उद्यानिकी संगोष्ठी: अरुण सार्वा बोले- कृषि क्षेत्र में नवाचारों का हब बन सकता है धमतरीं जिला

जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण कुमार सार्वा ने 10 बिंदुओं का सुझाव पत्र कृषि मंत्री रामविचार नेताम को सौंपा
गोपी कश्यप- नगरी। धमतरी जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण कुमार सार्वा ने गुरुवार को रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय उद्यानिकी संगोष्ठी में भाग लेकर जिले की कृषि चुनौतियों और संभावनाओं पर प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षित किया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में उपस्थित राज्य के विभिन्न जिलों से आए सफल एवं उन्नत कृषकों सहित विभागीय उच्चाधिकारियों तथा छत्तीसगढ़ शासन के कृषि मंत्री रामविचार नेताम के समक्ष ग्रीष्म कालीन धान की फसल के विकल्प के रूप में विविध फसलों सहित मखाना फसल की खेती पर अपनी बातें रखने के साथ एक विस्तृत 10 बिंदुओं वाला सुझाव पत्र कृषि मंत्री को सौंपा, जिसमें जिले में मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने, वैकल्पिक खेती को प्रोत्साहित करने और नकली कृषि आदानों पर नियंत्रण लगाने जैसी अहम माँगें शामिल थीं।
धान छोड़कर वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा मिले
श्री सार्वा ने कहा कि, धमतरी जिले सहित राज्य में धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलों की ओर किसानों को मोड़ने की आवश्यकता है। जल संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य के लिए यह बेहद जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिले के किसानों के लिए विविध फसलों के समेकित विकास हेतु विशेष योजना के तहत बजट की स्वीकृति दी जानी चाहिए, ताकि किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और अनुदान का लाभ मिल सके।
मखाना उत्पादन की भरपूर संभावना
उन्होंने यह भी बताया कि, छत्तीसगढ़ में मखाना उत्पादन की प्रचूर संभावना है, विशेषकर उन तालाबों और जलाशयों में जहाँ सिंघाड़ा और ढेंश की खेती पहले से हो रही है। उन्होंने बिहार राज्य की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी मखाना उत्पादन के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण, अनुदान, बाजार और मूल्य समर्थन की मांग की। श्री सार्वा ने नकली बीज, खाद और कीटनाशकों की बिक्री पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे किसानों की मेहनत और पूंजी दोनों बर्बाद हो रही हैं। उन्होंने इस पर सख्त नियंत्रण और निगरानी व्यवस्था लागू करने की अपील की। साथ ही, उद्यानिकी विभाग द्वारा नकली आदानों की रोकथाम हेतु एक स्थायी कार्य योजना बनाने की बात भी प्रस्ताव में कही।
फल सब्जियों की खेती का प्रशिक्षण दिया जाए : सार्वा
उन्होंने प्रस्ताव में यह भी मांग की कि, फलदार पौधों जैसे आम, कटहल, जामुन, नींबू इत्यादि के बगीचे विकसित करने, सब्जियों की व्यावसायिक खेती (मिर्च, प्याज, लहसुन, टमाटर) को बढ़ावा देने, और मसाले/औषधीय पौधों की वैज्ञानिक खेती के लिए जिले में चयनित किसानों को विशेष प्रशिक्षण व सहयोग दिया जाए। धमतरी के कृषि परिदृश्य को बदलने वाले इस सुझाव पत्र में श्री सार्वा ने जल आधारित कृषि जैसे मखाना, सिंघाड़ा और ढेंश, मोटा अनाज (कोदो, कुटकी, रागी), दलहन/तिलहन फसलें, और कंदवर्गीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने पर बल दिया है। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि इन सभी फसलों का फ्रंटलाइन डेमो प्रोजेक्ट (प्रक्षेत्र प्रदर्शन) के रूप में चयनित गांवों में क्रियान्वयन किया जाए।
विभागों के समन्वित प्रयास की जरूरत : सार्वा
अंत में, श्री सार्वा ने यह आग्रह किया कि, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग, पशुपालन विभाग तथा बीज निगम आपसी समन्वय बनाकर एक समग्र विकास कार्य योजना तैयार करें, ताकि जल, जमीन और जनहित के साथ-साथ किसानों की आय में भी स्थायी वृद्धि सुनिश्चित हो सके।
