हरेली तिहार 2025: अच्छी बारिश के लिए पूजा-अर्चना करने जुटे 84 गांव के ग्रामीण

हरेली तिहार
जगदलपुर। प्रदेश के दंतेवाड़ा जिले में दशकों से अच्छी बारिश के लिए अनोखी परम्परा का निर्वहन किया जाता है। भीमसेन देव का यह पर्व बस्तर अंचल की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में रचा-बसा है। इस पर्व को इंद्र देव की पूजा के नाम से भी जाना जाता है। शक्तिपीठ दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी की नगरी में हर तीन साल में एक बार अच्छी बारिश, फसल और गांव की समृद्धि के लिए भीमसेन जात्रा की पौराणिक परम्परा पूरी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है, इस बार भी जात्रा में 84 गांव के लोग एकत्रित हुए।
इस अनूठी जात्रा में दंतेवाड़ा के अलावा कुआकोण्डा, कटेकल्याण व गीदम ब्लाक के 12 परगनों के 84 गांवों के सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। ग्रामीणों ने पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ देव पूजा कर इंद्रदेव से अच्छी बारिश की प्रार्थना की। इस जात्रा की शुरूआत सुबह शीतला माता मंदिर में पूजा-अर्चना से हुई, जिसे मां दंतेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी ने पुराने सर्किट हाउस के करीब देवगुड़ी में विधि विधान से संपन्न कराया।
ग्रामीण अच्छी फसल पैदावार, भरपूर बारिश की मन्नत लेकर पर्व में होते हैं शामिल
दंतेश्वरी मंदिर के प्रमुख पुजारी परमेश्वर नाथ जिया ने बताया कि हर तीन साल में बस्तर में अच्छी भारी सुख समृद्धि और अच्छी फसल के लिए भीमसेन जात्रा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान भीमसेन यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस पर्व में 84 गांव के लोग सम्मिलित हुए और इस आयोजन को भक्ति भाव से संपन्न कराया। जिया पुजारी ने बताया कि दूर-दूर से ग्रामीण अपनी फसल पैदावार अच्छी हो और भरपूर पानी गिरे इसकी मन्नत को लेकर भीमसेन देव के पास पहुंचते हैं। मन्नत स्वरूप मुर्गा, फल फूल, वस्त्र आभूषण आदि भीमसेन देव को अर्पण करते हैं। मान्यता है कि भीमसेन देव की पूजा अर्चना के बाद बस्तर में अच्छी बारिश होती है, यह मान्यता वर्षों से चली आ रही है जो आज भी निभाई जा रही है।
अब तक नहीं हुई अच्छी बारिश इसलिए बढ़ी चिंता
दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी परमेश्वर नाथ जिया का कहना है कि, अंचल में अब तक नहीं हुई अच्छी वर्षा, इसलिए बढ़ गई है चिंता। उन्होंने कहा कि बस्तर अंचल में सावन माह की शुरूआत के बावजूद अब तक पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है। इस वजह से किसानों में अकाल की आशंका है, इसे दूर करने के लिए ग्रामीण अपने आराध्य देवताओं को मनाने में जुटे हैं। परंपरा है कि हरियाली अमावस्या से पूर्व भीमसेन देव की विशेष पूजा की जाती है।
उदेला पहाड़ पर भीमसेन पत्थर को हिलाने की भी परम्परा
जिया पुजारी ने बताया कि, परंपरानुसार ग्रामीण दंतेवाड़ा जिले के उदेला पहाड़ पर स्थित भीमसेन देव के प्रतीक पत्थर को हिलाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्रदेव प्रसन्न होकर अच्छी वर्षा करते हैं, इसलिए सभी 84 गांवों से ग्रामीण अपने-अपने गांव का पानी हंडियों में भरकर यहां पहुंचते हैं और यह आदिवासी समाज की प्रकृति से जुड़ी गहरी आस्था का प्रतीक है। सदियों पुरानी यह परम्परा दंतेवाड़ा जिले में आज भी जीवंत है। भीमसेन देव की यह पूजा सिर्फ आस्था नहीं, वरन जल-जंगल-जमीन के साथ बस्तरवासियों के जुड़ाव को दशार्ती है। अब यह परंपरा बस्तर की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जा रही है।
