नक्सली बने शिक्षक ने किया आत्मसमर्पण: 25 साल तक देता रहा लाल आतंक की शिक्षा, पत्नी के साथ माड़ से मोहला आकर टांगा हथियार

Surrendered Naxalite
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आत्मसमर्पित नक्सली 

25 साल पहले शिक्षक से नक्सली बने जीवन उर्फ राम तुलावी ने अपनी पत्नी के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। लगातार हो रहे ऑपरेशन और शासन की नीति से प्रभावित होकर इन्होने हथियार डाल दिया है।

एनिशपुरी गोस्वामी- मोहला। 25 साल तक मोहला- मानपुर और महाराष्ट्र के साथ- साथ बस्तर के माड़ इलाके के बीहड़ों मे लाल आतंक का साथ दे रहे नक्सल दंपत्ति ने समर्पण कर दिया है। सुरक्षा बलों के आक्रामक रवैये से मची नक्सल संगठन में खलबली और सरकार की नई पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर डीवीसीएम जीवन राम तुलावी, एसीएम अगासा ने बस्तर के माड़ से मोहला पहुंचकर आईजी अभिषेक शांडिल्य और एसपी वायपी सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।

बुधवार की दोपहर 3.30 बजे मोहला एसपी कार्यालय में प्रेस वार्ता कर आईजी अभिषेक शांडिल्य, पुलिस कप्तान वायपी सिह ने आत्म समर्पित नक्सली दंपति को लेकर बताया कि माड़ क्षेत्र में सक्रिय डिविजनल कमेटी मेम्बर एवं एसीएम ( एरिया कमेटी मेम्बर ) पद पर रहे नक्सली दंपत्ति ने माओवादी संगठन छोड़कर पुलिस अधीक्षक कार्यालय मोहला में पुलिस महानिरीक्षक राजनांदगांव के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। दोनों आत्मसपर्पित नक्सली विगत 25 सालो से माओवादी संगठन में सक्रिय रहे। छत्तीसगढ़ शासन के नवीन पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सली दंपत्ति ने हथियार छोड़कर शांति का रास्ता चुना है। नक्सली दंपत्ती को आत्मसमर्पण कराने में जिले में तैनात 27वीं एवं 44वीं वाहिनी आईटीबीपी फोर्स एवं डीआरजी बल का विशेष योगदान रहा है।

शिक्षक से बन गया नक्सली लीडर
जीवन उर्फ राम तुलावी, उम्र 45 वर्ष ग्राम परवीडीह थाना मोहला निवासी जीवन तुलावी वर्ष 2000 मे सरकारी शिक्षक के पद को छोड़कर नक्सली संगठन के महाराष्ट्र स्थित टिपागढ़ दलम में शामिल हो गया नक्सल संगठन में वह डिवीजनल कमेटी मेंबर के पद तक पहुंचाने के दौरान माओवादी संगठन ने उसे जीएमएस मोबाइल अकैडमी स्कूल कमांडर माड डिविजन में प्रमोट कर नक्सलियों ने उसे अपने विचारधारा के विस्तार के लिए नक्सली कैंप, तथा संगठन के द्वारा संचालित स्कूल मे पढ़ाने का दायित्व दिया 2007 में पत्नी आत्मसमर्पित अगासा उर्फ आरती आरती कोराम निवासी तेलीटोला थाना मोहला से माड़ में शादी करने के बाद मानपुर डिवीजन कोड़ेकुर्से एलओस में काम करने के लिए भेजा गया। 2008 से 2011 तक कोड़ेकुर्से एलओस में काम किया फिर उसके बाद पुन: माड़ में दोनों दंपत्ति को नक्सलियों के स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजा गया। इस दौरान माड़ क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में घूम घूमकर नक्सली संगठन के सदस्यों को पढ़ाने का काम किये। MOPOS ( Mobile Political School ) यानि जगह बदल बदल समय परिस्थिति अनुसार संगठन के सदस्यों को शिक्षित करना, माध्यम से नक्सली सदस्यों को पढ़ाने का काम किया । वर्ष 2000 से 2025 आज दिनांक तक नक्सल संगठन में सक्रिय रहकर काम किया जिसमे एलओस सदस्य के पद से एरिया कमेटी सदस्य फिर डिवीजनल कमेटी का सदस्य में पदोन्नत हुआ था।

सुरक्षा बल के एनकाउंटर से भयभीत हैं नक्सली
दोनों आत्मसमर्पित नक्सली दंपत्ति नक्सल संगठन में हो रहे भेदभाव एवं शोषण से परेशान होकर माओवादी संगठन छोड़ना तय किए। साथ ही बड़े नक्सली नेताओं के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद से नक्सल संगठन के सदस्यों में डर का माहौल है जिसके कारण भी सदस्य संगठन छोड़कर घर को लौट रहे है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी नवीन आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर दोनों दंपति ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किए है।

मिलेगा पुनर्वास नीति का लाभ
दोनों आत्मसमर्पित नक्सली दंपत्ति को आईजी अभिषेक शांडिल्य एसपी वायपी सिंह ने तत्काल राहत राशि के रूप में पच्चास पच्चास हजार रुपए नगद प्रदाय किया। इसके अलावा इनके पद पर घोषित ईनाम डीवीसीएम- 8 लाख रुपए, एसीएम- 5 लाख रुपए जल्द ही प्रदान किए जाएंगे। प्रशासन की ओर से आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड शीघ्र बनाया जाएगा। रोजगार हेतु कौशल प्रशिक्षण की सुविधा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवास भी जल्द पुलिस विभाग की तरफ से उपलब्ध कराया जायेगा।

आत्मसमर्पित दंपत्ति ने नक्सलियों से सरेंडर करने की अपील
आत्मसमर्पित नक्सली दंपति ने जिले के सक्रिय नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि छोड़ आओ हथियारों को मिलेगी नई जिंदगी छत्तीसगढ़ शासन के पुनर्वास नीति का लाभ लेते हुए सम्मान पूर्वक जीवन यापन करने के लिए आत्मसमर्पण करें और सपरिवार सुखी जीवन जीये।

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