राईट टू एजुकेशन में गड़बड़ी: हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- मर्सडीज में घूमने वाले गली-गली में खोल दिए हैं स्कूल

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राईट टू एजुकेशन में गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गरीब बच्चों को RTI के तहत एडमिशन नहीं देने पर नाराजगी जताई है। मामले में कोर्ट ने एजुकेशन सेकेट्री से शपथपत्र में 13 अगस्त तक जवाब मांगा है।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राईट टू एजुकेशन में गड़बड़ी मामले में नाराजगी जताई है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा- बिना मान्यता वाले स्कूल संचालकों पर क्यों एक्शन नहीं लिया जा रहा है। बच्चों को 5–5 लाख मुआवजा दिया जाना चाहिए, मर्सडीज में घूमने वाले गली- गली में स्कूल खोल दिए है। मामले में कोर्ट ने एजुकेशन सेकेट्री से शपथपत्र में 13 अगस्त तक जवाब मांगा है। यह पूरा मामला गरीब बच्चों को RTI के तहत एडमिशन नहीं दिए जाने से जुड़ा है। मामला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के डिवाइन बेंच में लगा था।

मिड-डे मील में घोर लापरवाही
वहीं बलौदाबाजार जिले के पलारी विकासखंड स्थित लच्छनपुर मिडिल स्कूल में बच्चों को कुत्ते द्वारा जूठा किया गया।भोजन परोसने की घटना पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। इस संवेदनशील मामले में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने इसे गंभीर लापरवाही और अमानवीय व्यवहार बताया है। वहीं अब कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को 19 अगस्त 2025 तक व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
बच्चों को दिया जाने वाला मिड-डे मील कोई औपचारिकता नहीं है। यह गरिमा और सुरक्षा के साथ दिया जाना चाहिए। कुत्ते द्वारा जूठा भोजन परोसना सीधे तौर पर बच्चों की जान को खतरे में डालना है। न्यायालय ने इसे गंभीर प्रशासनिक विफलता माना है।

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