अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त : डोंगरगढ़ नगर पालिका उपाध्यक्ष पद पर बने रहेंगे भाजपा के उमा महेश वर्मा, नहीं चली कांग्रेस की चाल

Uma Mahesh Verma
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उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा
नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बीच 4 महीने से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन अब गर पालिका उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा ने जीत दर्ज कर ली है।

राजा शर्मा/डोंगरगढ़- राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच 4 महीने से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। 13 जुलाई को अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव सामने आया था। जिसमें कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज की थी। इस राजनैतिक दांव पेच में कांग्रेस ने भी नगर पालिका उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मतदान किया गया है। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा ने जीत दर्ज की है।

बता दें, राजनादगांव जिले के डोंगरगढ़ विधानसभा में सरकार बदलते ही राजनैतिक उठापठक चालू हो गई थी। 24 वार्डों वाले शहर नगर पालिका चुनाव में 11 कांग्रेस के पार्षद, 10 भारतीय जनता पार्टी और 3 निर्दलीय पार्षदों ने अपनी जीत दर्ज की थी। इधर, एक निर्दलीय पार्षद ने भाजापा में प्रवेश कर लिया था। जिसके बाद दोनों पार्टियों ने 11-11 का समीकरण तैयार कर लिया।

दो निर्दलियों के समर्थन में सरकार बनी

डोंगरगढ़ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस पार्षद सुदेश मेश्राम के पक्ष में मतदान करके दो निर्दलियों के समर्थन में अपना सरकार बनाया था। उमा महेश वर्मा ने निर्दलीय पार्षद को नगर पालिका परिषद उपाध्यक्ष के पद में मतदान किया गया था।

अविश्वास प्रस्ताव का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था

प्रदेश में सरकार बदलते ही 2 निर्दलीय पार्षदों ने भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामा, जिसमें से एक निर्दलीय पार्षद नगर पालिका उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा भी शामिल थे। नगर पालिका उपाध्यक्ष के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते ही नगर पालिका शहर सरकार में हलचल मच गई और दोनों राजनैतिक पार्टियों ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। ये मामला हाई कोर्ट तक जा पहुंचा था। इसके बाद न्यायालय ने दोनों पार्टियों के अविश्वास प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई और फिर से मतदान की कार्यवाही करन के आदेश दिए थे। कलेक्टर ने कार्यवाही को बढ़ाते हुए 13 जुलाई को अध्यक्ष पद का मतदान कराया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाने मे असफल रही। वहीं 15 जुलाई को उपाध्यक्ष पद का मतदान करवाया, जिसमें कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने में असफल रहा।

क्रॉस वोटिंग की गई थी

ये सारी दाव पेंच में कांग्रेस को ही हानि देखने को मिली, जब अध्यक्ष पद का मतदान हुआ तब एक कांग्रेस के पार्षद ने क्रॉस वोटिंग करने की बात कही, जिसके आधार पर उपाध्यक्ष पद में 2 कांग्रेस पार्षदों ने कॉर्स वोटिंग की है। इससे ये आकलन किया जा सकता है कि, आगामी चुनाव में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की जरूरत है। क्योंकि पार्टी समर्पित पार्षदों ने ही अपनी पार्टी के साथ गद्दारी की है।

जनता की सेवा के लिए आया हूं

नगर पालिका उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि, एक बार फिर जनता की सेवा के लिए मेरे पार्टी के वरिष्ठ जनों और पार्षदगणों के सहयोग से मुझे उपाध्यक्ष पद मिला है। जिसे मैं निष्ठापूर्वक पूरा करूंगा। शहर के विकास कार्यों को लेकर उमा महेश वर्मा ने कहा कि, मैं शुरू से ही नगर पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के साथ तालमेल बैठाकर कार्य करने चाहता हूं। लेकिन वो ही नहीं करना चाहते, पांच साल में जितने भी कार्य अध्यक्ष ने कराए हैं। उन सबका कागज निकलवा कर भ्रष्टाचार को उजागर करूंगा और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

पूरे वार्डों में बीजेपी को ही पार्षद होंगे

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री रामजी भारती ने कहा कि, कांग्रेस पार्टी अपने घर को संभाल ले, इनके पार्षदों ने भी हमें सहयोग किया है। आने वाले चुनाव में नगर पालिका परिषद में हमारी सरकार बनेगी और पूरे वार्डो में भारतीय जनता पार्टी के ही पार्षद होंगे। रही बात कांग्रेस की तो नगर पालिका को जो भ्रष्टचार का गड़ बना रखा था।

अविश्वास प्रस्ताव लाकर भी मेरी जीत हुई

नगर पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही अपनी ताकत का उपयोग कर मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। जिसमें मुझे सभी के सहयोग से जीत हासिल हुई। उसके बाद मैंने उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया और उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा की जीत हुईं है। ये सारा खेल भारतीय जनता पार्टी ने ही खेला था।

सम्मेलन आयोजित किया गया था

डोंगरगढ़ के एसडीएम ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि, कांग्रेस ने उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया था। जिसके बाद एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। जिसमें पूरे 23 पार्षद उपस्थित हुए और 7 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बात की है। वहीं 16 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के विपक्ष में मतदान किया है। जिसकी वजह से उपाध्यक्ष के विरुद्ध लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 2 तिहाई बहुमत नहीं मिलने से ध्वस्त हो गया है।

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