हरिभूमि INH का शिक्षा संवाद: शिक्षाविदों की राय- डिग्रियां अब जरूरी नहीं, कौशल हो तो कमा सकते हैं करोड़ों

रायपुर। एमबीए जैसी डिग्रियां सिर्फ चोचलेबाजी है। वर्तमान में यू-ट्यूबर भी करोड़ों कमा लेते हैं। यह कहना है शिक्षाविद जवाहर सूरी शेट्टी का। भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अंधाधुन बांटी जा रही उपाधियों और इसके बाद भी बढ़ती बेरोजगारी सहित कई अन्य मुद्दों पर शिक्षाविदों ने चर्चा की। इस पैनल डिस्कशन का समन्वय हरिभूमि के संपादक समन्वयक ब्रह्मवीर सिंह ने किया।
उन्होंने कहा, गूगल सिर पर हाथ रखकर छात्रों को यह हौसला नहीं दे सकता कि तुम यह कर लोगे और ना ही चैट जीपीटी छात्रों के आंसू पोंछ सकता है। इसलिए किसी भी स्थिति में गूगल गुरु का स्थान नहीं ले सकता है। वहीं रुंगटा ग्लोबल यूनिवर्सिटी के वीसी जवाहर सूरी शेट्टी ने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उपस्थिति का विकल्प घटाकर प्रायोगिक ज्ञान पर बल दिया जा रहा है। मात्र डिग्री लेना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए। आंकलन करें कि शिक्षा क्यों ले रहे हैं।
हर प्रोडक्ट का समय होता है
भविष्य में क्लासरूम की आवश्यकता पर बोलते हुए निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा, चाहे कितनी भी टेक्नोलॉजी आ जाए ऑफलाइन कक्षाओं का दौर कभी भी समाप्त नहीं हो सकता है। कोरोनाकाल में हम ऑनलाइन कक्षाओं का हाल देख चुके हैं। उस दौर में जिन विद्यार्थियों ने पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल की वो अब अपना नाम भी नहीं लिख पाते हैं। वहीं कलिंगा विवि के कुलपति आरश्रीधर ने कहा कि वर्तमान में डिग्री से अधिक हुनर की बात करनी चाहिए। गुरू को गूगल और चैट जीपीटी कोई भी नहीं हरा सकता है। हर प्रोडक्ट का समय होता है, इसलिए डिग्री भी अपडेट होनी चाहिए।

कौशल छूट गया, डिग्री रह गई
आईसीएफआई के कुलपति एसडी पांडे ने कहा कि, बिना गुरु के ज्ञान संभव नहीं है। इसलिए चैट जीपीटी या एआई के आने से भी गुरू की महत्ता समाप्त नहीं होगी। गूगल कैसे चलाएं, यह सीखने के लिए भी गुरू आवश्यक है। सीवी रमन यूनिवर्सिटी के कुलसचिव अरविंद तिवारी ने शिक्षा के पूर्णरूप से ऑनलाइन होने के सवाल पर कहा, समाज का विकास संस्था के माध्यम से ही संभव है। दशकों पहले डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किए गए ताकि कौशल मिल सके। अब सिर्फ डिग्रियां रह गई, कौशल पीछे छूट गया। अंजनेय यूनिवर्सिटी के कुलपति टी. रामाराव ने कहा, ऑनलाइन माध्यमों से ज्ञान प्राप्त हो सकता है, लेकिन शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास के लिए कैंपस और शिक्षक अनिवार्य हैं। ऐसे में चैट जीपीटी और एआई, गूगल भी गुरू का अस्तित्व समाप्त नहीं कर सकते।
भविष्य में एआई का शिक्षा में बड़ा प्रभाव
अरविंद तिवारी ने कहा कि, डॉक्टर-इंजीनियर तो अभी भी चाहिए, लेकिन नए तरीके से। भविष्य में डिग्री नहीं बल्कि कौशल ही नौकरी दिलाएगा। वहीं जवाहर सूरी शेट्टी, राजीव गुप्ता सहित अन्य विशेषज्ञों ने भी कौशल पर बल देते हुए कहा कि वर्तमान में गूगल, एआई, चैट जीपीटी सहित कई ज्ञान के माध्यम हैं। संभव है कि भविष्य में कॉलेज सिर्फ डिग्री बांटने के केंद्र रह जाएंगे, इसलिए छात्रों को डिग्री के साथ कौशल भी प्रदान करें, तभी उपयोगिता बनी रहेगी। भविष्य में नौकरी के लिए सिर्फ कौशल देखा जाएगा, डिग्री नहीं ।
