'गुरु' ज्ञान का पुंज: सिर्रीखुर्द स्कूल में गुरु पूर्णिमा पर बच्चों ने किया गुरुओं का सम्मान

Children present on the occasion of Guru Purnima
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गुरु पूर्णिमा के अवसर पर उपस्थित बच्चे

राजिम के सिर्रीखुर्द प्राथमिक शाला में गुरु पूर्णिमा उत्साहपूर्वक मनाई गई। बच्चों ने शिक्षकों का सम्मान कर गुरु-शिष्य परंपरा को सजीव किया।

श्याम किशोर शर्मा - नवापारा-राजिम। छत्तीसगढ़ के राजिम में प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द में गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे श्रद्धा, उल्लास और पारंपरिक भावना के साथ मनाया गया। गुरु अज्ञान को दूर कर ज्ञान, संस्कार और आत्मबल से जीवन को आलोकित करते हैं।

इस अवसर पर शिक्षक खोमन सिन्हा ने बताया कि, इस तारतम्य में हमारे प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द मे गुरु शिष्य के परंपरा को निभाते हुए गुरु पूर्णिमा को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया गया। उन्होंने आगे कहा कि, गुरु वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश में बदल देते हैं।

छात्रों के विकास में गुरु की विशेषता
गुरु ही जीवन के पथ प्रदर्शक संस्कारों के निर्माता और आत्मा के जागृति स्वरूप होते हैं। गुरु के गुण छात्रों के विकास और शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक आदर्श गुरु छात्रों का ज्ञान, नैतिकता और जीवन के मूल्यों की शिक्षा देता है और उन्हें उनके लक्ष्यो को प्राप्त करने में मदद करता है।

शिक्षा और ज्ञान के महत्व को दर्शाता है गुरु पूर्णिमा का दिन
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा की जाती है और उनका सम्मान किया जाता है। गुरु पूर्णिमा का दिन ज्ञान और शिक्षा के महत्व को दर्शाता है। गुरु पूर्णिमा का इतिहास वेद व्यास से जुड़ा है, जिन्हें हिंदू धर्म में महान गुरु माना जाता है। वेद व्यास ने महाभारत, पुराण और वेदों की रचना की थी। 'गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागु पाए' यह दोहा गुरु के महत्व को दर्शाता है। हमें गुरु की कृपा और मार्गदर्शन का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है। गुरु की भूमिका हमारे जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण है और हमें उनका आदर सम्मान करना चाहिए। गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है। इसलिए भगवान ने गुरु का दर्जा सबसे ऊपर रखा है।

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