उमरगांव में माता पहुंचानी त्योहार की रही धूम: बीमारियों से मुक्ति दिलाने के लिए शीतला माता का आभार जताने पहुंचते हैं ग्रामीण

शीतला मंदिर में माता पहुंचानी मनाया
अंगेश हिरवानी -नगरी। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में 3 जुलाई को माता पहुंचानी का त्यौहार मनाया गया। इस त्यौहार को जुडवास के नाम से भी जानते है। इसी तरह नगरी सिहावा के ग्राम उमरगांव में वर्षों पुरानी परंपरा को निर्वाहन करते हुए माता पहुंचानी तिहार मनाया गया। गांव के माता तालाब में स्थित शीतला माता मंदिर में यह कार्यक्रम पूरे विधि विधान के साथ संपन्न हुआ। माता पहुंचानी यानी जुडवास छत्तीसगढ़ की एक पुरानी परम्परा है। जो आज भी जीवंत है।
नगरी सिहावा के ग्राम उमरगांव में वर्षों पुरानी परंपरा को निर्वाहन करते हुए माता पहुंचानी तिहार मनाया गया। गांव की सुख समृद्धि के लिए देवी देवता का पूजा अर्चना किया. @DhamtariDist #Chhattisgarh pic.twitter.com/AopdSD7VjX
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) July 4, 2025
ग्राम सुरक्षा समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार मारकोले ने बताया कि, सालभर के भीतर गांव के जिन लोगों को 'माता' जिसे चेचक रोग कहा जाता है, इससे पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ होकर इसी दिन शीतला माता मंदिर में आकर मत्था टेकते हैं। इस दिन सुबह से ही शीतला पुजारी के द्वारा गांव के देवी देवताओं और माता के प्रकोप से स्वस्थ हुए लोगों के घर-घर जाकर आमंत्रित करते हैं और गाजे बाजे की धुन के साथ शीतला मंदिर परिसर तक लाते हैं। इसके बाद देव विग्रह, सिरहा और ग्रामीणजन मन्दिर की परिक्रमा कर शीतला माता का पूजन-अर्चन कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।
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इस पर्व में नीम के पत्तों का खास है महत्व
उमरगांव के पूर्व सरपंच मोहन पुजारी ने बताया कि, इस पर्व में नीम के पत्तों का खास महत्व है। इस पत्ती और इसके घोल को माता को शांत करने के लिए छिड़काव करते हैं। चावल आटा से बने चीला रोटी के प्रसाद स्वरूप भेंट करते हैं। देव सवार सिरहा गण एक दूसरे से गले मिलकर पारंपरिक बाजे के धुन पर नाचते हैं। इस मौके पर गांव में एकता और भाईचारे की भावना का कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलता है। गांव के लोग अपने परिवार के साथ शीतला माता मंदिर प्रांगण में पहुंचते हैं, वहीं इस दिन गांव के प्रत्येक घरों में मेहमान पहुंचते हैं।
