मानसिक चिकित्सालय में स्टाफ की कमी: हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, स्वास्थ्य सचिव ने शपथपत्र किया पेश

High Court
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बिलासपुर हाईकोर्ट 

बिलासपुर के मानसिक चिकित्सालय में डॉक्टर और स्टाफ की कमी को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान स्वास्थ्य सचिव का शपथपत्र हाईकोर्ट में पेश हुआ।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित मानसिक चिकित्सालय सेंदरी में डॉक्टर और स्टाफ की कमी को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान स्वास्थ्य सचिव ने कोर्ट में शपथपत्र पेश किया। बताया कि, स्टाफ भर्ती और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की प्रक्रिया में थोड़ा और समय लगेगा। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अगले माह तय कर दी है।

दरअसल, अधिवक्ता विशाल कोहली ने अधिवक्ता हिमांशु पांडेय के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया कि, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 और WHO गाइडलाइन के अनुसार राज्य में व्यवस्था पूरी तरह फेल है। नियम के मुताबिक हर 10 हजार लोगों पर एक मनोचिकित्सक होना चाहिए, जबकि प्रदेश में लगभग 8 लाख लोगों पर एक डॉक्टर है।

हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
इस गंभीर स्थिति पर हाईकोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लिया था। अब दोनों मामलों की संयुक्त सुनवाई हो रही है। याचिका में बताया गया है कि, हर जिले में एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र और मनोचिकित्सक होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। वहीं, सेंदरी मानसिक चिकित्सालय में 11 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 3 पद पर ही सायकेट्रिस्ट नियुक्त हैं। बाकी जगह 1 ईएनटी और 1 आर्थोपेडिक डॉक्टर को पदस्थ कर दिया गया है। कोर्ट के निर्देश पर पहले की सुनवाई में शासन ने बताया था कि मानसिक चिकित्सालय में बिस्तरों की संख्या 200 तक बढ़ाई जाएगी और डॉक्टरों की कमी दूर करने के कदम उठाए जा रहे हैं।

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