संकल्प से समाप्ति की ओर नक्सलवाद: साय सरकार की योजनाओं और सुरक्षाबलों के पराक्रम से हारे नक्सली

“नियद नेल्लानार योजना” से बस्तर के नक्सल प्रभावित गांवों को मिल रही है सुविधाएं
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना के रजत जयंती वर्ष मना रहा है। 25 साल की इस यात्रा में राज्य ने कई उतार- चढ़ाव देखे हैं। अलग राज्य बनते ही सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने था नक्सलवाद। राज्य के बड़े भू-भाग पर विकास की मार्ग में सबसे बड़ी बाधा के रूप में खड़ा था नक्सलवाद। प्रदेश की सभी सरकारों ने नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में प्रयास किए, लेकिन पिछले लगभग डेढ़ साल में ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार के दौरान केंद्र और राज्य के सहयोग से नक्सलवाद अब खात्मे के करीब है। केवल बस्तर के ही कुछ इलाके अब इसके प्रभाव में बचे हैं।
छत्तीसगढ़ में राज्य के स्थापना के समय साल 2000 के आसपास नक्सलवाद की समस्या सामने आई। यहां के लगभग 15 जिले नक्सलग्रस्त रहे हैं, इनमें समूचा बस्तर संभाग, दुर्ग संभाग के तत्कालीन दो जिले राजनांदगांव और कवर्धा, रायपुर संभाग से गरियाबंद रीजन और धमतरी जिले शामिल रहे। एक वक्त साल 2018 से 2020 के बीच ऐसा भी आया जब देश में 45 प्रतिशत नक्सल वारदातें केवल छत्तीसगढ़ में घटित हुईं।

अंदरूनी इलाकों तक पसरा नक्सलवाद
छत्तीसगढ़ के अंदरूनी इलाकों में बुनियादी सुविधाओं जैसे- स्कूल, सड़क, अस्पताल का अभाव था। इसी का फायदा उठाकर नक्सली दुष्प्रचार के माध्यम से नए-नए इलाकों में पैर पसारने लगे। इतना ही नहीं नक्सली भोले- भाले लोगों को झांसा देकर अपने साथ शामिल करते रहे। इन्हीं दल- बल के साथ नक्सली सुरक्षाबलों के सामने चुनौती बनकर सामने आए।
पुनर्वास योजना की शुरुआत
साल 2004 में राज्य की तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना शुरू की। जिसका उद्देश्य नक्सल पीड़ित परिवारों और सरेंडर करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना था। इस योजना के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल पीड़ितों के पुनर्वास कराना था। साथ ही उन्हें सरकारी नौकरी, आवास, कृषि भूमि, बच्चों की शिक्षा-छात्रावास, शैक्षणिक छात्रवृति, स्वरोजगार के लिए ऋण आदि सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही गई थी।

'पुनर्वास नीति 2025' ज्यादा आकर्षक साबित हुई
वर्तमान विष्णुदेव साय सरकार ने नक्सल क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 लागू की है। इस नीति के तहत सरेंडर करने वाले सक्रिय ईनामी नक्सलियों और उनके परिजनों को बुनियादी सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 के अनुसार, यदि 5 लाख रूपए या उससे अधिक के ईनामी नक्सली के आत्मसमर्पण की स्थिति में, पात्रता रखने पर नक्सली अथवा उसके परिवार के किसी एक सदस्य को शासकीय सेवा में नियुक्ति का अवसर दिया जाएगा। यदि किसी कारणवश सेवा नहीं दी जा सकती, तो ऐसे आत्मसमर्पित को एकमुश्त 10 लाख की राशि सावधि जमा के रूप में दी जाएगी। यह राशि 3 वर्षों के अच्छे आचरण के पश्चात एकमुश्त हस्तांतरित की जाएगी।
2026 तक खात्मे का टारगेट
छत्तीसगढ़ की वर्तमान विष्णुदेव साय सरकार और केंद्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए मार्च 2026 का लक्ष्य निर्धारित किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जून 2025 में छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान एंटी नक्सल ऑपरेशन की समीक्षा की थी। साथ ही शाह ने नक्सलवाद के खात्मे का संकल्प दोहराया था। नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाई गई है।

'नियद नेल्लानार' योजना ने जीता भरोसा
बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित जिलों में शासन की योजनाओं को बेहतर तरीके से जनता तक पहुँचाने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2024 में 'नियद नेल्लानार योजना' की शुरुआत की। 'नियद नेल्लानार का अर्थ 'हमारा गांव' या 'हमारा घर' होता है। जिसके तहत दूर- सुदूर इलाकों के गांव में सरकार की योजनाओं पहुँचाया जा रहा है। साथ ही लोगों की मूलभूत जरूरतों को भी प्राथमिकता से पूरी की जा रही है। इस योजना के तहत कृषि पंप कनेक्शन योजना, धान खरीदी, मुख्यमंत्री सुपोषण जैसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
450 से अधिक मारे गए, लगभग 6 सौ पकड़े गए, 15 सौ ने किया सरेंडर
ताजा आंकड़ों के मुताबिक 17 अगस्त तक साय सरकार के कार्यकाल में 450 से अधिक नक्सली मारे गए हैं। जबकि एक हजार, 578 नक्सलियों की गिरफ़्तारी हुई है। वहीं 15 सौ से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है।

लीडर्स के मारे जाने से फैली दहशत
नक्सलियों के खिलाफ हो रहे ऑपरेशन में कई बड़े नक्सली लीडरों के मारे जाने से नक्सलवाद की न सिर्फ कमर टूटी बल्कि उनमें दहशत भी घर कर गई। नारायणपुर जिले के कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर लंबे चले ऑपरेशन में कई खूंखार नक्सली मारे गए। इनमें नक्सल चीफ केशव राव उर्फ़ बसव राजू का नाम भी शामिल है। वहीं मोहला-मानपुर जिले में हुए मुठभेड़ में जवानों ने स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर विजय रेड्डी और लोकेश सलामे डीबीसी मार गिराया था।
