छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: CGPSC- 2021 में चयनित संदेह के बाहर अभ्यर्थियों को दी जाए नियुक्ति

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बिलासपुर हाईकोर्ट ने CGPSC-2021 चयनित अभ्यर्थियों को दी बड़ी राहत

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सीजीपीएससी-2021 चयनित अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा- जो अभ्यर्थी दोषी नहीं पाए गए हैं उन्हें दो माह के भीतर नियुक्तियां दी जाए।

पंकज गुप्ते - बिलासपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा परीक्षा-2021 (CGPSC) में चयनित निर्दोष अभ्यर्थियों के लिए राहत की खबर है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा- जिन अभ्यर्थियों पर अब तक सीबीआई जांच में कोई आपत्ति नहीं मिली है और जिनका नाम चार्जशीट में नहीं है, उन्हें दो माह के भीतर नियुक्ति पत्र सौंपाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि, 10 मई 2024 तक की वैधता अवधि के भीतर नियुक्तियां पूरी कर ली जाएं।

दरअसल, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने 26 नवंबर 2021 को 171 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, नायब तहसीलदार, जेल अधीक्षक और लेखाधिकारी जैसे अहम पद शामिल थे। परीक्षा के नतीजे 11 मई 2023 को जारी हुए।चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई क्योंकि परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे थे।

गड़बड़ी के लगे हैं आरोप
पीएससी के कुछ पदाधिकारियों और उनके रिश्तेदारों के चयन को लेकर सवाल उठे। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा और सीबीआई को जांच सौंपी दी गई। इस जांच के चलते सभी चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति अटक गई, भले ही उनके खिलाफ कोई आरोप न हो। ऐसे में 60 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने कोर्ट में गुहार लगाई कि वे पूरी तरह पात्र और निर्दोष हैं, फिर भी उन्हें नियुक्ति नहीं मिल रही।

नियुक्तियां सीबीआई जांच के नतीजों के अधीन रहेंगी- कोर्ट
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, केवल कुछ लोगों पर आरोप हैं, ऐसे में पूरे चयन को खारिज नहीं किया जा सकता। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, निर्दोष अभ्यर्थियों को उनकी योग्यता के आधार पर नियुक्त किया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यह नियुक्तियां सीबीआई जांच के नतीजों के अधीन रहेंगी और भविष्य में अगर कोई तथ्य सामने आता है, तो सरकार नियुक्ति रद्द कर सकती है।

60 दिन में नियुक्ति मिलने की उम्मीद
सरकार की दलील थी कि, प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितता की आशंका है, जबकि पीएससी ने खुद को चयन सूची तक सीमित बताते हुए नियुक्ति आदेश की जिम्मेदारी सरकार पर डाली। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद वे योग्य और निर्दोष अभ्यर्थी, जो लंबे समय से नियुक्ति की राह देख रहे थे, अब 60 दिन में नौकरी के पत्र मिलने की उम्मीद कर सकते हैं।

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