पारंपरिक फूड फेस्टिवल: सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण आजीविका मंच पर्यटकों को खिला रहा पारंपरिक व्यंजन

Traditional food festival
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पारंपरिक फूड फेस्टिवल

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अंतर्गत तीरथगढ़ जलप्रपात परिसर में रविवार को पारंपरिक फूड फेस्टिवल का रंगारंग आयोजन किया गया।

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अंतर्गत तीरथगढ़ जलप्रपात परिसर में रविवार को पारंपरिक फूड फेस्टिवल का रंगारंग आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम ने बस्तर की समृद्ध खानपान परंपरा, सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण आजीविका को एक मंच पर प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरूआत बस्तर के परंपरागत धुरवा नृत्य से हुई, जिसने दर्शकों को लोक संस्कृति की जीवंत झलक दी।

इसके पश्चात सभी अतिथियों और पर्यटकों को बस्तर क्षेत्र के पारंपरिक व्यंजन दोना-पत्तल में परोसे गए। खाने में रागी की रोटी, आमट, कोलियारी भाजी, चरोटा भाजी, मंडिया पेज, कोदो का चावल तथा बस्तर में खाए जाने वाले अनेक प्रकार के स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन शामिल रहे। सभी व्यंजन स्थानीय लघु वनोपज एवं पारंपरिक विधियों से तैयार किए गए, जो न केवल स्वास्थ्यवर्धक हैं, बल्कि पारिस्थितिकी के अनुकूल भी हैं। इस सफल आयोजन के माध्यम से बस्तर की सांस्कृतिक और जैविक विविधता का उत्सव मनाया गया, जो आने वाले समय में ईको-पर्यटन और सामुदायिक विकास का प्रेरणास्रोत बन सकता है।

लोगों को मिलेगा पारंपरिक व्यंजनों का आनंद
कार्यक्रम का उद्देश्य पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देना, वन आधारित सतत आजीविका को सशक्त करना और स्थानीय समुदायों को पर्यटन और संरक्षण गतिविधियों से जोड़ना था। तीरथगढ़ घूमने आए पर्यटकों ने भी आयोजन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया और स्थानीय व्यंजनों का आनंद लिया।

ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने का कदम
इस अवसर पर ग्राम पंचायत के सरपंच मंगलूराम, सीसीएफ स्टायलो मांडवी एवं कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक नवीन कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास स्थानीय संस्कृति के संरक्षण और ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की दिशा में एक प्रभावी कदम है।

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