वनांचल की प्रतिभाओं ने रचा इतिहास: जंगलों के बीच बसे स्कूल के 19 बच्चों का नवोदय और एकलव्य विद्यालय में हुआ चयन

शासकीय प्राथमिक शाला
अंगेश हिरवानी- नगरी। आज के दौर में जहां अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए निजी और कॉन्वेंट स्कूलों की ओर दौड़ाते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र में स्थित एक सरकारी स्कूल ने शिक्षा की एक नई मिसाल पेश की है।
सीमित संसाधनों और सुविधाओं के अभाव के बावजूद इस प्राथमिक शाला के 19 बच्चों का चयन नवोदय और एकलव्य जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में हुआ है। आदिवासी विकासखंड नगरी के अंतर्गत ग्राम पंचायत घुरावड़ जो कि कांकेर जिले के सीमा पर स्थित एक छोटा सा गांव है। इस ग्राम में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 10 तक की कक्षाएं संचालित है।
धमतरी जिले के आदिवासी विकासखंड वनांचल क्षेत्र स्थित प्राथमिक शाला घुरावड़ के 19 बच्चों का नवोदय और एकलव्य विद्यालय में चयन हुआ। @DhamtariDist #Chhattisgarh @SchoolEduCgGov #Students #tribal pic.twitter.com/DMUhCkWT2q
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) July 7, 2025
शिक्षक देते हैं कक्षा पहली से ही विशेष ध्यान
इस स्कूल में न तो आधुनिक पाठ्य सामग्री है और न ही अन्य सुविधा, सीमित संसाधनों के बावजूद इस प्राथमिक शाला के कक्षा 5 वी के 43 में से नवोदय विद्यालय में 9 बच्चों का और एकलव्य विद्यालय में 10 बच्चों का, यानी कुल 19 बच्चों का चयन हुआ। ये बच्चे वर्तमान में अध्ययनरत हैं। इन बच्चों की सफलता का कारण जानने के लिए इस स्कूल में गए तो पता चला कि, यहां के शिक्षकों के द्वारा कक्षा 1 से ही बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जिससे वे कक्षा चौथी तक पहुंचते ही उनकी बेसिक तैयारी पूर्ण हो जाती है। फलस्वरूप शिक्षकों को कक्षा 5 वी में पढ़ाई के लिए बहुत ही सहायता मिलती है।
शाम 6 बजे तक चलती है एक्स्ट्रा क्लास
शिक्षकों द्वारा बच्चों के लिए एक्स्ट्रा क्लास लगाकर उन्हें प्रवेश परीक्षाओं के लिए दक्ष बनाया जाता है, ये शिक्षक कक्षा 5 वी के बच्चों को सुबह 9 बजे से ही स्कूल में बुलाते हैं और शाम 6 बजे तक एक्स्ट्रा क्लास लगाकर पढ़ाते हैं। शिक्षको की कर्तव्यनिष्ठा और लगनशीलता ऐसी है कि, वे गांव में ही रहकर बच्चों के लिए अपना अतिरिक्त समय देकर महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। पिछले वर्षों में भी इस स्कूल से बच्चों का चयन नवोदय और एकलव्य विद्यालय में होता रहा है, परंतु शैक्षणिक वर्ष 2025- 26 के लिए एक साथ 19 बच्चों का चयन होना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
शिक्षकों के मेहनत और पालकों के विश्वास के चलते बच्चों को मिली सफलता
इस सरकारी स्कूल के परिणाम से प्रभावित होकर जहां आसपास गांव सहित दूरस्थ गांव के पालक भी अपने बच्चों को एडमिशन दिलाने के लिए पहुंच रहे हैं। ग्राम पंचायत घुरावड़ के सरपंच महेश नेताम ने बताया कि, शिक्षकों के मेहनत और पालकों के विश्वास के चलते हमारे बच्चों को सफलता मिली है, इस स्कूल में कुछ समस्याएं हैं, कक्षा 1 ली के बच्चों के बैठने के लिए कमरा नही है ये बच्चे बरामदे में ही बैठते है साथ ही स्कूल में बाउंड्रीवॉल नही है चूंकि यह स्कूल जंगल से लगा हुआ है इस कारण जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है यदि शासन से बाउंड्रीवॉल और अतिरिक्त कक्ष भवन निर्माण की स्वीकृति मिल जाती है तो निश्चित ही आने वाले समय में हमें बेहतर परिणाम मिल सकता है।
किचन शेड निर्माण और मैदान समतलीकरण से व्यवस्था में होगा सुधार
इस क्षेत्र के जनपद सदस्य मौसमी मंडावी ने बताया कि, स्कूल में किचन शेड निर्माण और मैदान समतलीकरण की आवश्यकता है। यदि इन कार्यों की स्वीकृति मिलती है तो स्कूल की व्यवस्थाओं में सुधार होगा। आदिवासी एवं वनांचल क्षेत्र में स्थित इस सरकारी स्कूल के बच्चों की उपलब्धि क्षेत्र के साथ साथ छग के लिए भी गौरव की बात है यदि इन बच्चों और शिक्षकों को शासन द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है निश्चित ही आने वाले समय में अन्य स्कूल भी इससे प्रेरित होकर बेहतर परिणाम दे सकते हैं।
