मनरेगा में भ्रष्टाचार: मजदूरों की जगह जेसीबी से हो रही डबरी की खुदाई, पूछने पर सरपंच ने झाड़ा पल्ला

ग्राम पंचायत बोरतलाव में मनरेगा में भ्रष्टाचार
राजा शर्मा- डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बोरतलाव से मनरेगा में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।यहां के बैगाटोला में मनरेगा में मजदूरों से काम न लेकर जेसीबी मशीन से खुदाई किया गया। जबकि योजना के तहत डबरी खनन के लिए 9 लाख रुपए की लागत का काम स्वीकृत हुआ था।
इस भ्रष्टाचार में मजदूरों की संलिप्तता भी सामने खुलकर नज़र आ रही थी।मजदूरों ने मीडिया को कवरेज करने से भी मना करते हुए मामले को उजागर न करने की बात कही। इतना ही नहीं मजदूर धमकी देते हुए मीडिया कर्मियों को चारों तरफ से घेर कर खड़े हो गए। मजदूरों ने कहा कि, जमीन पथरीली होने के कारण हम सब मजदूर चंदा करके जे सी बी मशीन लगा कर खुदाई करवा रहे है। अगर समाचार चलाओगे तो दोबारा गांव में कदम नहीं रखने देंगे। ऐसे में मीडिया सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जनपद पंचायत से मनरेगा कार्य का कोई अनुबंध नहीं
सरपंच ने मामले में गोलमोल जवाब देते कहा कि, मेरा डबरी खनन में कोई हस्तक्षेप नहीं है। जनपद पंचायत से कार्य एजेन्सी के नाम पर कोई अनुबंध नहीं हुआ है। मनरेगा के तहत डबरी खनन काम को मेट, रोजगार सहायक द्वारा कराया जा रहा है। आपने आप को पूर्ण रूप से निर्दोष बता रहे हैं। इतनी बड़ी राशि का बंदरबांट ग्राम पंचायत के बिना अनुमति से होना अपने आप पर संदेहात्मक है। मनरेगा कार्य चालू करने से पूर्व सरपंच,सचिव, तकनीकी अधिकारी द्वारा ही स्थल का चयन कर प्रस्ताव बना कर किया जाना होता है। सरपंच, सचिव, तकनीकी अधिकारी के बगैर सहयोग से कैसे मनरेगा काम कराया जा सकता है।
दोषियों के खिलाफ होगी कार्यवाई
जनपद पंचायत डोंगरगढ़ के कार्यक्रम अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने उच्च अधिकारियों के निर्देश पर जांच टीम बनाने की बात कही है। साथ ही उन्होंने जल्द कहा कि, मामले की तह तक जांच की जाएगी। मामला गंभीर होने के कारण संबंधित लोगों पर नियमानुसार करवाई की जाएगी।
मनरेगा अधिनियम क्या कहता है
इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे प्रत्येक ग्रामीण परिवार जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रमकार्य करना चाहते हैं को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है। यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है, जिसके तहत प्रत्येक गरीब परिवार को कम से कम सौ दिन का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ठेकेदारी से कार्य कराना और मजदूरों के स्थान पर मशीनरी का उपयोग प्रतिबंधित है। अगर कोई भी ग्राम पंचायत, अधिकारी, कर्मचारी ठेकेदारो या मशीन का उपयोग करता है तो मनरेगा अधिनियम के तहत कठोर से कठोर कार्यवाही का प्रावधान हैं।