टाइगर रिजर्व में फंसा नेशनल हाईवे: 18 साल पहले मंजूरी मिली , एनओसी का पेंच, बड़ी आबादी बेचैन

टाइगर रिजर्व में फंसा नेशनल हाईवे : 18 साल पहले मंजूरी मिली , एनओसी का पेंच, बड़ी आबादी बेचैन
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File Photo 

गरियाबंद मैनपुर नेशनल हाईवे पर 31 किमी का पेंच ऐसा है जिसके निर्माण की मंजूरी मिलने के 18 सालों बाद भी सड़क नहीं बन सकी है।

मैनपुर। गरियाबंद मैनपुर नेशनल हाईवे पर 31 किमी का पेंच ऐसा है जिसके निर्माण की मंजूरी मिलने के 18 सालों बाद भी सड़क नहीं बन सकी है, जिसकी वजह से बड़ी आबादी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि फारेस्ट एरिया होने की वजह से एनओसी का मसला अब तक उलझा हुआ है। इसके विलंब के पीछे नक्सलियों की धमक भी रही है। इसी एरिया में एएसपी समेत 9 जवान नक्सली एंबुस में फंसकर शहीद हो गए थे। दहशत में तीन साल काम ही नहीं हुआ था। यह अधूरी सड़क है, 130 सी धवलपुर दबनई नाला से आमामोरा कुकराल तक कुल 31.65 किमी लंबी।

यह इलाका टाइगर रिजर्व क्षेत्र है, वन विभाग के अफसरों का कहना है टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के कारण सड़क निर्माण के लिए वाइल्ड लाइफ और फारेस्ट एनओसी लेना अनिवार्य है। गरियाबंद मैनपुर नेशनल हाईवे 130 सी धवलपुर दबनई नाला से आमामोरा कुकराल तक 31.65 किमी सड़क निर्माण कार्य के लिए वर्ष 2007-08 में स्वीकृति मिली थी। इस सड़क पर बेहद खतरनाक और डेंजर जोन स्थल तक लगभग 12.27 किमी सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, लेकिन उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के बफर जोन एरिया क्षेत्र में आने के कारण सड़क निर्माण कार्य में फिर एक बार रोक लगी है। यहां 8 किमी सीसी सड़क समेत 1227 किमी सड़क ही पूरी बनी है, इसके अलावा 10 किमी पर डामर डालना शेष रह गया है।

1600 मीटर को छोड़कर सभी सड़क एरिया टाइगर रिजर्व
डीजीपीए सर्वे के मुताबिक, पूरे निर्माण क्षेत्र में केवल 1600 मीटर का हिस्सा छोड़ सभी टाइगर रिजर्व में आता है, जो 17 हेक्टेयर जमीन पर है। एनओसी के लिए भरे जाने वाले 44 बिंदुओं में 3 बिंदू वन व वन्य प्राणी से संबंध है। तय नियम के मुताबिक निर्माण क्षेत्र में आने वाले भूमि के दोगुने क्षेत्रफल में पौधा रोपण करना होगा। इसके अलावा सर्वे और अन्य खर्च मिलाकर एनओसी तक प्रति हेक्टेयर 60-65 लाख का खर्च होगा कुल खर्च 10 करोड़ से ज्यादा होगा।

घटनाक्रम पर एक नजर
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2007-08 में इस सड़क को स्वीकृति मिली थी। 2010 में सड़क का काम शुरू हुआ। इसी बीच मई 2011 में अमामोरा पहाड़ी पर नक्सलियों ने एडिशनल एसपी राजेश पवार समेत 09 जवानों को एंबुश में फंसा कर हत्या कर दी थी। इस सड़क में एडिशनल एसपी सहित 09 जवान शहीद हो गए। 2011 में जुलाई अगस्त तक माओवाद की इस क्षेत्र में गहरी पैठ होने के कारण दहशत के चलते ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। वहीं, 2015 में बम धमाके में इस मार्ग में दो जवान और शहीद हो गए। लगातार पुलिस के दबाव के चलते नक्सली दहशत थोड़ा कम होने पर वर्ष 2022 में एक बार फिर सड़क काम को शुरू करने की पहल हुई। रिवाइज स्टीमेट बनाया गया, लागत बढ़ कर 23.34 करोड़ हुई। काम को पांच भागों में बांटकर दो साल में 23 बार टेंडर कॉल किया गया। 24वें कॉल में 2023 में कार्य के लिए अनुबंध भी हो गया और तो और सीआरपीएफ पुलिस बल जवानो की सुरक्षा में काम भी शुरू हुआ, उसके बाद मार्च 2025 में काम बंद हो गया।

क्या कहते हैं अफसर
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता अभिषेक पाटकर ने बताया कि , 31.65 किमी सड़क निर्माण में महज 12.27 किमी पूर्ण हो पाया है और यह निर्माण कार्य वर्ष 2007-08 में प्रारंभ हुआ था। निर्माण कार्य में रोक के बाद फॉरेस्ट क्लियरेंस पर पूरी टीम ने काम करना शुरू कर दिया है। निर्धारित 44 बिंदुओं में से ज्यादातर की औपचारिकताएं पूरी हो गई है। एनओसी मिलते ही काम में तेजी आएगी।

विधायक जनक ध्रुव ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
बिन्द्रानवागढ़ विधायक जनक ध्रुव ने सड़क निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर सड़क निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ करवाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस सड़क निर्माण के लिए एनओसी दिलाने की मांग किया है।

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