अधिक एमआरपी में मिल जाए?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- आपको कैसी दवाएं चाहिए?
रिपोर्टर- हमें बीपी, शुगर,गैस्ट्रक जैसी सामान्य बीमारी से जुड़ी दवाएं चाहिए थी।
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- किस दवा को कितनी मात्रा में आप लेते हैं उस हिसाब से एमआरपी में बदलाव हो सकता है।
रिपोर्टर- आप दवा का एमआएपी कितना बढ़ा कर दे सकते हैं?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- अगर कोई दवा डीपीसी में नहीं है तो आप जितना कहेंगे उतनी एमआरपी में आपको दवा हम दें देंगे। जितनी चाहें एमआरपी प्रिंट कर देंगे।
केस 03 - हमने कहा-डॉक्टर ज्यादा कमीशन मांगते हैं, हम कैसे कमाएं ?
रिपोर्टर- ग्रामीण क्षेत्र में। डॉक्टर कमीशन लेकर ही दवा लिखते हैं। हमारी कमाई नहीं हो पाती। हम चाहते हैं कि दवा अधिक एमआरपी में मिल जाए?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- बिलकुल संभव है, आपके हिसाब से एमआरपी बनाकर दें देंगे। नंबर दीजिए अपनी सारी दवाओं की जानकारी आपको भेजता हूं
रिपोर्टर- आपकी यह दवा 460 रुपए की है इसके कितना बढ़ा सकते है?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- मैं दवाओं की सूची आपको भेजता हूं। आप उसे चुने फिर मैं आपको बता दूंगा कितना अधिक एमआरपी मिल जाएगा आपको
रिपोर्टर- जनरल मेडेसिन मिलता है क्या आपके पास?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- दवाएं है आप जिस पर्ची में जेनेरिक बना दीजिए हो जाएगा।
केस 03 - फार्मा कंपनी ने कहा-130 रुपए की दवा पर 1000 रुपए प्रिंट कर सकते हैं
रिपोर्टर- दवा दुकान शुरू करना चाहते हैं। क्या हमें दवा एमआरपी से अधिक मिल सकती है?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- एमआरपी बढ़ाकर मिल जाएगा। हमारे 5 से 7 प्रोडक्ट है डॉक्टर को दिखा दीजिए।
रिपोर्टर- आप हमें दवा कितनी अधिक एमआरपी में दे सकते हैं?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- आपका डॉक्टर दवा के पीछे कितना कमीशन लेता है?
रिपोर्टर- डॉक्टर 15 फीसदी कमीशन कहता है। हमें उससे अधिक दाम में दवा चाहिए?
फार्मा कंपनी प्रतिनिधि- हम आपको 40 परसेंट तक अधिक एमआरपी में दवा दे सकते हैं। 130 की दवा 1 हजार तक कर सकते हैं। 20 प्रतिशत डॉक्टर को देते हैं तो 700 का लाभ आपको मिलेगा।
कहा- आप ही बता दो, कितना प्रिंट करना है।
प्रतिनिधियों ने यहां तक प्रस्ताव दिया कि अपना खर्च और मुनाफा, डाक्टरों का कमीशन और अन्य खर्च जोड़कर दवाओं की कीमत तय कर उन्हें बता दें। उन्होंने कहा कि अलग-अलग इलाकों के लिए एक ही दवा अलग-अलग कीमत पर सप्लाई कर देंगे। एक ही बैच की दवा की कीमत भी बदलने को कंपनी तैयार थीं। एक कंपनी के प्रतिनिधि ने तो यहां तक कह दिया कि भले ही दवा की कीमत सौ रुपए हो अगर वे (संवाददाता) चाहे तो उसकी एमआरपी एक हजार रुपए अंकित कर उन्हें दी जा सकती है फिर चाहे वे दवा की दस पैकेट ले अथवा सौ पैकेट। आसपास के इलाके में दवाओं की खपत अगर बढ़ाया जाता है तो एमआरपी का लाभ और बढ़ाया जा सकता है।
जेनेरिक दवाओं पर भी बड़ा खेल
जेनेरिक दवाओं के नाम पर बाजार में बड़ा खेल होता है। जिन दवाओं का फार्मूला का उपयोग निर्माण के लिए एक से अधिक कंपनी करती हैं उसे जेनेरिक की श्रेणी में रखा जाता है। इन दवाओं की मार्केटिंग भी नहीं होती इसलिए ब्रांडेड की तुलना में यह काफी सस्ती होती है। दवा कंपनियां इन जेनेरिक दवाओं के एमआरपी में भी गोलमाल करती हैं और मनचाहे दाम निर्धारित कर उसमें छूट का झांसा देकर अधिक कीमतों में लोगों सस्ती दवाएं थमा जाती है।
बीमार खरीदता है औने-पौने दाम पर
यह खेल कितना जानलेवा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ दवाएं केवल डॉक्टर की बताई गई दुकान पर ही मिलती हैं। वे खास तौर पर उसी डॉक्टर या केमिस्ट के लिए तैयार की जाती हैं। मरीज और उसके परिजन मजबूरी में कई गुना दाम पर दवाएं खरीदने के लिए मजबूर होते हैं। जो पहले से ही संकट में है उसे भी लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
