बिखरने लगा है नक्सल संगठन: हथियार छोड़कर समर्पण करने वाले नक्सल दंपत्ति ने बताई सच्चाई, बोले- कमजोर हो गया संगठन

Our team members talking to surrendered Naxalites
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आत्मसमर्पित नक्सलियों से बातचीत करते हमारी टीम के साथी 

नक्सली संगठन को जानने और समझने के लिए हमारे साथी ने आत्मसमर्पित हार्डकोर नक्सली दम्पत्तियों से बातचीत की।

एनिशपुरी गोस्वामी-मोहला। नक्सली संगठन एक ऐसा दलदल है, जिसमें घुसना तो आसान है, लेकिन बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। यहां शादी तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें संतान उत्पत्ति का अधिकार नहीं होता। लेकिन इन दिनों नक्सली संगठन सुरक्षा बलों के आक्रमण से क्षत-विक्षत हो गया है। दो दशकों से भी ज्यादा समय तक हथियार थाम कर लाल आतंक का साथ दे रहे आत्मसमर्पित हार्डकोर नक्सली दंपत्ति ने कुछ ऐसे ही कड़वे सच हरिभूमि से चर्चा करते हुए उजागर किए।

उल्लेखनीय है कि, 25 वर्ष पहले सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर जीवन तुलावी उर्फ़ राम तुलावी नक्सल संगठन से जुड़् गया था। उसकी पत्नी आगासा, उर्फ आरती कोराम भी उसके साथ संगठन में शामिल हुई। कमांडर पवन तुलावी और उसकी पत्नी पायके उर्फ पायकी ओयाम ने हाल ही में अबूझमाड के बीहड़ों से लाल आतंक का साथ छोड़कर पुलिस अधीक्षक कार्यालय मोहला में आत्मसमर्पण किया है।

नक्सलियों ने करा दी नसबंदी
माओवादी संगठन के शीर्ष कंमाडरों के निर्देश के अनुसार, छत्तीसगढ़ के नक्सली कैडर शादी तो कर सकते हैं। लेकिन संतान उत्पत्ति का उन्हें अधिकार नहीं दिया जाता। आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर जीवन उर्फ राम तुलावी का विवाह सन 2007 को माड क्षेत्र मे राव घाट एरिया कमेटी के एसीएम आगासा उर्फ आरती कोराम के साथ हुआ। जिसमें राम तुलावी की जंगल में वर्ष 2010 को नक्सलियों की स्वास्थ्य टीम ने नसबंदी कर दिया। इसी तरह माड़ डिवीजन प्रेस कमांडर पवन तुलावी और महिला नक्सली पायके का विवाह 2021 में बंदूक के साए में हुआ। शादी से पहले ही पवन तुलावी का नसबंदी कर दिया गया फिर शादी करवाई गई।


सुरक्षाबलों के हमलों से क्षत-विक्षत हो गया है नक्सल संगठन
आत्मसमर्पित नक्सली दम्पत्तियों ने बताया कि, लंबे समय से घातक हथियारों के दम पर राज करते आ रहे नक्सली संगठन का बस्तर, महाराष्ट्र, तथा मोहला, मानपुर- अंबागढ़, चौकी जिले में फोर्स के आक्रमण और सर्चअभियान के कारण बेहद संख्या में नक्सली लीडर और सदस्य मारे एवं हिरासत में लिए जा रहे हैं।जिसके कारण माओवादी संगठन अब तीतर- बीतर हो गया है। संगठन मे अब कम ही लोग बचें हुए है जो तय नहीं कर पा रहे है कि इधर जाएं या उधर रहे।

एक- दूसरे को समझाकर छोड़ा माओवादी संगठन
सरकार के नए पुनर्वास नीति तथा मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में चलाए जा रहे ऑपरेशन प्रयास से प्रभावित होकर आत्मसमर्पित नक्सली दम्पत्तियों ने नक्सली संगठन में पृथक पृथक तौर पर काम करने के बावजूद जब भी साथ रहते एक दूसरे को समझाते हुए, नई जिंदगी जीने के लिए नक्सली संगठन छोड़कर वे लोग मौका पाते ही जंगल से बाहर निकल कर मोहला पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच गए और हथियार डालते हुए आत्मसमर्पण कर दिया।

सवा साल में पांच हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
मोहला, मानपुर- अंबागढ़, चौकी जिले में सवा साल के भीतर पुलिस कप्तान वायपी सिंह के नेतृत्व में चलाये जा रहा है। ऑपरेशन प्रयास के चलते पांच डीवीसी, डीवीसीएम एसीएम हार्ड कोर नक्सलियों ने माड़ क्षेत्र से निकल कर मोहला एसपी आफिस में इन्होने आत्मसमर्पण कर दिया।

आत्मसमर्पण करें, वरना गोली का जवाब गोली से मिलेगा
पुलिस कप्तान वायपी सिंह ने कहा कि, नक्सलियों के पास अब दो ही विकल्प बचे हैं। वे आत्मसमर्पण कर बेहतर जिंदगी जियें, या फिर उनको गोली का जवाब गोली से मिलेगा।

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