आफत की बारिश: कुसमुंडा खदान में भरा पानी, 135 हजार की जगह 40 हजार टन कोयले का ही उत्पादन

आफत की बारिश : कुसमुंडा खदान में भरा पानी, 135 हजार की जगह 40 हजार टन कोयले का ही उत्पादन
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File Photo 
एसईसीएल कुसमुंडा खदान में शनिवार शाम हुई तेज बारिश के कारण जलभराव की स्थिति बन गई। माइंस के अंदर पानी भर जाने से कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ।

कोरबा। एसईसीएल कुसमुंडा खदान में शनिवार शाम हुई तेज बारिश के कारण जलभराव की स्थिति बन गई। माइंस के अंदर पानी भर जाने से कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ। इस दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत कुछ घंटों तक काम रूका रहा। इसके बाद फिर दोबारा कोयला उत्खनन व डिस्पैच का कार्य शुरू कर दिया गया। हालांकि खदान में सामान्य दिनों की अपेक्षा कम कोयला उत्पादन किया गया।एसईसीएल की कुसमुंडा खदान में उस वक्त हड़कंप मच गया जब बारिश का पानी खदान में घुसने लगा। देखते ही देखते खदान में चारों ओर पानी ही पानी नजर आने लगा, जिसकी वजह से खदान में लगे सभी वाहन व मशीन बंद कर दिए गए। सुरक्षा कारणों को देखते हुए कुछ समय तक कोयला उत्खनन व डिस्पैच कार्य बाधित रहा। स्थिति सामान्य होने के बाद दोबारा कोयला उत्खनन व डिस्पैच कार्य शुरू किया गया।

कुसमुंडा खदान से रोजाना 135 हजार टन कोयला उत्पादन किया जाता है। रोजाना लक्ष्य के मुकाबले शनिवार को महज 40 हजार टन कोयला उत्पादन किया गया। वहीं बारिश का असर कोल डिस्पैच पर भी देखने को मिला। खदान में रोजाना 155 हजार टन कोयला डिस्पैच किया जाता है, जिसके मुकाबले 82.9 हजार टन कोयला डिस्पैच किया गया। खदान में पानी घुसने का वीडियो सोशल नेटवर्क में भी वायरल हुआ। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि माइंस में पानी का बहाव एक नदी की तरह हो रहा है। इसमें माइन रोड पर तेज बहाव और बेंचों से गिरते पानी के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो किसी के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो किसी ऑपरेटर या सहकर्मी द्वारा बनाया गया है। पानी की वजह से माइंस के अंदर काम करना मुश्किल हो गया है, और उत्पादन ठप हो गया। सूत्रों की मानें तो एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही की वजह से बार-बार कुसमुंडा माइंस में पानी भर रहा है। प्रबंधन की ओर से माइंस की सुरक्षा और रख-रखाव के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई है। माइंस में पानी भरने से न केवल उत्पादन प्रभावित हुआ है, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है। कर्मचारियों ने प्रबंधन से मांग की है कि माइंस की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

सामान्य रूप से संचालित हो रही है खदान
एसईसीएल के पीआरओ डॉ. सनीश चंद्र ने बताया कि, सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया, जिसमें कुसमुंडा खदान माइन रोड हॉल रोड पर तेज प्रवाह से बारिश के पानी का बहाव दिख रहा है। यह वीडियो गाड़ी में बैठे ऑपरेटर या किसी सहकर्मी द्वारा बनाया गया प्रतीत होता है जो ढलान में नीचे से उसपर की और बढ़ रहे थे। यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि कुसमुंडा खदान सामान्य रूप से संचालित हो रही है। कल खदान से 40 हजार टन कोयला निकाला गया है, वहीं लगभग 80 हजार टन कोयला प्रेषित किया गया है। बारिश के दिनों में खुली खदानों से उत्पादन प्रभावित होता है। विशेषतः तेज बारिश के समय, कर्मियों और मशीनों की सुरक्षा के मद्देनजर कार्य होल्ड किया जाता है और फिर शुरू कर दिया जाता है यह एक सेफ्टी प्रोटोकॉल है। कुसमुंडा खदान सामान्य रूप से संचालित है यह बंद नहीं है और तीनों पालियों में यहाँ कोयला निकाला गया है।

पिछली बारिश में इंजीनियर की हुई थी मौत
उल्लेखनीय है कि तेज बारिश के दौरान कर्मचारियों और मशीनों की सुरक्षा के लिए सेफ्टी प्रोटोकॉल के तहत काम कुछ समय के लिए रोका जाता है। पिछले साल इसी खदान में बारिश के दौरान एक इंजीनियर की मौत हो गई थी। प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि खदान बंद नहीं है। तीनों पालियों में कोयला उत्पादन जारी है। हालांकि बारिश के दिनों में खुली खदानों से उत्पादन प्रभावित होता है।

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