दो दशक बाद पहली बार सूखा मोंगरा बैराज: समय पर बारिश नहीं, तो तीन जिलों में गहराएगा जल संकट

दो दशक बाद पहली बार सूखा मोंगरा बैराज : समय पर बारिश नहीं, तो तीन जिलों में गहराएगा जल संकट
X

पहली बार सूखा मोंगरा बैराज

छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी शिवनाथ में बनी मोंगरा बैराज में पानी ही नहीं बचा है। गर्मी में नगर व क्षेत्रवासियों को भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।

अंबागढ़ चौकी। अविभाजित राजनांदगांव सबसे बडा जलाशय मोंगरा बैराज इस वर्ष पूरी तरह सूख गया है। वर्तमान में बैराज की दशा को देखकर यह लंगता है कि यह पानी नहीं बल्कि ठूठों का बैराज है। बैराज में इस वर्ष केचमेंट एरिया में भी पानी नहीं है। यदि समय पर मानसून नहीं आया है और पर्याप्त वर्षा नहीं हुई तो इस वर्ष लोगों को बारिश और ठंड में भी जल संकट का सामना करना पडेगा। नवीन जिला मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी का सबसे बडा कि जलाशय मोंगरा बैराज इस वर्ष की गर्मी में मई महीने में ही पूरी तरह सूख चुका है।

छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी शिवनाथ में बनी मोंगरा बैराज में पानी ही नहीं बचा है। जिससे इस बार गर्मी में नगर व क्षेत्रवासियों को भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। मोंगरा बैराज का निर्माण छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ ही शुरू हुआ था। कांग्रेस के जोगी सरकार ने इस बराज निर्माण के लिए मंजूरी दी थी। तीन वर्ष तक चले निरंतर निर्माण कार्य के बाद यह बैराज वर्ष 2005 में अस्तित्व में आया था। बैराज का लोकार्पण छग के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा किया गया था। मोंगरा बैराज तथा आस पास गांव के निवासियों ने बताया की दो दशक में पहली बार यह अवसर आया है की मोंगरा बैराज इस बार गर्मी के मई महीने में सूख गया हैं।

आर्सेनिक प्रभावित 28 गांवों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी शिवनाथ के पहले बड़े स्टॉपेज अंबागढ़ चौकी में सुमह जल संयंत्र योजना के माध्यम से अंबागढ़ चौकी के 23 आर्सेनिक प्रभावित 28 गांवों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति होती होती है। आर्सेनिक प्रभावित इन गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए मोंगरा बैराज से ही वर्ष भर पानी मिलता है।

भारी पेयजल संकट
नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल मानिकपुरी ने बताया कि, मोंगरा बैराज के समय से पहले सूख जाने से इस वर्ष नगर व क्षेत्र के निवासियों को गर्मी में भारी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। बैराज के सूख जाने से अब लोगो को अपनी प्राकृतिक जल स्रोत की ओर लौटना पड़ रहा है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story