हरिभूमि INH का शिक्षा संवाद: विशेषज्ञ बोले- टेक्नोलॉजी जितनी भी आगे बढ़ जाए, रोटी गूगल से नहीं निकल सकती

शिक्षा संवाद में विशेषज्ञों ने नीतिगत योजनाएं साझा की
रायपुर। शिक्षा संवाद 2025 में मंथन के दौरान शंकराचार्य इंस्टिट्यूट के चेयरमैन आईपी मिश्रा ने कहा, संसार में सब सो रहे हैं, जो परमार्थी है केवल वे ही जाग रहे हैं। वर्तमान में लोगों को जगाने का कार्य हरिभूमि कर रहा है। एआई के बढ़ते दखल के बीच उपाधियों के औचित्य पर उठे सवालों पर उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी जितनी भी आगे बढ़ जाए, रोटी गूगल से नहीं निकल सकती है। उच्च शिक्षा संबंधित संवाद के दौरान हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के प्रश्नों का जवाब देते हुए विशेषज्ञों ने नीतिगत योजनाएं साझा की।
श्री मिश्रा ने यह भी कहा, सरकारी और निजी विद्यालय अथवा महाविद्यालय प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, बल्कि आपस में सहयोगी हैं। सरकार को चाहिए कि वे दोनों ही संस्थाओं को एक नजर से देखे। सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसा माहौल बना दिया गया है कि यदि हम बाहर जाकर शिक्षा प्राप्त करेंगे तो ही सफल हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
पैसे दो, डिग्री लो का खेल अब नहीं
विवि विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. वीके गोयल ने कहा, प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के संदर्भ में यह शिकायत प्राप्त होती रही है कि वे पैसे लेकर डिग्री देते हैं और छात्रों को नियमित कक्षा आने की आवश्यकता भी नहीं होती है। इस तरह के मामलों पर रोक लगाने के लिए अब प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों में बायोमैट्रिक्स उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। यही नहीं अब निजी विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों को दी जाने वाली सभी उपाधियों की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध कराने एनआईसी की मदद से नया पोर्टल बनाया जा रहा है। एक बार एंट्री के बाद किसी छात्र का नाम ना तो विवि जोड़ सकेंगे और ना ही घटा सकेंगे। यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि विवि पिछली तिथियों में जाकर फर्जी डिग्री ना बांट सकें।
दूसरे देशों से छग आ रहे बच्चे
मैट्स यूनिवर्सिटी के चांसलर गजराज पगारिया ने कहा, चाहे सरकारी हो अथवा प्राइवेट, आप जितना अच्छा काम करेंगे, उतने अधिक बच्चे आपके यहां दाखिला लेंगे। ना सिर्फ दूसरे राज्य बल्कि दूसरे देशों से भी छात्र पढ़ने के लिए छग आ रहे हैं। शैक्षणिक कार्य पवित्र मन से करना चाहिए। टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता अपनाएंगे तो परिणाम भी वैसे ही मिलेंगे। रूंगटा ग्लोबल यूनिवर्सिटी के चांसलर संतोष रूंगटा ने कहा, जिस काम को करें, बेस्ट करें। अनुशासन मजबूत रखें। जब कोई शैक्षणिक संस्थान प्रारंभकरें तो यह देखें कि पालक और छात्र क्या चाहते हैं? इस पर ही शैक्षणिक संस्थान का भविष्य टिका हुआ है।
