पहाड़ी कोरवा प्रसूता की मौत: शादी के 11 साल बाद गूंजने वाली थी किलकारी, सरकारी अस्पताल की बदहाली बच्चे को भी लील गई

Korba Government hospital negligence Pahari Korwa woman- newborn died
X

परिवार में छाया मातम 

सरकारी अस्पताल की लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल व्यवस्था ने एक आदिवासी परिवार की खुशी को मातम में बदल दिया।

उमेश यादव-कोरबा। सरकारी अस्पताल की लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल व्यवस्था ने एक आदिवासी परिवार की खुशी को मातम में बदल दिया। विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा समाज की महिला और उसके नवजात शिशु की प्रसव के दौरान मौत हो गई। यह घटना कोरबा विकासखंड के ग्राम पंचायत चुइया के आश्रित ग्राम भटगांव की है, जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है।

बता दें कि, मृतका मंघाई बाई, पति अमर सिंह पहाड़ी कोरवा के साथ पहली बार मां बनने जा रही थी। शादी के 11 सालों बाद उनके घर किलकारी गूंजने की आस से पूरा परिवार खुश था। रविवार 11 जून को जब महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तब परिजन उसे महतारी एक्सप्रेस से अजगरबहार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाए। अस्पताल में डॉक्टर अनुपस्थित थे और वहां मौजूद एकमात्र महिला स्वास्थ्यकर्मी (संभावित स्टाफ नर्स) ने ही प्रसव कराया।


डॉक्टरों की गैर मौजूदगी ने ली महिला-नवजात की जान
प्रसव के दौरान महिला की हालत लगातार बिगड़ती रही। उसने एक मृत शिशु को जन्म दिया। इसके थोड़ी देर बाद मंघाई बाई की तबीयत अचानक खराब हो गई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजने की तैयारी की गई, पर संजीवनी एक्सप्रेस के पहुंचने तक महिला की मौत हो चुकी थी।

RMO ने दी सफाई, पर कई सवालों के नहीं मिले जवाब
अस्पताल में पदस्थ आरएमओ के अनुसार, प्रसव बीएमओ और चिकित्सक के दिशा-निर्देश पर हुआ। उनका कहना है कि, महिला नशे की हालत में थी और बीपी बढ़ने से मौत हुई। लेकिन यदि महिला की स्थिति गंभीर थी, तो पुलिस को सूचना देना अनिवार्य था जबकि ऐसा नहीं किया गया। परिजनों ने शव को घर ले जाकर अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली, जिससे कई अहम तथ्यों पर पर्दा पड़ गया।

संस्थागत प्रसव की असलियत उजागर
इस दर्दनाक घटना ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव को लेकर शासन-प्रशासन बड़े-बड़े वादे करता है, लेकिन हकीकत ये है कि, अवकाश के दिनों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर ही मौजूद नहीं होते। नतीजतन, जटिल मामलों में भी स्टाफ नर्स और अन्य कर्मचारी ही इलाज या प्रसव के लिए जिम्मेदार होते हैं।

दुख में डूबा परिवार
मृतका के पति अमर सिंह पहाड़ी कोरवा ने बताया कि, पहली बार घर में बच्चा आने की उम्मीद थी। पूरी बिरादरी में खुशी का माहौल था, लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने सब कुछ छीन लिया।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story