बस्तर के किसानों के लिए वरदान साबित हुई लाख की खेती: साल में दो फसल लेकर कमा रहे दोहरा मुनाफा

बस्तर के किसानों के लिए वरदान साबित हुई लाख की खेती : साल में दो फसल लेकर कमा रहे दोहरा मुनाफा
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लाख पालन की खेती से लाखों कम रहे किसान

बस्तर के किसानों ने भी अब दोहरा मुनाफा कमाना सीख लिया है। लाख की खेती कर अब यहां के किसान दोहरा लाभ कमा रहे हैं।

महेन्द्र विश्वकर्मा - जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कई संग्राहक विभिन्न लघु वनोपजों का संग्रहणकर लाभ प्राप्त कर रहे हैं। जैसे ईमली, महुआ, साल बीज, चिरौंजी गुठली और लाख पालन आदि हैं। बस्तर के वनों से लाख संगृहित करने का काम यहां के आदिवासी बहुत पहले करते आ रहें हैं। कुछ वर्ष पूर्व इसके बाजार दर कम हो जाने के कारण कई लाख कृषकों ने इससे हटकर अन्य कृषि की ओर रूझान कर लिया था। साथ ही कुछ ही किसान इसे प्रसंस्कृत कर दाना लाख और बटन लाख आदि बनाकर विक्रय कर रहे थे। विभागीय प्रशिक्षण और प्रचार-प्रसार से बस्तर वन-वृत्त के कई नए स्थानों जैसे जैबेल, कुरंदी, घोटिया, माचकोट, डिलमिली, मारडूम, भैरमगढ़, तोंगपाल आदि में लगभग 150 कृषक लाख पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। लाख का उपयोग विभिन्न उद्योगों जैसे की सौंदर्य प्रसाधन, दवा और रंगाई में किया जाता है। इस तरह लाख पालन कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती है।

जिला यूनयिन जगदलपुर के अंतर्गत वर्ष 2025 में अब तक 17 कृषकों (लाख कृषक) द्वारा सर्वे वृक्ष संख्या 210 में से 52 कुसुम के वृक्षों में 5.10 क्विंटल बीहन का संचरण किया गया था। जिनका विदोहन मानसून के पूर्व किया गया जिसमें उत्पादन लगभग 95 क्विंटल हुआ था। जिसमें से लगभग 54 क्विंटल बीहन का पुनरू संचारण इस मानसून में बेर के 1252 वृक्षों में किया गया है तथा लगभग 41 क्विंटल बीहन को अन्य जिला यूनियन के कृषकों को 5500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से विक्रय किया जाकर लाखों रूपए अर्जित किया गया है। लाख उत्पादन एक मौसमी व्यवसाय नहीं है और किसान पूरे वर्ष में 2 बार स्थिर आय प्राप्त कर सकते हैं।

लाख पालन से युवक हुआ आत्मनिर्भर
बीजापुर जिले के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित ग्राम करेमरका निवासी युवक मसु मरकार लाख कृषक है। मसु के माता-पिता के देहांत के बाद वह अपने भैया-भाभी के साथ रहता है। वह 10 वीं कक्षा का पढ़ाई भैरमगढ़ में हुई। वर्तमान में करेमरका में तेंदुपत्ता का फड़मंशी के रूप में कार्यरत था। वर्ष 2024-25 से उनके द्वारा लाख पालन का कार्य शुरू किया गया, अधिक वर्षा तथा संबंधित जानकारी के अभाव होने के कारण लाख फसल को हानि हुई। इस समय उसने 10 किलो बीहन को कुसुम वृक्षों में संचारण किया था, जिसका आय बीजापुर डिवीजन से मिली। कम आय होने के बाद भी उसने हार नहीं माना और फिर से लाख पालन का कार्य जारी रखा । वर्ष 2025-26 के जनवरी सीजन में 7 कुसुम वृक्षों में 1.10 क्विंटल बीहन का संचारण किया था। इस समय तक एक-दो प्रशिक्षण लिया, जिससे लाख फसल अच्छी हुई और इससे 6 क्विंटल बीहन लाख का उत्पादन किया गया। उसके बाद 700 रूपए प्रति किलो की दर से अन्य समितियों कोडोली, मिरतुर एवं गंगालूर के लाख कृषकों को विक्रय किया। वर्तमान में 600-700 रूपए प्रति किलो के हिसाब से आय मिल रही है। वर्ष 2025 में अब तक लाख पालन से 1.05 से 2 लाख रूपए तक की आमदनी हो रही है।


लाख पालन ने जीवन में एक अहम भूमिका निभाई
बस्तर जिला में करपावण्ड विकासखण्ड के ग्राम जैबेल में रहने वाले लाख कृषक लुदूराम बेसरा जो वर्तमान में प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति जैबेल के प्रबंधक भी हैं। उसने बताया कि, उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लाख पालन ने उनके जीवन में एक अहम भूमिका निभायी है। लाख पालन करते हुए आज वे अपने गांव में नया घर, अपनी गाड़ी खरीद चुके है और अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बसर कर रहे हैं। दरभा विकासखण्ड में चन्द्रगिरी ग्राम निवासी लाख कृषक दिलीप सिंह ठाकुर, ग्राम मावलीपदर के लाख कृषक मंगलू राम कश्यप, ग्राम कुरंदी के लाख कृषक पवन कुमार बघेल ने लाख पालन की सफलता की कहानी बताया।

आर्थिक व सामाजिक बदलाव आया
वन विभाग जगदलपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा और वन मंडलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता ने बताया कि ,लाख उत्पादन से ग्रामीणों की जिंदगी में आर्थिक, सामाजिक बदलाव आया है, इससे कई किसान जुड़े हुए हैं।

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