सरकारी स्कूलों के 'अंधियारे' के बीच उजाला हैं पूनाराम: बच्चों के बीच 'सेलून वाले गुरुजी' के नाम से है उनकी पहचान

Guruji cutting children
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बच्चों के बाल काटते हुए गुरुजी 

कवर्धा जिले के शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ मुफ्त में उनके बाल भी काटते हैं। इस अनोखी पहल के चलते लोग उन्हें 'सेलून वाले गुरुजी' के नाम से जानते हैं।

संजय यादव - कावर्धा। जहां एक ओर सरकारी स्कूलों की बदहाली और शिक्षकों की लापरवाही की खबरें आए दिन सुर्खियों में रहती हैं। वहीं कवर्धा जिले में एक सरकारी शिक्षक अपनी सेवा भावना से मिसाल बन गए हैं।

शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बोड़ला में पदस्थ शिक्षक पूनाराम पनागर बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनके बाल भी मुफ्त में काटते हैं। इस अनोखी पहल के चलते लोग उन्हें 'सेलून वाले गुरुजी' के नाम से जानते हैं।



प्राथमिक स्कूल में थे पदस्थ
पूनाराम पनागर ने यह काम वर्ष 2012 में शुरू किया था, जब वे महलीघाट गांव के प्राथमिक स्कूल में पदस्थ थे। उन्होंने देखा कि, दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र में सैलून नहीं होने के कारण बच्चों के बाल काफी बढ़ जाते थे। तब उन्होंने खुद ही बच्चों के बाल काटना शुरू किया। बाद में उनका स्थानांतरण बोड़ला हो गया, लेकिन यह सेवा उन्होंने वहां भी जारी रखी।


निजी स्कूलों के बदले सरकारी में दाखिला के लिए करते हैं अपील
पूनाराम महीने में एक रविवार सरकारी एससी-एसटी हॉस्टल में रह रहे गरीब बच्चों के बाल खुद काटते हैं। इसके बदले वे बच्चों से सिर्फ इतना कहते हैं कि, बाल कटाने में जो पैसे बचते हैं, उससे कॉपी खरीद लेना। इतना ही नहीं, वे पिछले 15 वर्षों से पहली से दसवीं तक के बच्चों को स्कूल टाइम के अलावा नि:शुल्क कोचिंग भी दे रहे हैं। हर साल वे खुद पर्चा छपवाकर ग्रामीणों से अपील करते हैं कि, वे अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों में कराएं।


सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं शिक्षक
पूनाराम पनागर की इस पहल की सराहना न सिर्फ छात्र करते हैं, बल्कि अन्य शिक्षक और अभिभावक भी उनके कार्य को समाज सेवा की मिसाल मानते हैं। शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने यह साबित कर दिया है कि एक शिक्षक अगर चाहे तो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

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