गिद्धों को विलुप्त होने से बचाने की कोशिश : वन विभाग ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने शुरू किया संयुक्त प्रयास

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विशेषज्ञों ने 2 गिद्धों को सैटेलाइट टैग लगाने के बाद अब 4 गिद्धों को रिंग पहनाई
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में भारतीय गिद्धों की घटती संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश के वन विभाग ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के साथ मिलकर बड़ी पहल शुरू की है।

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर में पक्षियों के दो विशेषज्ञों ने 2 गिद्धों को सैटेलाइट टैग लगाने के बाद अब 4 गिद्धों को रिंग पहनाई है। इस सैटेलाइट-टैगिंग का उद्देश्य गिद्धों की आवा जाही, घोसले और बसेरे में उनके व्यवहार, चारागाह पैटर्न और प्रवास मार्गों की निगरानी है।

उल्लेखनीय है कि, इस अभियान के माध्यम से एकत्र वास्तविक डेटा से इंद्रावती टाइगर रिजर्व में घटती गिद्धों की आबादी को फिर से बढ़ाने, लक्षित संरक्षण कार्रवाई को सक्षम करने और राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर विज्ञान-आधारित नीतिगत निर्णयों को सूचित करने में मदद मिलेगी। बताया जा रहा है कि, भारत में पक्षी संरक्षण के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होने वाला है। छत्तीसगढ़ वन विभाग ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के सहयोग से, भारतीय गिद्ध (जिप्स इंडिकस) और सफेद पीठ वाले गिद्ध (जिप्स बंगालेंसिस) दोनों गिद्ध प्रजातियों को आईयूसीएन रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। प्राकृतिक सफाईकर्मी के रूप में उनकी भूमिका के कारण पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। टैगिंग और रिंगिंग 2 मई को इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उप निदेशक संदीप बलगा के नेतृत्व में हुई। मंगलवार को पूरी तरह से ठीक होने के बाद पक्षियों को वापस जंगल में छोड़ दिया गया।

CG forest department puts rings on vultures
वन विभाग की टीम ने गिद्धों को पिंजरे से किया आजाद

विशेषज्ञ सूरज व सचिन ने किया टैग
बताया जा रहा है कि, पक्षियों को इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर के फील्ड बायोलॉजिस्ट सूरज नायर एवं बीएनएचएस सचिन रानाडे की विशेषज्ञ देखरेख में सुरक्षित रूप से पकड़ा गया, जो गिद्धों को पकड़ने और टैग करने में 25 से अधिक वर्षों के अनुभव वाले एक प्रमुख विशेषज्ञ हैं। यह आपरेशन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी के साथ और सभी वैज्ञानिक और नैतिक प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।

कड़ी निगरानी रखी जाएगी
इंद्रावती टायगर रिजर्व जगदलपुर के मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीवन) और क्षेत्रीय निदेशक एस. मंडावी ने गुरूवार को पदभार लिया। उसके बाद उन्होंने बताया कि टैग किए गए गिद्धों पर समय-समय पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। महत्वपूर्ण घोंसले और बसेरा आवासों की पहचान करना, मृत्यु दर और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के कारणों का आकलन करना, मौसमी और प्रवासी आंदोलन पैटर्न को समझना प्रभावी, साध्य-आधारित संरक्षण रणनीतियों के निर्माण का समर्थन करना। अग्रणी प्रयास छत्तीसगढ़ को गिद्ध संरक्षण में अग्रणी बनाता है, जो पारिस्थितिक अनुसंधान और नीति एकीकरण के लिए एक नया मानक स्थापित करता है। यह भारत की अपूरणीय जैव विविधता की सुरक्षा में क्रॉस-सेक्टर सहयोग की शक्ति का उदाहरण है।

Forest department freed vultures from the cage

अभियान में इनकी बड़ी भूमिका
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप के नेतृत्व में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुधीर कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में इंद्रावती टाइगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक और जगदलपुर वृत्त के सीसीएफ (वन्यजीव) आरसी दुग्गा के नेतृत्व में और इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उप निदेशक संदीप बलगा, बीजापुर के डीएफओ रंगनाथ रामकृष्ण वाई के समक्ष हॉल ही में सफेद पीठ वाले गिद्धों की सैटेलाइट टैगिंग तथा जंगल में रिहाई की गई।

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