खनिज विभाग में स्टॉफ की कमी: आठ साल से भर्ती नहीं, अवैध खनन -परिवहन पर नियंत्रण नहीं

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रायपुर जिले में रेत, मुरुम, चूना पत्थर, फर्शी पत्थर सहित लगभग ढाई सौ खदानें हैं, जिनमें अवैध रूप से खनिज सामग्री का उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है।

रायपुर। रायपुर जिले में रेत, मुरुम, चूना पत्थर, फर्शी पत्थर सहित लगभग ढाई सौ खदानें हैं, जिनमें लगभग 50 खदानें ऐसी हैं, जिनमें अवैध रूप से खनिज सामग्री का उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है। इन खदानों में मुरुम, चूना पत्थर, फर्शी पत्थर के साथ रेत की खदानें भी शामिल हैं, जहां बिना पर्यावरण और खनिज विभाग से अनुमति लिए खनिज माफिया अपने लोगों द्वारा हर दिन लाखों रुपए की खनिज सामग्री की चोरी कराकर जमकर मुनाफा कमा रहे हैं।

इधर खनिज विभाग चाहकर भी अवैध उत्खनन और परिवहन पर लगाम कस नहीं पा रहा है, जिसका बड़ा कारण विभाग में पर्याप्त बल की कमी है। खनिज विभाग में पिछले आठ वर्षों से सिपाहियों, सुपरवाइजरों, इंस्पेक्टरों की भर्ती ही नहीं की गई है, बल्कि जो पदस्थ थे, उनमें भी आधे से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, जिसके कारण विभाग में स्टॉफ की कमी हो गई है। इस कारण नियमित रूप से खदानों की जांच भी नहीं की जा रही है, जिसका फायदा खनिज माफिया उठा रहे हैं।

वर्ष 2016 के बाद नहीं हुई भर्ती
जिले में खनिज विभाग में वर्ष 2016 के बाद भर्ती ही नहीं की गई है। इस कारण स्टॉफ की भारी कमी हो गई हैं। जिले में पहले भरपूर स्टॉफ हुआ करता था। उप संचालक के अलावा 3 इंस्पेक्टर, दो खनिज अधिकारी के अलावा 9 सिपाही, 9 सुपरवाइजर पदस्थ थे। विभाग में पर्याप्त कर्मचारियों के होने से नियमिति रूप से खदानों का निरीक्षण भी किया जाता था, लेकिन अब इनमें कई रिटायर हो चुके हैं, जिनमें 1 इंस्पेक्टर, 6 सुपरवाइजर, 4 सिपाही शामिल हैं। इसके अलावा एक सिपाही की कोविड काल में मृत्यु हो चुकी है। इस तरह स्टॉफ में लगातार कमी है। रिटायर और मृत्यु हो चुके स्टॉफ की भरपाई के लिए अभी तक भर्ती नहीं की गई है।

चालू वर्ष में भी एक-दो कर्मचारी होंगे रिटायर
विभागीय सूत्रों के अनुसार चालू वर्ष में भी एक-दो कर्मचारी रिटायर होने वाले हैं। इनमें एक सुपरवाइर भी है। इस तरह विभाग में स्टॉफ की और कमी हो जाएगी। यही वजह है कि विभाग की टीम भी नियमिति रूप से खदानों का निरीक्षण नहीं कर पा रही है।

जान का डर, इसलिए रात में निरीक्षण नहीं
जिले में खनिज विभाग में स्टॉफ का फायदा अब माफिया भी उठाने लगे हैं। यही कारण है कि माफिया अब दिन की जगह रात में खदानों में उत्खनन कराने लगे हैं। अभनपुर एवं नवा रायपुर क्षेत्र में ज्यादातर मुरुम की खदानों में रात के दौरान उत्खनन और परिवहन कराया जा रहा है। आरंग क्षेत्र में भी रेत और फर्शी पत्थर की कई खदानों में रात में अवैध खनन कराया जा रहा है। इसी प्रकार धरसींवा, मंदिर हसौद क्षेत्र में चूना पत्थर एवं मुरुम की कई खदानों में अवैध रूप से खनन कराया जा रहा है। इन सभी खदानों में रात के समय अवैध खनन हो रहा है। इसकी सूचना मिलने के बाद भी विभाग की टीम पर्याप्त बल और सुरक्षा व्यवस्था की कमी के कारण इन खदानों में छापामार कार्रवाई कर नहीं पाती।

रात में माफिया के गुर्गों का भय
रात के समय में ज्यादा खदानों में माफिया के लोग बड़ी संख्या में खनन का कार्य करते हैं। कई खदानों में तो माफिया के हथियारबंद गुर्गे भी मौजूद रहते हैं, वहीं कई लोग नशाकर यह काम करते हैं। ऐसे में बिना हथियार और सुरक्षा व्यवस्था के विभागीय टीम को कार्रवाई करने में जान का खतरा भी रहता है। उल्लेखनीय है कि स्टॉफ की कमी के बावजूद जिले में विभाग ने पिछले एक वर्ष के दौरान रेत, मुरुम, गिट्टी एवं फर्शी पत्थर के अवैध उत्खनन, परिवहन व भंडारण के प्रकरणों में कार्रवाई कर 1132 गाड़ियों को पकड़ा है। इसके अलावा पोकलेन व चेन माउंटेन सहित लगभग 40 मशीनें भी जब्त की गई हैं। इन सभी प्रकरणों में कुल 3 करोड़ 85 लाख रुपए का अर्थदंड भी वसूला है। हालांकि जिस तरह से जिले में खनिज सामग्री का अवैध खनन और परिवहन हो रहा है। उसकी तुलना में बहुत कम कार्रवाई की गई है। विभाग के पास अगर पर्याप्त स्टॉफ मौजूद होता, तो गाडियों-मशीनों की जब्ती के साथ अर्थदंड राशि का आंकड़ा भी कई गुना ज्यादा होता।

स्टॉफ की कमी के बाद भी नियमित जांच-कार्रवाई जारी
रायपुर खनिज विभाग के उप संचालक केके गोलघाटे ने बताया कि, स्टॉफ की कमी हैं, लेकिन अवैध खनन और परिवहन को रोकने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। एक साल की कार्रवाई बताती है कि विभाग सक्रिय है। स्टॉफ की कमी को दूर करने के लिए जई भर्ती की जानी चाहिए


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