कांग्रेस में एक और इस्तीफा: प्रदेश सचिव भवानी बहादुर सिंह ने छोड़ी पार्टी, निजी कारणों को बताई वजह

राजपरिवार के सदस्य और पार्टी के प्रदेश सचिव भवानी बहादुर सिंह
सचिन अग्रहरि- राजनंदगांव। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की परिशानियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। साल 2023 की हार के बाद से कई बड़े नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसी क्रम में सोमवार को भी कांग्रेस का एक बड़ा झटका लगा। खैरागढ़ के राजपरिवार के सदस्य और पार्टी के प्रदेश सचिव भवानी बहादुर सिंह ने अपने जन्मदिन के दिन पार्टी को अलविदा कह दिया है।
हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष को संबोधित अपने इस्तीफे में भवानी बहादुर सिंह ने कारण निजी बताया है, लेकिन माना जा रहा है कि, पार्टी में पूछपरख नहीं होने से वे व्यथित थे। प्रदेश सचिव के इस्तीफे की राजनैतिक गलियारे में चर्चा होगी। क्योंकि, इनके पिता शिवेंद्र बहादुर सिंह राजनांदगाव के पूर्व सांसद थे और पूर्व पीएम राजीव गाँधी के करीबी थे। इनकी माता गीता देवी सिंह जोगी सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री और कई बार विधायक रहीं।

पार्टी में बड़ा था शिवेंद्र बहादुर सिंह का कद
80 के दशक में दबंग सांसद शिवेंद्र बहादुर सिंह के बुलावे पर देश के दो-दो प्रधानमंत्री संसदीय क्षेत्र पहुंचे और यहां के लोगों ने करीब से उन्हें देखा। सांसद सिंह के बुलावे पर स्वयं पीएम इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार के लिए राजनांदगांव के मानपुर पहुंचीं थीं। जहां उन्होंने आदिवासी बहुल मानपुर में रोड शो भी किया था।इसी तरह प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी सांसद शिवेंद्र बहादुर सिंह के बुलावे पर लोकसभा क्षेत्र में पहुंचे थे, उन्होंने कवर्धा के भोरमदेव से बैगा प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। शिवेंद्र बहादुर के चुनाव प्रचार के लिए राजीव गांधी ने 21 मई 1991 को राजनांदगांव आने की सहमति दे दी थी। उनकी सभा-रैली की पूरी तैयारियां कर ली गईं थीं। लेकिन अचानक प्लान बदला और वे तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर चले गए, जहां बम ब्लास्ट कर उनकी हत्या कर दी गई।
माता गीता देवी सिंह रहीं छत्तीसगढ़ की पहली महिला बाल विकास मंत्री
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद इनकी माता गीता देवी सिंह रियासत की पहली महिला बाल विकास मंत्री थी। 1982 से 1986 तक सभापति जिला योजना मंडल राजनंदगांव व संचालक ग्रामीण बैंक दुर्ग रही। अविभाजित मध्यप्रदेश में वे सभापति महिला बाल विकास समिति मध्यप्रदेश विधानसभा रही। अध्यक्ष समाज कल्याण बोर्ड भी रही। सन 2000 में अलग राज्य बनने के बाद उन्हें प्रदेश की पहली महिला मंत्री बनाया गया। उनको महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग की जवाबदारी सौंपी गई। सितंबर 2011 में उनका निधन हो गया।
